लद्दाख में कोई भी हिमाकत करने से पहले 100 बार सोचेगा चीन, भारत ने की पुख्ता तैयारी
india-china standoff

पूर्वी लद्दाख में अप्रैल महीने से भारत-चीन के बीच सीमा विवाद के चलते तनावपूर्ण माहौल कायम है। दोनों देशों के बीच कई दौर की बातचीत के बावजूद भी कोई ठोस हल नहीं निकल सका है। इसके पीछे की एक वजह चीन की वह चालबाजी भी है, जो पड़ोसी देश समय-समय पर दिखाता रहता है। ड्रैगन की लगातार धोखेबाजी के बाद भी भारतीय सेना पूरी तरह से सचेत है और उसकी किसी भी हिमाकत का जवाब देने के लिए तैनात है। सेना ने हाल ही में पैंगोंग झील को चीन की बुरी नजरों से बचाने के लिए कुछ बोट्स (नावों) का ऑर्डर दिया है। दरअसल, इसकी मदद से पैंगोंग झील समेत पूर्वी लद्दाख के इलाकों में स्थित वॉटर बॉडीज पर नजर रखी जा सकेगी और जवान उसकी पेट्रोलिंग कर सकेंगे। इस कदम के बाद भारतीय सेना की ताकत लद्दाख में और अधिक बढ़ जाएगी।

नए साल पर पहला डिफेंस कॉन्ट्रैक्ट
सेना द्वारा किया गया यह कॉन्ट्रैक्ट नए साल का पहला डिफेंस कॉन्ट्रैक्ट होगा। सेना ने बोट्स का कॉन्ट्रैक्ट आत्मनिर्भर भारत कैंपेन के तहत घरेलू शिपयार्ड के साथ किया है। इसमें सबसे अच्छी बात यह भी होगी कि देरी भी नहीं होगी और इसी साल बोट्स मिलनी भी शुरू हो जाएंगी। सेना ने शुक्रवार को ट्वीट किया कि भारतीय सेना ने M/s गोवा शिपयार्ड लिमिटेड के साथ 12 फास्ट पेट्रोल बोट्स के लिए कॉन्ट्रैक्ट साइन किया है। इससे उच्च ऊंचाई समेत अन्य इलाकों में वॉटर बॉडीज पर नजर रखते हुए उनकी पेट्रोलिंग की जा सकेगी। पैंगोंग सो झील में भारत-चीन, दोनों की सेनाएं नावों का इस्तेमाल पेट्रोलिंग के लिए करती हैं।

इस बारे में एक्सपर्ट्स क्या सोचते हैं?
एक्सपर्ट्स का कहना है कि सेना को चीनियों से मुकाबला करने के लिए नई नावों की जरूरत थी। पूर्व उत्तरी सेना के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल बीएस जसवाल (रिटायर्ड) ने कहा, ''चीनी बेहतर नावों का उपयोग कर रहे हैं और वे नावों को तेज गति से चलाते हैं। इससे बड़ी लहरें पैदा होती हैं और हल्के भारतीय गश्ती नौकाओं को दूसरी ओर धकेलती हैं। भारतीय सेना को पहले की तुलना में और अधिक शक्तिशाली नावों की आवश्यकता थी, जिनका अब ऑर्डर दिया गया है।''

लद्दाख में भारत के पास हैं हाई पावर वाली नावें
भारतीय नौसेना ने पिछले साल लद्दाख में एक दर्जन से अधिक हाई पावर वाली, बड़ी और शीर्ष-पंक्ति वाली नावें भेजी थीं, ताकि भारतीय सेना पैंगोंग सो में पेट्रोलिंग कर सके। मालूम हो कि झील के दोनों किनारे भारत-चीन के बीच चल रहे विवाद का केंद्र रही है। जहां भारत लगातार चीन से सभी जगहों से उसके सैनिकों की वापसी के लिए कह रहा है और अप्रैल की शुरुआत वाली यथास्थिति बहाल करने की बात कर रहा है तो वहीं, चीनी पक्ष का कहना है कि भारत को पहले पैंगोंग सो के इलाके में ऊंचाई वाली जगहों से अपने सैनिकों को वापस बुलाना होगा। इसके चलते, दोनों देशों के बीच शीर्ष सैन्य स्तर की आठ दौर की बातचीत हो चुकी है। वहीं, नौवें दौर की बैठक के ऐलान की भी जल्द उम्मीद जताई जा रही है।