गाजियाबाद में स्वाइन फ्लू के मामलों में तेजी से बढ़ोतरी

क्लू टाइम्स, सुरेन्द्र कुमार गुप्ता 9837117141

Swine Flu Cases: गाजियाबाद में स्वाइन फ्लू के अब तक 60 मरीज मिले, ये लक्षण दिखे तो तुरंत कराएं जांच

गाजियाबाद, आशीष वाल्डन। गाजियाबाद में स्वाइन फ्लू के मामलों में तेजी से बढ़ोतरी हो है। जिले भर की बात करें तो अब तक स्वाइन फ्लू के 60 मरीज मिल चुके हैं। ज्यादातर स्वाइन फ्लू के मरीज निजी अस्पतालों में भर्ती है। इनमें से कई को हालत गंभीर होने पर दिल्ली रेफर किया गया है।

अस्पतालों में उचित व्यवस्था का अभाव

तेजी से स्वाइन फ्लू के बढ़ते आंकड़ों के बावजूद सरकारी अस्पतालों में संक्रमित मरीजों को भर्ती करने के लिए अभी तक वार्ड आरक्षित नहीं किए गए हैं। इसके अलावा जिला स्तरीय पैथोलॉजी लैब में स्वाइन फ्लू की जांच का भी कोई इंतजाम नहीं है। इसके अलावा संक्रामक रोगों में डेंगू, मलेरिया ,डायरिया के साथ ही डिप्थीरिया के केस भी मिल रहे हैं। संक्रामक रोगों की रोकथाम के लिए चलाया गया दस्तक अभियान फाइलों में दम तोड़ रहा है।


मौसमी फ्लू जैसे होते हैं लक्षण

स्वाइन फ्लू को H1N1 फ्लू के नाम से जाना जाता है। स्वाइन फ्लू या एच1एन1 फ्लू इन्फ्लूएंजा-ए वायरस के परिवार का हिस्सा है। इन्फ्लुएंजा वायरस मरीज के नाक, गले और फेफड़ों की कोशिकाओं को संक्रमित करते हैं। इसके लक्षण काफी हद तक सामान्य फ्लू के लक्षणों के जैसे होते हैं, जिसके कारण इन्हें पहचानने में थोड़ी परेशानी होती है। डॉक्टर्स H1N1 टेस्ट के जरिए मरीजों में स्वाइन फ्लू के संक्रमण की जांच करते हैं।

हवा से फैलता है वायरस

स्वाइन फ्लू हवा के जरिए एक इंसान से दूसरे इंसान में फैल सकता है। जब कोई संक्रमित व्यक्ति छींकता या खांसता है, तो इसके ड्रॉपलेट्स के संपर्क में आने वाला व्यक्ति संक्रमित हो सकता है। स्वाइन फ्लू के लक्षण सामान्य फ्लू की तरह ही होते हैं, जैसे-

  • सूखी खांसी
  • बुखार
  • सिरदर्द 
  • गले में जलन
  • सांस फूलने

इन लोगों को विशेष सतर्कता बरतने की जरूरत

स्वाइन फ्लू सूअरों में पाए जाने वाले इन्फ्लूएंजा स्ट्रेन की वजह से होती है। हालांकि, यह जानवरों से मनुष्य में नहीं फैल सकता। विशेषज्ञों की मानें तो बच्चे और महिलाओं के अलावा एड्स, एचाईवी और अस्थमा जैसी बीमारियों से पीड़ित मरीजों के लिए यह रोग खतरनाक होती है।

इस बीमारी का सबसे पहले साल 1919 में पता चला था। वहीं, भारत में स्वाइन फ्लू का पहला मामला साल 2009 में दर्ज किया गया था। प्राथमिक स्तर पर स्वाइन फ्लू के मरीजों इलाज संभव है। मगर लापरवाही बरतने पर यह खतरनाक साबित हो सकती है। इसलिए स्वाइन फ्लू के लक्षण दिखने पर सबसे पहले डॉक्टर से सलाह लें।