क्लू टाइम्स, सुरेन्द्र कुमार गुप्ता। 9837117141

आजकल पशु प्रेम की दुनिया में वफ़ा बढ़ती जा रही है। इंसान ने इंसान से बेवफाई का डोज़ बढ़ा दिया है तभी यह सोच उग रही है कि इंसान को छोड़ो जानवरों की परवाह करो। जानवरों से खूब प्यार किया जा रहा है। इन प्रेमियों का नारा है, जानवरों की परवाह के लिए बैठक करो, सबको भाषण बांटो, अपना पशु प्रेम प्रकट करो, कुत्तों को सड़क गलियों में ब्रेड खिलाओ। फोटो खिंचवाओ सोशल मीडिया पर डालो, अखबार में फोटो और खबर छपवाओ। साबित कर दो कि हम सबसे ज़्यादा बड़े पशु प्रेमी हैं। बोलते रहो कि जब कोई आवारा कुत्तों को मारता, भगाता, खाने को नहीं देता तो हमें बहुत दुःख होता है। वैसे तो सरकारजी ने नामपट्ट लगवा रखे है कि बंदरों को खाने को न दें।
कोई बीमार हो, विद्यार्थियों की परीक्षा हो तो पता नहीं चलता कब भौंकना शुरू कर दें। नगरपालिकाजी के कर्मचारी, पार्षदों की राजनीतिक पहुंच की गोद में पलते हैं इसलिए अक्सर कहते हैं अभी हमारे संज्ञान में नहीं आया है। एक कुत्ता कम वक़्त में सात बंदों को काट खाए तो उनका ब्यान आएगा, हम मामले पर पूरी नज़र रखे हुए हैं। कर्मियों को कुत्ता पकड़ने के निर्देश दे दिए गए हैं। लगता है जिस कुत्ते ने काटा है कर्मी सिर्फ उसे ही पकड़ेंगे बाकियों को आम लोग भुगतते रहेंगे।
वैसे कुत्तों से हम आज या कल भी, काफी कुछ सीख सकते हैं। वे अपना ज़मीर नहीं बेचते न ही इंसान की तरह किसी को खरीदने की कोशिश करते हैं। वफादारी के लिए हमेशा प्रसिद्ध रहे हैं और उनका यह गुण अभी भी स्थापित है। वफाई साबित करने के लिए अपनी जान तक दे देते हैं। विकसित इंसान के लिए ऐसा करना दिन प्रतिदिन दिन मुश्किल होता जा रहा है। जानवरों ने अपनी भाषा और बोली कभी नहीं बदली। इस बारे अपने समाज में कभी पंगा नहीं किया। शुक्र है जानवरों ने इंसानों की भाषा और बोली नहीं सीखी नहीं तो पता नहीं क्या क्या हो जाता।
यह दिलचस्प है कि कुत्ते पालने में इंसान का स्वार्थ ही छिपा होता है। वह उनसे आशा रखता है कि पूरी निष्ठा से अपनी ज़िम्मेदारी निभाएं। सड़क छाप आवारा कुत्तों की देखभाल तो वह सिर्फ प्यार जताने के लिए करता है।