पंचायती राज मंत्री भूपेंद्र सिंह को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर भाजपा ने यूं ही जाट कार्ड नहीं खेला, बल्कि पश्चिम उप्र से सटे हरियाणा और राजस्थान के साथ एक जातीय समीकरण भी खड़ा कर लिया

क्लू टाइम्स, सुरेन्द्र कुमार गुप्ता 9837117141

भाजपा ने पंचायती राज मंत्री भूपेंद्र सिंह को प्रदेश अध्यक्ष बनाया।

मेरठ,  प्रवीन सरीन। भाजपा के निर्णय चौंका सकते हैं लेकिन उसके पीछे सटीक पटकथा होती है। योगी सरकार में पंचायती राज मंत्री भूपेंद्र सिंह को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर भाजपा ने यूं ही जाट कार्ड नहीं खेला, बल्कि पश्चिम उप्र से सटे हरियाणा और राजस्थान के साथ एक जातीय समीकरण भी खड़ा कर लिया। अब तीनों पड़ोसी राज्यों में जाट अध्यक्ष हो गए हैं। इस बहाने पार्टी ने 2024 लोकसभा चुनाव का मास्टर स्ट्रोक खेल दिया है।पश्चिम का बदला सियासी नक्शा


भूपेंद्र सिंह 2012 से 2017 तक पश्चिम उप्र के क्षेत्रीय अध्यक्ष रहे। अब उन्हें प्रदेश अध्यक्ष बनाकर पार्टी ने 2024 लोस चुनाव का समीकरण साधने के लिए एक तिकड़ी बनाई है। पड़ोसी राज्य हरियाणा में भाजपा ने ओमप्रकाश धनखड़, जबकि राजस्थान में सतीश पूनिया के रूप में जाट चेहरे को प्रदेश की कमान दी। पश्चिम उप्र की सीमाएं हरियाणा के सोनीपत, पानीपत, अंबाला व आगरा व मथुरा की राजस्थान से मिलती हैं। इन क्षेत्रों का सामाजिक समीकरण भी तकरीबन समान है। भाजपा ने इन क्षेत्रों का एक राजनीतिक भूगोल बनाते हुए पश्चिम उप्र की राजनीति के शिल्पी व जाट चेहरा भूपेंद्र सिंह को यूपी की कमान दी। भूपेंद्र चौधरी 2012 से 2017 तक पश्चिम उप्र के क्षेत्रीय अध्यक्ष थे। उन्होंने अखिलेश यादव की सरकार होने के बीच पश्चिम उप्र में भगवा संगठन को मजबूत किया। 2014 लोस चुनावा में भाजपा ने सभी 14 सीटें जीत ली, जबकि 2017 विस चुनाव में 71 में रिकार्ड 51 विस सीटों पर जीत मिली।

किसान आंदोलन में पश्चिम यूपी मथने उतरे थे भूपेंद्र सिंह

पश्चिम यूपी की सभी सीटों के मिजाज की गहरी समझ रखने वाले भूपेंद्र सिंह का फोकस आगामी लोस चुनाव में सहारनपुर, बिजनौर, नगीना, संभल एवं मुरादाबाद सीटों पर जीत दर्ज करने पर है। इससे पहले किसान आंदोलन के दौरान भूपेंद्र सिंह को भाजपा ने बागपत व मुजफ्फरनगर समेत कई जिलों में भेजा था, जहां उन्होंने किसानों को साधने के लिए कई बैठकें कीं। अब उनके सामने पश्चिम उप्र की क्षेत्रीय टीम बनाने की चुनौती होगी। माना जा रहा है कि क्षेत्रीय कमान गैरजाट के हाथ जाएगी। नवंबर-दिसंबर में संभावित निकाय चुनाव में उनकी बड़ी परीक्षा होगी। सिवालखास से विस चुनाव लड़ चुके मनिंदरपाल सिंह एवं भूपेंद्र सिंह की टीम में क्षेत्रीय मंत्री रहे कमलदत्त शर्मा का कहना है कि पश्चिम उप्र पर जहां सीएम योगी का पूरा फोकस है, वहीं अब संगठन को भी नई धार मिलेगी। महानगर अध्यक्ष मुकेश सिंघल ने कहा कि भूपेंद्र सिंह का पश्चिम उप्र में कार्यकर्ताओं से बेहतर कनेक्ट है, जिसका फायदा चुनाव में मिलेगा।

भाजपा के सामने नई चुनौती 

तीनों राज्यों में नई चुनौतियां राजस्थान में विस चुनाव सामने हैं, जहां भाजपा के जाट चेहरा सतीश पूनिया अध्यक्ष हैं। यहां भाजपा के सामने जाट नेता हनुमान बेनीवाल नई पार्टी बनाकर चुनौती पेश करने की रणनीति बना रहे हैं। हरियाणा में दुष्यंत चौटाला बेशक भाजपा के साथ हैं, लेकिन उनकी जाट एवं किसान नेता के रूप में एक अलग छवि है। ऐसे में भाजपा को अपना जाट समीकरण मजबूत करना होगा। लोकसभा चुनाव में पार्टी के सामने बड़ी चुनौती है। योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री रहते भूपेंद्र सिंह को हरियाणा के विस चुनाव में पार्टी ने उतारा था। पश्चिम उप्र का दोनों राज्यों संग सामाजिक संबंध के साथ ही रिश्तेदारियों का भी धागा बंधा है।