क्लू टाइम्स, सुरेन्द्र कुमार गुप्ता। 9837117141

महाभारत और वेदव्यास हैं इसका कारण
गणपति बप्पा की मूर्ति को दस दिन बाद नदी में विसर्जित पीछे की मुख्य वजह महाभारत और वेदव्यास से जुड़ी है। दरअसल, महाभारत के रचयिता महर्षि वेदव्यास ने भगवान गणेश से इसे लिपिबद्ध करने की प्रार्थना की थी। भगवान गणेश ने उनकी इस प्रार्थना को स्वीकार किया था और महाभारत लेखन का कार्य गणेश चतुर्थी के दिन से ही शुरू किया गया था।
भगवान गणेश ने रखी थी यह शर्त
हालांकि, भगवान गणेश ने महर्षि वेदव्यास की प्रार्थना को तो मान लिया था, लेकिन उन्होंने महाभारत को लिपिबद्ध करने के लिए एक शर्त रखी थी। भगवान गणेश ने कहा था कि अगर वह एक बार लिखना शुरू करेंगे तो अपनी कलम नहीं रोकेंगे। अगर कहीं कलम रुक गई तो वह भी वहीं पर लिखना भी बंद कर देंगे। जिसके बाद महर्षि वेदव्यास ने भगवान से प्रार्थना करते हुए कहा था कि वह तो एक साधारण ऋषि हैं और अगर श्लोकों के दौरान उनसे कोई गलती हो जाए तो बप्पा उसे ठीक करते हुए लिपिबद्ध करते जाएं। जिसके बाद महाभारत लेखन का कार्य शुरू हुआ। इसे पूरा होने में करीबन 10 दिन लग गए।
जड़वत हो गए थे भगवान गणेश
जिस दिन गणेश जी ने महाभारत लेखन का कार्य पूरा किया, उस दिन अनंत चतुर्दशी थी। लेकिन लगातार दस दिनों तक बिना रूके लिखने के कारण भगवान गणेश का शरीर जड़वत हो चुका था। उनके शरीर पर धूल-मिट्टी भी जम गई थी। जिसके बाद, भगवान गणेश ने सरस्वती नदी में स्नान करके धूल-मिट्टी को साफ किया। यही कारण है कि गणपति स्थापना 10 दिन के लिए की जाती है और फिर 10 दिनों के बाद अनंत चतुर्दशी पर गणेश जी की प्रतिमा का विसर्जन करते हैं।