सुरक्षा पर सियासत(सम्पादकीय)

 क्लू टाइम्स, सुरेन्द्र कुमार गुप्ता 9837117141

(सम्पादकीय)

सुरक्षा पर सियासत

झारखंड के देवघर हवाईअड्डे पर कुछ भाजपा नेताओं के जबरन उड़ान भरने की इजाजत का मामला अब तूल पकड़ चुका है.

सुरक्षा पर सियासतजब कानून बनाने वाले खुद कानून तोड़ने का प्रयास करते देखे जाते हैं, तो स्वाभाविक ही चौतरफा चिंता उभरती है। मगर विचित्र है कि संवेदनशील विषयों को भी राजनीतिक रंग दे दिया जाता है। झारखंड के देवघर हवाईअड्डे पर कुछ भाजपा नेताओं के जबरन उड़ान भरने की इजाजत लेने को लेकर यही हो रहा है। भाजपा के दो सांसदों निशिकांत दुबे और मनोज तिवारी समेत सात लोग एक निजी विमान से झारखंड के दुमका में जला कर मार डाली गई लड़की के परिवार वालों से मिलने गए थे।

वहां से लौटते वक्त उनके विमान को उड़ान भरने की इजाजत इसलिए नहीं दी गई कि उस हवाईअड्डे पर सूर्यास्त के बाद हवाई सेवाएं संचालित नहीं होतीं। मगर भाजपा नेताओं ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए उड़ान भरने की इजाजत लेने की कोशिश की। वे सुरक्षा घेरा तोड़ते हुए चालक दल समेत हवाई यातायात नियंत्रण कक्ष यानी एटीसी में घुस गए और जबरन उड़ान भरने की इजाजत ली। इस पर एटीसी अधिकारी की तरफ से निशिकांत दुबे समेत सात लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई गई है। अब यह मामला तूल पकड़ चुका है। निशिकांत दुबे, झारखंड के मुख्यमंत्री और देवघर के जिलाधिकारी के बीच पहले ट्विटर वाकयुद्ध हुआ अब इसे राजनीतिक रंग दे दिया गया है।

दरअसल, देवघर हवाईअड्डे को थोड़े समय पहले ही खोला गया है। अभी वहां रात को विमान संचालन की सुविधाएं नहीं हैं। जिन हवाई अड्डों पर यह सुविधा नहीं होती वहां सूर्यास्त से आधा घंटा पहले ही उड़ानें बंद कर दी जाती हैं। ऐसा सुरक्षा कारणों से किया जाता है। हवाई सेवाओं को संचालित करने वाले प्राधिकरण डीजीसीए ने इससे संबंधित नियम बना रखे हैं। मगर कथित रूप से भाजपा नेताओं ने विमान तय समय के बाद उड़ाने की इजाजत लेने की कोशिश की।

हालांकि भाजपा नेताओं का तर्क है कि निर्धारित समय से पांच मिनट पहले वे अपने विमान में बैठ चुके थे। दोनों पक्ष अपने-अपने तर्क पर टिके हैं। पर इस मामले में गंभीर बात यह है कि भाजपा नेता हवाई यातायात नियंत्रण कक्ष के भीतर घुस गए। यह कक्ष अत्यंत संवेदनशील माना जाता है और इसके सुरक्षा घेरे को तोड़ना गंभीर अपराध की श्रेणी में आता है। ऐसा नहीं माना जा सकता कि भाजपा नेता इस बात को नहीं समझते थे। मगर फिर भी वे जबरन एटीसी में घुसे, तो जाहिर है कि उन्हें अपने सत्तारूढ़ दल का सांसद होने का गुरूर रहा होगा।

इस तरह राजनेताओं के अपने प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए नियम-कायदों की धज्जियां उड़ाने और अपने कर्तव्य का निर्वाह करने वाले अधिकारियों, कर्मचारियों पर बेजा काम करने का दबाव डालने का यह कोई पहला और नया मामला नहीं है। यह एक सामान्य बात मानी जाने लगी है। मगर चूंकि झारखंड में दूसरे दल की सरकार है और वहां हुई जघन्य हत्या के विरोध में ये नेता गए थे, इसलिए देवघर हवाईअड्डे के मामले को राजनीतिक रंग देकर कहा जा रहा है कि ऐसा राज्य सरकार के इशारे पर किया गया।

नियमों की अनदेखी से उड़ान भरने वाले लोगों को भी खतरा था। कम दृश्यता में हवाई जहाज उड़ाने या उतारने की इजाजत विशेष स्थितियों में दी जाती है, पर उसमें भी देखा जाता है कि चालक दल को ऐसे वातावरण में जहाज उड़ाने का माकूल प्रशिक्षण है या नहीं। फिर एटीसी में जबरन घुस कर इजाजत लेना किसी कानून बनाने वाले का उचित आचरण नहीं माना जा सकता।