हरित ऊर्जा(सम्पादकीय)

 

क्लू टाइम्स, सुरेन्द्र कुमार गुप्ता 9837117141

(सम्पादकीय)

हरित ऊर्जा

इस संदर्भ में भारत पहले ही सौर ऊर्जा जैसे वैकल्पिक स्रोतों का इस्तेमाल शुरू कर चुका है।

हरित ऊर्जा
प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर। (फोटो-इंडियन एक्‍सप्रेस )।

इसी कड़ी में हाइड्रोजन मिशन को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मंजूरी दे दी है। इसके तहत पचास लाख टन हरित हाइड्रोजन उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है। इसका उपयोग ईंधन के रूप में वाहनों और इस्पात तथा तेल शोधन संयंत्रों में किया जाएगा।

हाइड्रोजन के उपयोग से कार्बन उत्सर्जन नहीं होता। स्वाभाविक ही इसे बढ़ावा मिलने से कार्बन उत्सर्जन में काफी कमी लाई जा सकेगी। जलवायु परिवर्तन के खतरों को ध्यान में रखते हुए तमाम देशों से अपने यहां कार्बन उत्सर्जन में कटौती करने को कहा जा रहा है। इस बार के जलवायु सम्मेलन में तो कार्बन उत्सर्जन के अनुपात में मुआवजे के प्रावधान पर भी सहमति बनी है।


ऐसे में हरित हाइड्रोजन के उपयोग से कार्बन पर काबू पाने में काफी मदद मिलेगी। फिर हाइड्रोजन मिशन में आठ लाख करोड़ रुपए से अधिक निवेश का अनुमान लगाया जा रहा है। 2030 तक सवा लाख मेगावाट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता वृद्धि का अनुमान है। इस मिशन के तहत छह लाख तक नए रोजगार सृजित होने की संभावना भी है।

भारत में कुल ऊर्जा खपत की करीब अस्सी फीसद बिजली कोयले से पैदा होती है। इससे कार्बन उत्सर्जन सबसे अधिक होता है। इसलिए बिजली की खपत कम करने और इसके वैकल्पिक स्रोतों पर ध्यान देने पर जोर दिया जाता है। इस संबंध में सौर ऊर्जा उत्पादन का विशाल तंत्र विकसित किया जा रहा है। इसके लिए दुनिया के तमाम देशों से करार भी किया गया है।

इस तरह नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन में हरित हाइड्रोजन बड़ा सहभागी साबित होगा। इसी तरह तेल शोधन और इस्पात शोधन संयंत्रों से कार्बन उत्सर्जन बहुत होता है। इनमें हरित हाइड्रोजन के इस्तेमाल से इस पर काफी हद तक रोक लगाई जा सकेगी। फिर, जलवायु परिवर्तन के साथ-साथ पूरी दुनिया में यह चिंता पैदा हो गई है कि जैव र्इंधन के भंडार पर बहुत लंबे समय तक निर्भर नहीं रहा जा सकता।

जिस तरह औद्योगिक इकाइयों में बढ़ोतरी हो रही है, सड़कों पर वाहन बढ़ रहे हैं और हर काम-धंधा बिजली पर निर्भर होता जा रहा है, उसमें जैव र्इंधन और बिजली संबंधी आवश्यकताओं की पूर्ति चुनौती बनती जा रही है। इसलिए तेल संबंधी जरूरतों को कम करने के लिए सौर ऊर्जा चालित वाहनों का चलन बढ़ रहा है। जैव र्इंधन में एथेनाल आदि मिला कर बाहरी देशों पर र्इंधन की निर्भरता घटाने की कोशिश की जा रही है।

हरित हाइड्रोजन का उत्पादन चूंकि पानी में से आक्सीजन और हाइड्रोजन को अलग करके किया जाता है, इसलिए भारत को इसके लिए अधिक संसाधन जुटाने की भी आवश्यकता नहीं है। जिस तरह पूरे साल यहां सूरज की रोशनी मिलती है, जिससे सौर ऊर्जा का उत्पादन आसान है, उसी तरह हरित हाइड्रोजन के लिए भी पर्याप्त जल भंडार है।

इस तरह भारत इस मिशन के जरिए न सिर्फ अपनी जरूर की स्वच्छ ऊर्जा पैदा कर सकता, बल्कि दूसरे देशों को भी उपलब्ध करा सकता है। जिस तरह सौर ऊर्जा मिशन के लिए दुनिया के तमाम देशों ने भारत से हाथ मिलाया, उसी तरह हरित हाइड्रोजन उत्पादन में भी निवेश की स्वाभाविक अपेक्षा की जाती है। जाहिर है, इससे 2030 तक कार्बन उत्सर्जन में कटौती के अपने लक्ष्यों तक पहुंचने में भी आसानी होगी।