जानिए गणेश चतुर्थी के दस दिन बाद ही क्यों किया जाता है बप्पा की मूर्ति का विसर्जन

 क्लू टाइम्स, सुरेन्द्र कुमार गुप्ता 9837117141

ganesh visarjan
गणपति बप्पा की मूर्ति को दस दिन बाद नदी में विसर्जित पीछे की मुख्य वजह महाभारत और वेदव्यास से जुड़ी है। दरअसल, महाभारत के रचयिता महर्षि वेदव्यास ने भगवान गणेश से इसे लिपिबद्ध करने की प्रार्थना की थी।
विघ्नहर्ता गणपति बप्पा अपने भक्तों के सभी दुखों को दूर करते हैं। गणेश चतुर्थी के दिन लोग बड़े ही हर्षोल्लास के साथ बप्पा की मूर्ति को अपने घर लाकर उसकी स्थापना करते हैं और पूरी श्रद्धा व भक्ति-भाव से उनका पूजन करते हैं। करीबन दस दिनों तक गणेशोत्सव का यह पर्व चलता है, इसके बाद अनंत चतुर्दशी के दिन बप्पा की मूर्ति का विसर्जन कर दिया जाता है। उस दौरान हर भक्त के मन में यही इच्छा होती है कि बप्पा अगले साल फिर उनके आंगन में पधारें। लेकिन क्या आपके मन में कभी यह सवाल आया है कि आखिर हर साल अनंत चतुर्दशी के दिन ही या फिर बप्पा की मूर्ति की स्थापना करने के दस दिन बाद उनकी मूर्ति का विसर्जन क्यों किया जाता है। तो चलिए आज इस लेख में हम आपको इस बारे में बता रहे हैं-

महाभारत और वेदव्यास हैं इसका कारण

गणपति बप्पा की मूर्ति को दस दिन बाद नदी में विसर्जित पीछे की मुख्य वजह महाभारत और वेदव्यास से जुड़ी है। दरअसल, महाभारत के रचयिता महर्षि वेदव्यास ने भगवान गणेश से इसे लिपिबद्ध करने की प्रार्थना की थी। भगवान गणेश ने उनकी इस प्रार्थना को स्वीकार किया था और महाभारत लेखन का कार्य गणेश चतुर्थी के दिन से ही शुरू किया गया था।

भगवान गणेश ने रखी थी यह शर्त

हालांकि, भगवान गणेश ने महर्षि वेदव्यास की प्रार्थना को तो मान लिया था, लेकिन उन्होंने महाभारत को लिपिबद्ध करने के लिए एक शर्त रखी थी। भगवान गणेश ने कहा था कि अगर वह एक बार लिखना शुरू करेंगे तो अपनी कलम नहीं रोकेंगे। अगर कहीं कलम रुक गई तो वह भी वहीं पर लिखना भी बंद कर देंगे। जिसके बाद महर्षि वेदव्यास ने भगवान से प्रार्थना करते हुए कहा था कि वह तो एक साधारण ऋषि हैं और अगर श्लोकों के दौरान उनसे कोई गलती हो जाए तो बप्पा उसे ठीक करते हुए लिपिबद्ध करते जाएं। जिसके बाद महाभारत लेखन का कार्य शुरू हुआ। इसे पूरा होने में करीबन 10 दिन लग गए।

जड़वत हो गए थे भगवान गणेश

जिस दिन गणेश जी ने महाभारत लेखन का कार्य पूरा किया, उस दिन अनंत चतुर्दशी थी। लेकिन लगातार दस दिनों तक बिना रूके लिखने के कारण भगवान गणेश का शरीर जड़वत हो चुका था। उनके शरीर पर धूल-मिट्टी भी जम गई थी। जिसके बाद, भगवान गणेश ने सरस्वती नदी में स्नान करके धूल-मिट्टी को साफ किया। यही कारण है कि गणपति स्थापना 10 दिन के लिए की जाती है और फिर 10 दिनों के बाद अनंत चतुर्दशी पर गणेश जी की प्रतिमा का विसर्जन करते हैं।