क्रेडिट कार्ड, ऑनलाइन भुगतान में तेजी से वृद्धि, यूपीआई लेनदेन बढ़कर हुआ 10.73 लाख करोड़

क्लू टाइम्स, सुरेन्द्र कुमार गुप्ता 9837117141

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क्रेडिट कार्ड और यूपीआई भुगतान का बढ़ता इस्तेमाल खपत बढ़ने का संकेत है। विशेषज्ञों और बाजार से जुड़े लोगों ने यह अनुमान जताया है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के मासिक आंकड़ों के अनुसार, यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (यूपीआई) लेनदेन अगस्त में बढ़कर 10.73 लाख करोड़ रुपये हो गया, जो इस साल अप्रैल में 9.83 लाख करोड़ रुपये था।

क्रेडिट कार्ड और यूपीआई भुगतान का बढ़ता इस्तेमाल खपत बढ़ने का संकेत है। विशेषज्ञों और बाजार से जुड़े लोगों ने यह अनुमान जताया है। ये आंकड़े कोविड महामारी का प्रकोप घटने के बीच आर्थिक गतिविधियों में सुधार की ओर इशारा भी करते हैं। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के मासिक आंकड़ों के अनुसार, यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (यूपीआई) लेनदेन अगस्त में बढ़कर 10.73 लाख करोड़ रुपये हो गया, जो इस साल अप्रैल में 9.83 लाख करोड़ रुपये था।

इसी तरह, पीओएस (पॉइंट ऑफ सेल) टर्मिनल के जरिये क्रेडिट कार्ड खर्च अगस्त में बढ़कर 32,383 करोड़ रुपये हो गया, जो इस साल अप्रैल में 29,988 करोड़ रुपये था। ई-कॉमर्स मंच पर क्रेडिट कार्ड खर्च अगस्त में बढ़कर 55,264 करोड़ रुपये हो गया। यह आंकड़ा अप्रैल में 51,375 करोड़ रुपये था।

एसबीआई कार्ड के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) राम मोहन राव अमारा ने कहा कि आरबीआई के आंकड़ों के अनुसार क्रेडिट कार्ड पर बकाया वित्त वर्ष 2016-17 और वित्त वर्ष 2021-22 के बीच 16 प्रतिशत की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (सीएजीआर) से बढ़ा है। उन्होंने कहा, ‘‘क्रेडिट कार्ड का उपयोग बढ़ने के साथ ही खर्च में भी वृद्धि हुई है। पिछले कुछ महीनों में मासिक क्रेडिट कार्ड खर्च लगातार एक लाख करोड़ रुपये से अधिक रहा है। इससे खपत में मजबूती का संकेत मिलता है। आगामी त्योहारी सत्र से काफी उम्मीदें हैं।’’

पेनियरबाय के संस्थापक, प्रबंध निदेशक और सीईओ आनंद कुमार बजाज ने कहा कि क्रेडिट कार्ड और यूपीआई के जरिये भुगतान की मात्रा और राशि में वृद्धि से देश के डिजिटल भुगतान परिदृश्य की एक सकारात्मक तस्वीर मिलती है। उन्होंने कहा कि इससे पता चलता है कि भारतीय उपभोक्ता अपनी हिचक को छोड़ रहे हैं और वे ऑनलाइन भुगतान करने के लिए अधिक खुले हैं। सर्वत्र टेक्नोलॉजीज के प्रबंध निदेशक और वाइस चेयरमैन मंदार अगाशे के अनुसार खर्च के स्तर में बढ़ोतरी का मतलब है कि खपत में तेजी है। महामारी के चलते पैदा हुई अनिश्चितता लगभग खत्म हो गई है और बाजार सामान्य स्थिति में लौट आए हैं।