मतदान से दूर(सम्पादकीय)

क्लू टाइम्स, सुरेन्द्र कुमार गुप्ता 9837117141

(सम्पादकीय)

मतदान से दूर

दूरस्थ मतदान मशीन यानी आरवीएम शुरू करने के निर्वाचन आयोग के प्रस्ताव को विपक्षी दलों ने शुरुआती चरण में ही अस्वीकार कर दिया.

मतदान से दूर
हालांकि जब आयोग ने इसे शुरू करने का प्रस्ताव रखा, तभी इसका विरोध शुरू हो गया था। इसके व्यावहारिक पक्षों को लेकर तरह-तरह के सवाल उठाए और शंकाएं जताई जा रही थीं। निर्वाचन आयोग ने सभी दलों को निमंत्रित किया था कि वे आएं और आरवीएम से संबंधित अपनी शंकाएं और सुझाव साझा करें।

निर्वाचन आयोग मशीन के व्यावहारिक पक्षों को समझाना और उनकी सहमति मिलने के बाद इसे प्रायोगिक तौर पर लागू करना चाहता था। मगर विपक्षी दलों ने एक स्वर से इस पर असहमति जता दी। उनका कहना है कि अभी इलेक्ट्रानिक मतदान मशीन यानी ईवीएम को लेकर उठ रही शंकाओं के समाधान ही निर्वाचन आयोग नहीं कर पाया है, ऐसे में वह घरेलू प्रवासियों के लिए उसी तरह की मशीन से नई मतदान व्यवस्था करने की पहल कैसे कर सकता है।

कुछ नेताओं ने यह तक पूछा कि आयोग मतदान तो कराना चाहता है, मगर प्रवासी मजदूरों के बीच राजनेता अपना प्रचार करने कैसे जाएंगे। इस तरह आरवीएम के व्यावहारिक पहलुओं पर कई गंभीर सवाल खड़े किए गए। जाहिर है, अब इस प्रणाली पर निर्वाचन आयोग के लिए आगे कदम बढ़ाना संभव नहीं होगा।

दरअसल, पिछले अनेक चुनावों से देखा जा रहा है कि मतदान को लेकर लोगों में उदासीनता बनी हुई है। हर चुनाव में पिछले चुनाव की तुलना में मत प्रतिशत कुछ कम दर्ज होते हैं। हालांकि निर्वाचन आयोग लोगों में मतदान के प्रति जागरूकता पैदा करने का पूरा प्रयास करता है। मगर खासकर शहरी मतदाता में उत्साह नहीं पैदा हो पाता। कई जगहों पर तो पचास फीसद से भी कम मतदान होता है।

इस तरह लोकतांत्रिक प्रक्रिया प्रश्नांकित होती है। पचास फीसद से भी कम मतदान के बावजूद प्रतिनिधि तो निर्वाचित होते ही हैं, सरकार बनती ही है। फिर सवाल उठता है कि वह सरकार किन लोगों ने बनाई है। विचित्र स्थिति तब देखी जाती है जब कम मत प्रतिशत वाले दल की संख्या अधिक हो जाती है और वह सत्ता में आ जाता है और अधिक मत प्रतिशत वाला दल बाहर रह जाता है।

इस स्थिति को समाप्त करना निस्संदेह निर्वाचन आयोग के लिए बड़ी चुनौती है। मगर यह कैसे संभव हो, इसका उपाय वह निकाल नहीं पाया है। उसे लगता है कि अगर प्रवासी लोगों को अपने मतों का प्रयोग करने की सुविधा मिल जाए तो इससे मत प्रतिशत में बढ़ोतरी हो सकती है।

लंबे समय से रेखांकित किया जाता रहा है कि जो लोग कामकाज, पढ़ाई-लिखाई या दूसरी वजहों से अपना घर-बार छोड़ कर दूरदराज जगहों पर रहने को मजबूर हैं, उन्हें भी अपने मताधिकार का उपयोग करने की व्यवस्था की जानी चाहिए। मगर इसका कोई व्यावहारिक रास्ता अभी तक नहीं निकाला जा सका है। पिछले कुछ सालों में ग्रामीण इलाकों से बहुत तेजी से पलायन बढ़ा है।

ऐसे में बड़ी संख्या में ऐसे लोग शहरों में रहने लगे हैं, जिनका मतदाता सूची में नाम अपने गृह प्रदेश में है। निर्वाचन आयोग ने इसी के मद्देनजर दूरस्थ मतदान मशीन की व्यवस्था शुरू करने का प्रस्ताव रखा था। इसके तमाम तकनीकी पहलुओं पर उसने विचार भी कर लिया है। अगर यह लागू हो जाती, तो बेशक इससे न सिर्फ मतदान प्रतिशत बढ़ता, बल्कि अपने मताधिकार के प्रयोग से वंचित लाखों लोगों को सुविधा मिल पाती। इस दृष्टि से इस व्यवस्था पर पुनर्विचार की जरूरत से इनकार नहीं किया जा सकता