एहतियात की जरूरत(सम्पादकीय)

क्लू टाइम्स, सुरेन्द्र कुमार गुप्ता 9837117141

(सम्पादकीय)

एहतियात की जरूरत

यह सही है कि भारत में फिलहाल कोरोना संक्रमण की रफ्तार धीमी है, लेकिन यह बहुत व्यापक स्तर पर उठाए गए कदमों और बहुस्तरीय सावधानी का एक सकारात्मक हासिल है। यह सुरक्षित स्थिति कायम रहे और इस महामारी से पूरी तरह आजादी मिले, यह सभी की इच्छा होगी।

एहतियात की जरूरत
बीजिंग स्थित एक अस्पताल के बाहर की झलक (REUTERS)

इसके लिए जरूरी है कि जिन उपायों के सहारे हमारा देश कोरोना विषाणु के खतरे की जद से बाहर आ सका है, उनके प्रति अब भी कुछ समय तक लापरवाही नहीं बरती जाए। चीन से अभी जैसी खबरें आ रही हैं, वे चिंता पैदा करने वाली हैं। वहां अचानक एक बार फिर संक्रमण बढ़ गया है और इससे वहां का जन-जीवन बाधित हो रहा है।


इसके मद्देनजर भारत में अगर समय रहते कोरोना संक्रमण से बचाव की तैयारी शुरू हो गई है, तो यह उचित ही है। पिछले दो-तीन दिनों में सरकार ने इस मसले पर कई स्तर पर चौकसी बरतने के संकेत दिए हैं। इसी क्रम में गुरुवार को प्रधानमंत्री ने अधिकारियों से किसी भी तरह की लापरवाही न बरतने को लेकर आगाह किया और कोरोना के मामलों पर सख्त निगरानी की सलाह दी।

दरअसल, चीन, अमेरिका और कुछ अन्य देशों में पिछले कुछ दिनों से कोरोना के एक नए बहुरूप ओमीक्रान बीएफ.7 के संक्रमण के मामले सामने आए हैं, उससे सभी का चिंतित होना लाजिमी है। करीब तीन साल पहले जब पहली बार चीन के वुहान से कोरोना विषाणु के संक्रमण और उसके जानलेवा खतरों की खबरें आई थीं, तब बहुत सारे लोगों को लगा था कि संभवत: इसका असर चीन तक ही सीमित रहेगा। मगर कुछ ही महीनों के भीतर दुनिया भर में यह विषाणु जिस तरह फैल गया और इसकी जद में आने वाले लाखों लोगों को असमय ही अपनी जान गंवानी पड़ी, उसकी याद आज भी हर व्यक्ति को दहला देती है।

इस जानलेवा विषाणु की मार के कई गंभीर दौर आए और उसके बाद भी इसका असर अब तक पूरी तरह खत्म नहीं हुआ है। जाहिर है, एक बार फिर चीन और अन्य कुछ देशों से इस विषाणु के नए बहुरूप के फैलने की खबरों के बाद हर तरफ चिंता की लकीरें उग आई हैं। इसलिए प्रधानमंत्री ने इस मसले पर सावधानी बरतने और बचाव के उपायों को लेकर सजग रहने की जो बात कही है, वह वक्त का तकाजा है।

संभव है कि कुछ लोगों को लगता हो कि देश में अब कोरोना का जोर कमजोर पड़ गया है। लेकिन इससे बचाव को लेकर सतर्क रहने की सलाह सबके हित में है। राजनीतिक दलों की ओर से चलाए जा रहे अभियानों में भी अपने स्तर पर कुछ सतर्कता बरती जानी चाहिए। इससे अच्छा क्या होगा कि एक बार फिर कोरोना के अन्य बहुरूपों के पांव जमाने से पहले ही उससे बचाव की दीवार खड़ी कर ली जाए, ताकि अतीत में हुए व्यापक जानमाल के नुकसान से लोगों को फिर न गुजरना पड़े।

संक्रमण से सुरक्षा के लिए मास्क लगाने और सुरक्षित दूरी बरतने जैसे बहुत साधारण रास्तों के जरिए हालत बिगड़ने से रोका जा सकता है। यों भारत में टीकाकरण और रोग प्रतिरोधक क्षमता के लिए प्राकृतिक रूप से अनुकूल स्थितियों की वजह से सुरक्षा का एक घेरा पहले से तैयार है, फिर भी अगर हर स्तर पर एहतियात और चौकसी का मामूली खयाल भी रखा जाए तो मौजूदा राहत को कायम रखने में मदद मिल सकती है।