अव्यवस्था की उड़ान(सम्पादकीय)

क्लू टाइम्स, सुरेन्द्र कुमार गुप्ता 9837117141

(सम्पादकीय)


 अव्यवस्था की उड़ान

पिछले एक-डेढ़ हफ्ते में कई भारतीय उड़ानों में मुसाफिरों के अशिष्ट व्यवहार और विमान संचालक दल की लापरवाही के मामले सामने आए।

अव्यवस्था की उड़ान
एअर इंडिया का विमान। 

ताजा घटना पटना की है, जिसमें दो यात्री नशे की हालत में पाए गए। वे नशा करके विमान में चढ़े थे और जब पटना हवाई अड्डे पर उनकी सांस जांची गई तो तथ्य सामने आया कि उन्होंने मदिरापान कर रखा था। उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की गई।

मगर सवाल है कि जब वे नशा करके या कोई नशीला पदार्थ साथ लेकर दिल्ली हवाई अड्डे पर पहुंचे, तब वहां के कर्मचारी इस तथ्य की जांच करने से कैसे चूक गए। इसके अलावा, पिछले दिनों दो घटनाएं हुर्इं, जिनमें मुसाफिरों ने ऐसी अशोभन हरकतें कीं, जिन्हें संचालक दल की सावधानी से रोका जा सकता था। न्यूयार्क से दिल्ली आ रहे एअर इंडिया के विमान में एक यात्री ने एक महिला सहयात्री से नशे की हालत में अभद्र व्यवहार किया।

वह हवाई अड्डे से आसानी से निकल भी गया। फिर दिल्ली से गोवा जा रहे गो फर्स्ट के विमान में एक विदेशी सैलानी ने विमान परिचारिका से छेड़छाड़ करने की कोशिश की। एक विचित्र घटना यह सामने आई कि सोमवार को बंगलुरु हवाई अड्डे पर विमानन कंपनी गो फर्स्ट के एक विमान ने करीब पचास यात्रियों के सवार होने से पहले ही दिल्ली के लिए उड़ान भर लिया। इस लापरवाही के लिए अब भले ही कंपनी ने यात्रियों से माफी मांगी है, लेकिन इससे हवाई यात्रा में पसर रही अव्यवस्था का ही पता चलता है।

इन घटनाओं के मद्देनजर नागर विमानन महानिदेशालय यानी डीजीसीए ने नोटिस जारी किया है और सभी विमान सेवाओं को निर्देश जारी किया है कि वे किस तरह मुसाफिरों के साथ पेश आएं, जांच आदि में क्या सावधानियां बरतें। किसी भी विमान में इस तरह की घटना होती है, तो उसे वह पूरी कंपनी बदनाम होती है, इसलिए इन विमान कंपनियों ने निस्संदेह खुद भी कुछ सावधानी बरतने के उपाय किए होंगे।

मगर सवाल है कि इस तरह की घटनाओं की नौबत ही क्यों आ रही है। इसकी पहली वजह तो यही है कि प्रतिस्पर्धी कारोबार के चलते तमाम निजी विमानन कंपनियां मुसाफिरों को आकर्षित करने का प्रयास खूब करती हैं और इसमें किराए को लेकर सबसे अधिक बदलाव किए जाते हैं। फिर जिस तरह रेलों और सड़क मार्ग से सफर करने में समय काफी लगता है और उनका किराया भी कम नहीं रह गया है, तब से बहुत सारे लोग हवाई जहाज से चलना सुविधाजनक मानने लगे हैं। निजी विमानन कंपनियों को उड़ान के घंटे और अपने बेड़े में विमानों की संख्या बढ़ाने संबंधी नियमों को भी पहले से काफी लचीला बना दिया गया है, जिसके चलते अब छोटे-छोटे शहरों के लिए भी विमान सेवाएं शुरू हो चुकी हैं।

अब यह तथ्य छिपा नहीं है कि हवाई सेवाओं पर यात्रियों का दबाव तो बढ़ा है, मगर उस अनुपात में विमानन कंपनियों ने अपने संसाधन और सुविधाओं में विस्तार नहीं किया है। पिछले दिनों दिल्ली और मुंबई हवाई अड्डों पर सामान और मुसाफिरों की जांच में लगने वाले लंबे वक्त को लेकर बड़ी संख्या में शिकायतें आर्इं तो संसदीय समिति और उड्डयन मंत्रालय को इस पर सक्रिय होना पड़ा।

जाहिर है, इस तरह भीड़ को जल्दी जांच आदि कामों से निपटाने का प्रयास होगा, तो नशा करके या नशीले पदार्थ साथ लेकर चलने वालों को मौका मिलेगा ही। फिर, विमान के भीतर सुव्यवस्था बनाने की जिम्मेदारी चालक दल की होती है। अगर कोई मुसाफिर अभद्र व्यवहार करता है, तो जाहिर है, यह चालक दल की भी कमी है। कारोबारी होड़ ठीक बात है, मगर मुसाफिरों की सुरक्षा और सुविधा का ध्यान न रखा जाए, तो सवाल उठेंगे ही।