पौधारोपण की जांच में अब किसी भी तरह का घपला नहीं चल पाएगा, अधिकारियों को मौके पर जाकर करनी होगी पौधारोपण की जांच

क्लू टाइम्स, सुरेन्द्र कुमार गुप्ता 9837117141

Plantation In UP: यूपी में पौधारोपण की जांच में अब नहीं चल पाएगा घपला

लखनऊ,चन्द्रप्रकाश गोविल। पौधारोपण की जांच में अब किसी भी तरह का घपला नहीं चल पाएगा। अधिकारियों को मौके पर जाकर पौधारोपण की जांच करनी होगी। इसके लिए वन वभाग ने हरीतिमा मोबाइल एप तैयार करवाया है।


अधिकारियों को मौके पर जाकर मोबाइल एप के जरिए फोटो व जांच रिपोर्ट अपलोड करनी होगी। जैसे ही फोटो व जांच रिपोर्ट सर्वर पर अपलोड हो जाएगी उसे मुख्यालय पर आसानी से सेटेलाइट के जरिए देखा जा सकेगा। प्रदेश सरकार ने पिछले तीन वर्षों में हुए 30 हजार से अधिक स्थानों पर पौधारोपण का भौतिक सत्यापन कराने का निर्णय लिया है। फील्ड के सभी अधिकारियों को जांच का लक्ष्य भी प्रदान कर दिया गया है।

सहायक वन संरक्षक अपने कार्यक्षेत्र में हुए शत-प्रतिशत पौधारोपण की जांच करेंगे। उप वन संरक्षक को प्रभाग के लक्ष्यों का 50 प्रतिशत पौधारोपण की जांच करनी होगी। वन संरक्षक एवं क्षेत्रीय निदेशक अपने सभी प्रभागों में हुए पौधारोपण में से रैंडम सैंपलिंग से चयनित पांच प्रतिशत स्थलों की जांच करेंगे।

जोनल या फिर मंडल मुख्य वन संरक्षक भी रैंडम सैंपलिंग के आधार पर अपने क्षेत्र में से दो प्रतिशत स्थलों की जांच करेंगे। रैंडम सैंपलिंग भी साफ्टवेयर अपने आप करेगा। अधिकारियों को साफ्टवेयर द्वारा चयनित स्थलों की ही जांच करनी होगी। अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक आइटी विष्णु सिंह ने बताया कि हरीतिमा अमृत वन मोबाइल एप में अधिकारियों को मौके पर जाकर लागिन व पासवर्ड डालना होगा।

फोटो व निरीक्षण रिपोर्ट इस एप में अपलोड करते ही उस स्थल की जियोटैगिंग अपने आप हो जाएगी। वन विभाग का आइटी सेल प्रदेश भर से आने वाली रिपोर्ट व फोटो का विश्लेषण कर अंतिम रिपोर्ट तैयार करेगा।

तीन फोटो खोलेंगे पौधारोपण का राज वन विभाग ने जो मोबाइल एप बनाया है उसमें तीन फोटो खींचकर अपलोड करनी होगी। यही तीन फोटो पौधारोपण का राज खोलेंगी। तीन फोटो में दो फोटो तो पौधारोपण स्थल की होगी जबकि एक फोटो अधिकारियों की निरीक्षण टिप्पणी की होगी। एप से सत्यापन करने से पहले अधिकारियों को पौधारोपण स्थल की बारीकी से जांच करनी होगी।

प्रजातिवार पौधों की जीवितता प्रतिशत भी एप में भरना होगा। एक फोटो पौधारोपण स्थल पर लगे बोर्ड की भी अपलोड होगी। अधिकारियों को सत्यापन करने के लिए एप में पौधारोपण वर्ष का चयन करना होगा। इसके बाद रेंज व स्थल का चयन करना होगा। रोपित किए गए पौधों की संख्या व जीवित पौधों की संख्या का विवरण देना होगा।