वामन जयंती इस विधि से करें भगवान विष्णु के वामन अवतार की पूजा

  क्लू टाइम्स, सुरेन्द्र कुमार गुप्ता 9837117141

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वामन जयंती त्योहार दक्षिण और उत्तर भारत की संस्कृति को जोड़ता है। कहा जाता है कि इस दिन व्रत रखने से भगवान विष्णु के वामन अवतार की पूजा करने और उनकी कथा सुनने से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और व्यक्ति को जीवन में सफलता व सर्वोच्च पद की प्राप्ति होती है।

भाद्रपद शुक्ल पक्ष की द्वादशी को भगवान वामन की जयंती मनाई जाती है। भगवान विष्णु ने त्रिविक्रम नाम से पांचवें अवतार के रूप में जन्म लिया, जिसे बाद में वामन कहा गया। इससे पहले भगवान विष्णु ने चार अवतार पशु रूप में लिए। उनका पांचवां अवतार मनुष्य रूप में था, जिसे वामन कहा गया। इस बार वामन जयंती 7 सितंबर गुरुवार को मनाई जा रही है। यह दिन कई मायनों में खास है, जिसके बारे में आज हम आपको इस लेख में बता रहे हैं-

वामन जयंती का शुभ मुहूर्त

पंचांग के अनुसार भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि 7 सितंबर 2022 दिन बुधवार को सुबह 3 बजकर 4 मिनट से आरंभ हो रही है द्वादशी तिथि का समापन 8 सितंबर दिन गुरुवार को सुबह 12 बजकर 4 मिनट पर समाप्त हो जाएगा। अमृत काल सुबह 10:11 से 11:38 बजे तक का है। जबकि विजय मुहूर्त दोपहर 02:40 से दोपहर 03:30 बजे तक है। 

वामन जयंती का महत्व

यह त्योहार दक्षिण और उत्तर भारत की संस्कृति को जोड़ता है। कहा जाता है कि इस दिन व्रत रखने से भगवान विष्णु के वामन अवतार की पूजा करने और उनकी कथा सुनने से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और व्यक्ति को जीवन में सफलता व सर्वोच्च पद की प्राप्ति होती है। इस दिन भक्त गण पूरे भक्ति भाव से भगवान विष्णु के वामन अवतार की पूजा करते हैं और व्रत भी रखते हैं।

वामन अवतार की कथा 

सतयुग में प्रह्लाद के पौत्र दैत्यराज बलि ने स्वर्ग पर अधिकार कर लिया था। इस आपदा से बचने के लिए सभी देवता भगवान विष्णु के पास गए। तब भगवान विष्णु ने कहा कि मैं स्वयं देवमाता अदिति के गर्भ से जन्म लेकर तुम्हें स्वर्ग का राज्य दूंगा। कुछ समय बाद भगवान विष्णु ने वामन के रूप में अवतार लिया।

एक बार जब बलि एक महान यज्ञ कर रहे थे, भगवान वामन बलि के यज्ञशाला में गए और राजा बलि से तीन पग भूमि दान करने को कहा। राजा बलि के गुरु शुक्राचार्य ने भगवान की लीला को समझा और बलि को दान देने से मना कर दिया। लेकिन बलि ने फिर भी भगवान वामन को पृथ्वी के तीन कदम दान करने का संकल्प लिया। भगवान वामन ने एक विशाल रूप धारण किया और एक कदम में पृथ्वी को और दूसरे चरण में स्वर्गीय दुनिया को मापा। जब तीसरा कदम उठाने के लिए कोई जगह नहीं बची, तो बलि ने भगवान वामन से अपने सिर पर कदम रखने के लिए कहा। इस तरह भगवान वामन ने देवताओं की मदद की और उन्हें स्वर्ग लौटा दिया।