भारत को जी-20 की अध्यक्षता, विश्व समुदाय का देश पर बढ़ता भरोसा(सम्पादकीय)

 क्लू टाइम्स, सुरेन्द्र कुमार गुप्ता 9837117141

भारत को जी-20 की अध्यक्षता, विश्व समुदाय का देश पर बढ़ता भरोसा

(सम्पादकीय)


भारत को ऐसे समय जी-20 की अध्यक्षता मिली है, जब दो बड़े अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन देश में हो चुके हैं।

विश्व समुदाय इसकी भी अनदेखी नहीं कर सकता कि जब दुनिया कोविड महामारी से जूझ रही थी तब भारत ने किस तरह विभिन्न देशों की हरसंभव सहायता की। ऐसी सहायता दुनिया के कई समर्थ और शीर्ष देश भी नहीं कर सके।


भारत को दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं वाले देशों के समूह जी-20 की अध्यक्षता मिलना एक उल्लेखनीय उपलब्धि है। भारत को यह दायित्व पहली बार मिला है। इससे न केवल यह सिद्ध होता है कि विश्व मंच पर भारत का कद बढ़ रहा है, बल्कि यह भी कि अंतरराष्ट्रीय समस्याओं को सुलझाने में उसकी क्षमता भी बढ़ रही है। निःसंदेह इसकी एक व्याख्या इस रूप में भी हो सकती है कि विश्व समुदाय का भारत पर भरोसा बढ़ रहा है।

इस भरोसे के बढ़ने का एक बड़ा कारण भारत की आर्थिक सामर्थ्य में वृद्धि के साथ अंतरराष्ट्रीय मामलों में दुनिया को प्रभावित करने वाली नीतियां हैं। इन प्रभावशाली नीतियों की एक झलक चीन से टकराव के दौरान तो मिली ही, रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान भी दिखाई दी।

विश्व समुदाय इसकी भी अनदेखी नहीं कर सकता कि जब दुनिया कोविड महामारी से जूझ रही थी, तब भारत ने किस तरह विभिन्न देशों की हरसंभव सहायता की। ऐसी सहायता दुनिया के कई समर्थ और शीर्ष देश भी नहीं कर सके। वास्तव में इसी कारण बीते कुछ समय से विश्व समुदाय महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय मामलों में भारत के रुख-रवैये की ओर देखता है। भारत को एक ऐसे समय जी-20 की अध्यक्षता मिली है, जब हाल में दो बड़े अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन देश में हो चुके हैं। एक आतंकवाद पर संयुक्त राष्ट्र की बैठक के रूप में और दूसरा इंटरपोल महासभा के आयोजन के रूप में। अब इसी तरह का एक अन्य आयोजन-नो मनी फार टेरर यानी एनएमएफटी के नाम से होने जा रहा है। ये आयोजन यदि कुछ रेखांकित कर रहे हैं तो यही कि भारत के बढ़ते अंतरराष्ट्रीय प्रभाव को विश्व समुदाय स्वीकार कर रहा है।

चूंकि जी-20 की अध्यक्षता करते हुए भारत को इस समूह का एजेंडा तय करने का अधिकार होगा, इसलिए विश्व के बड़े देश एक तरह से भारतीय नेतृत्व की ओर से दिखाई गई राह पर चलेंगे। वे इसीलिए चलेंगे, क्योंकि आर्थिक और कूटनीतिक मामलों में वे भारत की अनदेखी करने की स्थिति में नहीं हैं। वैसे तो भारत की अध्यक्षता में जी-20 देशों का सम्मेलन अगले वर्ष सितंबर में होगा, लेकिन इस आयोजन के सिलसिले में अगले माह से ही विभिन्न बैठकों का सिलसिला शुरू हो जाएगा, जो करीब वर्ष भर चलेगा।

चूंकि ये बैठकें देश के विभिन्न हिस्सों में होंगी, इसलिए विश्व समुदाय को भारत को कहीं अच्छी तरह से जानने का अवसर मिलेगा। भारत जी-20 की अध्यक्षता करते हुए किस रीति-नीति पर चलेगा, इसकी एक झलक हाल ही में तब मिली, जब प्रधानमंत्री ने इस समूह के आगामी सम्मेलन के लोगो, थीम और वेबसाइट को जारी किया। यह सही है कि इस समय विश्व अनिश्चितता से ग्रस्त है, लेकिन भारत ने वसुधैव कुटुंबकम् की भावना से काम करने का संकल्प लेकर दुनिया की उम्मीद बढ़ाने का काम किया है।