नेपाल के 13 उत्तरी जिलों में चीन करने जा रहा है बड़ा निवेश, जानिए क्या है उसका मंसूबा
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नेपाल में राजनीतिक संकट के बीच चीन यहां अपनी पैठ बढ़ाने के लिए बड़ा निवेश करने जा रहा है। भारत पर नजर रखते हुए वह 13 जिलों में 15 बड़े प्रॉजेक्ट्स शुरू करने जा रहा है। विदेशों में मदद और विकास करने वाली संस्था चाइना इंटरनेशल डिवेलपमेंट कोऑपरेशन एजेंसी (CIDCA) नेपाल के 13 उत्तरी जिलों में 15 पायलट प्रॉजेक्ट्स शुरू करने जा रही है। मार्च 2019 में नेपाल सरकार ने एजेंसी को 15 उत्तरी जिलों में विकास कार्यों में निवेश की मंजूरी दी थी।  

नेपाल के प्रमुख अखबार काठमांडू पोस्ट की वेबसाइट की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि जून 2018 में पीएम केपी ओली की चीन यात्रा के दौरान वित्त मंत्रालय और CIDCA के बीच इस समझौते पर हस्ताक्षर किया गया था। इससे CIDCA को नेपाल में काम करने की अनुमति मिल गई है। प्रॉजेक्ट को 'नॉर्दन रिजन बॉर्डर डिवेलपमेंट प्रोग्राम' नाम दिया गया है। पैसे का निवेश CIDCA की ओर से किया जाएगा तो चीन के वाणिज्य मंत्रालय की देखरेख में काम होगा।  

इन प्रॉजेक्ट्स के अलावा CIDCA की ओर से अर्निको हाईवे को अपग्रेड करने और रिंग-रोड सुधार परियोजना पर काम शुरू किया जा रहा है। नेपाल के 77 जिलों में से इन 15 उत्तरी जिलों की सीमा चीन के तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र से जुड़ी हुई है। एक्सपर्ट्स के मुताबिक, चीन इस क्षेत्र में तिब्बत और भारत को ध्यान में रखकर निवेश कर रहा है।  

चीन पर नजर रखने वाले एक्सपर्ट प्रमोद जायसवाल ने काठमांडू पोस्ट से कहा, ''उत्तरी जिलों में चीन के निवेश के पीछे तिब्बत को लेकर चीन की चिंता सबसे बड़ी वजह है।'' वह कहते हैं कि इस निवेश के जरिए एक तरफ चीन नेपाली लोगों का दिल जीतना चाहता है तो दूसरी तरफ लॉन्ग टर्म के फायदों के लिए जमीन तैयार करना चाहता है। 

जायसवाल कहते हैं, ''उत्तरी क्षेत्र में चीन के निवेश का भू-रणनीतिक महत्व कम है, लेकिन वह ऐसा इसलिए कर रहा है ताकि वह भारत और पश्चिमी देशों को तिब्बत के नजदीक आने से रोक सके। इस तरह के निवेश से उत्तरी क्षेत्र में चीन का यश बढ़ेगा।'' इससे पहले तिब्बत की स्वायत्त सरकार दारचूला, बाझंग, हुमला, मुगू, डोपला, मुस्तांग, मानांग, गोरखा, धाधिंग, रसूआ, सिंधुपालचौक, डोलाका, सोलूखंबू, संखासभा और तापलेजंग जिलों में खाना और अन्य जरूरी सामानों की आपूर्ति करती थी। 

जायसवाल कहते हैं कि चीन तिब्बत की संवेदनशीलता की वजह से उत्तर में भारत और पश्चिमी देशों को पैठ नहीं बढ़ाने देना चाहता है। उन्होंने कहा, ''उत्तरी क्षेत्र में निवेश के पास चीन नेपाल से कह सकता है कि वह दूसरे देशों को यहां निवेश का मौका ना दे।''