जीवन के अंग(सम्पादकीय)

क्लू टाइम्स, सुरेन्द्र कुमार गुप्ता 9837117141

(सम्पादकीय)

जीवन के अंग

हम जिस तरह की सामाजिक-सांस्कृतिक परिस्थितियों में पलते-बढ़ते हैं, उसमें अपने हर करीबी के लिए बेहद संवेदनशील होते हैं।

जीवन के अंग
यही वजह है कि अगर किसी रिश्तेदार या परिजन की मौत होती है तो उसके लिए न सिर्फ दुखी होते हैं, बल्कि समाज और संस्कृति के संदर्भों से जो रिवायतें चली आ रही होती हैं, उसके मुताबिक हर स्तर पर हम मृतक के लिए पूरी भावुकता के साथ उसका पालन करते हैं।

इसी क्रम में मृतक की देह को लेकर संवेदनशील होना स्वाभाविक है, क्योंकि अपने प्रियजन की मृत्यु किसी के लिए भी दुख का विषय होता है। लेकिन अगर अपनी संवेदना और भावनाओं के साथ विवेक को भी सजग रखा जा सके तो अपने प्रियजन की मौत के बाद उन्हें किसी अन्य शरीर में जीवित देखा और महसूस किया जा सकता है। इंदौर में एक महिला की दिमागी तौर पर मृत्यु असमय ही हो गई, लेकिन खुद उसकी अंतिम इच्छा और उसके परिजनों की सहृदयता की वजह से उसके मृत शरीर से कई लोगों की जिंदगी आसान हो जाएगी और कुछ को नया जीवन मिल जाएगा।

दरअसल, इंदौर में रहने वाली एक महिला अचानक ही मस्तिष्क संबंधी गंभीर समस्या से ग्रस्त हो गई। ठीक करने के अथक प्रयासों के बावजूद चिकित्सकों को आखिरकार उसे दिमागी तौर पर मृत घोषित करना पड़ा। जाहिर है, इसके बाद जीवन की उम्मीद लगभग खत्म हो जाती है और ऐसे में मृतक के परिजनों के दुख को समझना कोई मुश्किल काम नहीं है।

ऐसी स्थिति में आमतौर पर विवेक पर संवेदना हावी हो जाती है और उसी मुताबिक मृतक के अंतिम संस्कार के बारे में फैसले लिए जाते हैं। लेकिन महिला के संबंधी उसकी अंतिम इच्छा के मुताबिक मरणोपरांत उनके अंगदान के लिए आगे आए। ऐसे भावुक क्षणों में चिकित्सकों ने उसके शरीर के उन सभी अंगों को एकत्र किया, जिससे किसी अन्य जरूरतमंद को जिंदगी मिल सकती थी।

यानी उसके शरीर के सभी काम आ सकने वाले अंग किसी न किसी को जीवन देंगे या उनकी जिंदगी को आसान बनाएंगे। हमारे यहां जीवन और मृत्यु को लेकर जिस तरह की धारणाएं, आग्रह और संवेदना का समुच्चय काम करता है, उसमें इसे निश्चित तौर पर एक विशेष और महत्त्वपूर्ण घटना के तौर पर देखा जाएगा।

दरअसल, इंसान के शरीर में कोई अंग जिस तरह काम करता है, ठीक उसी स्तर का कृत्रिम अंग बनाना अभी संभव नहीं हुआ है, इसलिए किसी अन्य व्यक्ति के अंग का प्रत्यारोपण ही फिलहाल उपाय होता है। ऐसी स्थिति में दुनिया भर में वैसे बहुत सारे लोग मौत के सामने अपनी जिंदगी की लड़ाई हार जाते हैं, जिन्हें हादसे के समय या किसी गंभीर रोग के इलाज के दौरान अपने शरीर में बेकाम हो चुके अंग का विकल्प नहीं मिल पाता।

फिर चिकित्सीय जटिलता भी एक अहम पहलू होती है। जबकि ऐसे मामले अक्सर सामने आते रहते हैं, जब गंभीर बीमारी या हादसे के बाद किसी मरीज की मृत्यु तय होती है, मगर उसके अंगों से कुछ अन्य लोगों को जिंदगी मिल सकती है। मसलन, दोनों गुर्दे, यकृत, हृदय, फेफड़े आंत और अग्न्याशय का प्रत्यारोपण हो सकता है, जबकि ऊतकों के रूप में कार्निया, त्वचा, हृदय वाल्व कार्टिलेज, हड्डियां और वेसेल्स भी समान स्तर पर बेहद उपयोगी होते हैं।

इंदौर में जिस महिला का अंगदान किया गया, उसका हाथ तत्काल ही मुंबई में एक युवती को प्रत्यारोपित किए जाने के लिए विशेष विमान से भेज दिया गया। मध्यप्रदेश में इसे पहली बार हुआ बताया गया है, जब दिमागी रूप से मृत किसी व्यक्ति के हाथों का अंगदान किया गया।