भ्रष्टाचार को लेकर प्रशासनिक व्यवस्था पर गहरी चोट, जानें किसने कहा- अंधेर नगरी म्याऊं म्याऊं


रंगमंच के माध्यम से प्रशासनिक व्यवस्था में भ्रष्टाचार पर गहरी चोट।

लखनऊ।  रंगमंच अभिव्यक्ति का सशक्त माध्यम है। भारतीय जन नाट्य संघ ने प्रशासनिक व्यवस्था पर व्यंग्य करते हुए अंधेर नगरी म्याऊं म्याऊं नाट्य प्रस्तुति तैयार की है। असगर वजाहत के लिखे इस नाटक को भारतीय जन नाट्य संघ ने मौजूदा परिस्थितियों से जोड़ते हुए तैयार किया है। इस प्रस्तुति को भारतीय जन नाट्य संघ ने रंगकर्मी सफदर हाशमी को समर्पित किया है।

भारतीय जन नाट्य संघ से जुड़े वरिष्ठ रंगकर्मी राकेश वेदा ने बताया कि नाटककार सफदर हाशमी के शहादत दिवस पर यह विशेष प्रस्तुति तैयार की गई है। नाटक का निर्देशन रिजवान अली ने किया है। रिजवान अली ने बताया कि भारतीय जन नाट्य संघ ने रंगमंच के पुरोधाओं को याद करने की पहल की है। उनके लिखे नाटकों या अन्य रचनाओं पर नाट्य प्रस्तुति तैयार कर उन्हें मंचित किया जा रहा है। अंधेर नगरी म्याऊं म्याऊं नाट्य प्रस्तुति में भ्रष्टाचार समेत अन्य मौजूदा सामाजिक बुराइयों को समाहित करते हुए व्यंग्यात्मक शैली में एक संदेश देने की कोशिश की गई है। इस पुराने नाटक को वर्तमान परिस्थितियों और परिवेश से भी जोड़ा गया है।

इस प्रस्तुति से पहले उप्र संगीत नाटक अकादमी के वाल्मीकि सभागार में वरिष्ठ रंग संगीतकार अखिलेश दीक्षित दीपू की दूसरी पुण्यतिथि पर उन्हें याद करते हुए मंचन किया गया था। अब यह दूसरी प्रस्तुति सफदर हाशमी की स्मृति में हो रहा है। राकेश वेदा ने बताया कि नाट्य प्रस्तुतियों के साथ ही रंगकर्म से जुड़े लोगों की किताबों को भी जन-जन तक पहुंचाने की पहल हो रही है। इसी कड़ी में पहली किताब जन संगीत की चुनौतियों पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया। अखिलेश दीक्षित दीपू की यह किताब जनवादी गीतों का अनूठा संग्रह है। गीतों के जरिए व्यवस्था पर चोट की जा रही है। साथ ही रंगमंच के पुरोधाओं पर केंद्रित डाक्यूमेंट्री भी तैयार करवाई जा रही है।