विश्वविद्यालयों और उनके शोध प्रकोष्ठों पर ध्यान केंद्रित करने और व्यापक समाधान खोजने का प्रयास करने का आह्वान किया

क्लू टाइम्स, सुरेन्द्र कुमार गुप्ता 9837117141

CJI NV Ramana
न्यायमूर्ति रमण ने कहा कि यह देश की शिक्षा प्रणाली में बदलाव का समय है। सीजेआई ने विश्वविद्यालयों और उनके शोध प्रकोष्ठों से देश को प्रभावित करने वाले मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने और व्यापक समाधान खोजने का प्रयास करने का आह्वान किया।

भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) एन. वी. रमण ने शनिवार को शिक्षा का एक ऐसा मॉडल विकसित करने पर जोर दिया जो छात्रों को वास्तविक जीवन की चुनौतियों का सामना करना सिखाए। हालांकि, उन्होंने इस बात पर अफसोस जताया कि ‘‘कुकुरमुत्ते की तरह तेजी से बढ़ते शिक्षा के कारखानों’’ की वजह से (उच्च शिक्षण) संस्थान सामाजिक प्रासंगिकता खो रहे हैं। आचार्य नागार्जुन विश्वविद्यालय (एएनयू) से डॉक्ट्रेट की मानद उपाधि प्राप्त करने के बाद दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि इस तरह की शिक्षा सामाजिक एकजुटता हासिल करने और आम नागरिक को भी समाज का सार्थक सदस्य बनाने में सहायक होनी चाहिए। सीजेआई ने भी इसी विश्वविद्यालय से पढ़ाई की है।

न्यायमूर्ति रमण ने कहा कि युवाओं को ‘परिवर्तन का प्रबुद्ध वाहक’ बनना चाहिए, जिन्हें विकास के स्थायी मॉडल के बारे में सोचना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘इस चैतन्य को आपके संबंधित क्षेत्रों में अग्रणी होने के दौरान हमारे समुदाय और पर्यावरण की जरूरतों को स्वीकार करना चाहिए।’’ उन्होंने खेद व्यक्त किया कि व्यावसायिक पाठ्यक्रमों का मुख्य केंद्रबिंदु औपनिवेशिक काल की तरह ही एक आज्ञाकारी कार्यबल तैयार करना रह गया है। सीजेआई ने कहा, ‘‘सबसे कठोर वास्तविकता यह है कि विद्यार्थियों के प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी में नामांकन कराने के बाद भी ध्यान कक्षा-आधारित शिक्षण पर होता है, न कि बाहर की दुनिया पर आधारित।’’ उन्होंने कहा कि मानविकी, प्राकृतिक विज्ञान, इतिहास, अर्थशास्त्र और भाषाओं जैसे समान रूप से महत्वपूर्ण विषयों की भरपूर उपेक्षा होती है। उन्होंने कहा, “हम शिक्षा के कारखानों में तेजी से वृद्धि देख रहे हैं जो डिग्री और मानव संसाधनों के अवमूल्यन की ओर ले जा रहे हैं। मुझे समझ नहीं आता कि किसे या किस तरह दोषी ठहराया जाए।’’ 


न्यायमूर्ति रमण ने कहा कि यह देश की शिक्षा प्रणाली में बदलाव का समय है। सीजेआई ने विश्वविद्यालयों और उनके शोध प्रकोष्ठों से देश को प्रभावित करने वाले मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने और व्यापक समाधान खोजने का प्रयास करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि सरकार को इस प्रयास में अनुसंधान और नवाचार के लिए आवश्यक धनराशि निर्धारित करके सक्रिय रूप से सहयोग करना चाहिए। आंध्र प्रदेश के राज्यपाल और एएनयू के कुलाधिपति विश्वभूषण हरिचंदन ने विश्वविद्यालय के 37वें और 38वें दीक्षांत समारोह की अध्यक्षता की। इस मौके पर शिक्षा मंत्री बी सत्यनारायण, कुलपति पी. राजा शेखर और अन्य ने भाग लिया। इस अवसर पर आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश प्रशांत कुमार मिश्रा और अन्य न्यायाधीश भी उपस्थित थे। बाद में, आंध्र प्रदेश सरकार ने मंगलागिरी के एक सम्मेलन केंद्र में सीजेआई के सम्मान में दोपहर के भोजन की मेजबानी की। राज्यपाल, मुख्यमंत्री ,न्यायाधीशों और वरिष्ठ अधिकारियों ने इसमें हिस्सा लिया।