क्लू टाइम्स, सुरेन्द्र कुमार गुप्ता। 9837117141
![Sarva Pitru Amavasya Sarva Pitru Amavasya](https://images.prabhasakshi.com/2022/9/sarva-pitru-amavasya_large_1857_23.webp)
सर्वपितृ अमावस्या के दौरान वास्तव में पितरों की विदाई की जाती है। इसलिए इस दिन को पितृ विसर्जन के नाम से भी जाना जाता है। इस विशेष दिन का बहुत खास महत्व है। यह हर साल अश्विन माह की कृष्ण पक्ष की अमावस्या के दिन इसे किया जाता है। यहा हम जानेंगे कि पितृ विसर्जन कब होग और इसका क्या विशेष महत्व है?
महत्व
यह हम सभी जानते हैं कि हिंदू धर्म में पितृपक्ष का बहुत खास महत्व होता है। इसकी शुरुआत अश्विन माह की प्रतिपदा तिथि यानी 11 सितंबर से हो चुकी है। अब सर्वपितृ अमावस्या के दिन पितृपक्ष का समापन होगा। इस समय अपने पूर्वजों के मृत्यु की तिथि पर उनका तर्पण और श्राद्ध किया जाता है। लेकिन जिन लोगों को अपने पूर्वजों की मुत्यु तिथि ज्ञान नहीं होती है, वे सर्वपितृ अमावस्या के दिन इस अनुष्ठान को संपन्न करते हैं। इस वजह से यह दिन काफी महत्वपूर्ण हो जाता है।
अमावस्या तिथि
पंचांग के अनुसार आश्विन मास की अमावस्या तिथि 25 सितंबर, रविवार 03:12 से शुरू होकर 26 सितंबर सोमवार 03:24 तक रहेगी। जबकि 25 सितंबर अमावस्या तिथि रहेगी। यह दिन काफी शुभ होगा, क्योंकि इस दिन उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र पड़ेगा। इसके अलावा शुभ और शुक्ल नाम के दो शुभ योग भी इसी दिन पड़ेंगे। इस तरह देखा जाए तो यह दिन काफी खास होने वाला है।
श्राद्ध करने की विधि
विशेषज्ञों की मानें तो सर्वपितृ अमावस्या के दिन प्रात: काल जातकों को सबसे पहले स्नान करना चाहिए। इसके बाद गायत्री मंत्र का जाप करते हुए सूर्य भगवान को जल अर्पित करना चाहिए। घर में श्राद्ध के लिए विशेष भोजन बनाना चाहिए। भोजन से गाय, कुत्ते, कौए, देव एवं चीटिंयों के लिए कुछ अंश निकालना चाहिए। इसे पंचबलि कहा जाता है। भोजन देने के बाद श्रद्धा से अपने पितरों की मंगल कामना के लिए प्रार्थना करनी चाहिए। आप चाहें तो इस दिन ब्राह्मण या किसी जरूरतमंद को भोजन करवा सकते हैं। वैसे इस कर्म को शुभ माना जाता है और यह किया जाना चाहिए। सांयकाल अपनी क्षमता अनुसार दो, पांच अथवा सोलह दिए जलाने चाहिए। सर्वपितृ अमावस्या के दिन ज्ञात-अज्ञात पितरों के निमित्त तर्पण, पिंडदान, दान, श्राद्ध करना चाहिए। अगर आपकी क्षमता में है, तो गरीबों, निशक्तों, अपंगों, दृष्टिीहीनों को पितरों के निमित्त खीर और दूध खाने के दें। ब्राह्मण को दान देना न भूलें। इससे आपको उनका आशीर्वाद प्राप्त होगा। इसके अलावा इस दिन गौ, श्वान, काक, चीटी, मछली को भी भोजन करवाया जाता है। अपनी प्रार्थना संपन्न विष्णुसहस्रनाम का पाठ करके कर सकते हैं।
अन्य उपाय
- सर्वपितृ अमावस्या के दिन पितरों की शांति के लिए गीता के सातवें अध्याय का पाठ किया जाना चाहिए।
- इसके साथ ही अपने पितरों को फल समर्पित करना चाहिए।
- जो जातक पितृपक्ष के 15 दिनों तक तर्पण, श्राद्ध आदि नहीं कर सकते या जिन्हें अपने पितरों की मृत्यु तिथि याद नहीं है, उन्हें अमावस्या के दिन यह सब करना चाहिए।