क्लू टाइम्स, सुरेन्द्र कुमार गुप्ता। 9837117141
दुल्हन तैयार हो रही है... (व्यंग्य)

मेज़बान पुराने दोस्त रहे, इतने प्यार से बुलाया है, लेट हो जाएंगे तो अच्छा नहीं लगेगा। पहुंचकर देखा बाहर कोई न था, भागे भागे अंदर पहुंचे तो देखा सब तैयारी हो चुकी है। स्वादिष्ट वस्तुएं मेज़ पर सजी हैं, वेटर खड़े, लाइटें जली हुई हैं। काफी मेहमान आ चुके हैं, पंडितजी ने चौकी सजा रखी है। दुल्हन के पिtता कुर्सी पर ठोडी के नीचे अंगुलियां फंसाए बैठे हैं। हमने मुबारकबाद देकर पूछा बिटिया कहां है तो बोले तैयार हो रही है। अभी कमरे के बाहर खड़ा था, फोन साइलेंट पर है, जैसे बचपन में करती थी अभी भी वैसे ही तैयार हो रही है।
दुल्हन का तैयार होना अब सरकारी योजना के कार्यान्वन जैसा हो गया है। सभी मेहमान आ चुके हैं बच्चे किसी गेंद की तरह इधर उधर गिर रहे हैं। ब्रैड पकौडे ठंडे हो गए हैं, पास खड़ा वेटर सोच रहा है कि दोबारा गर्म अभी कर दूं या बाद में। दुल्हन डेढ़ घंटा देर से प्रवेश करती है। स्वाभाविक है उसने इस ख़ास अवसर के लिए ख़ास ड्रेस पहनी है। पार्टी ड्रेस में सखियां उसके साथ हैं। पंडितजी अपना काम पंद्रह मिनट में निपटा देते हैं। नाच गाना शुरू हो जाता है। दुल्हन ने अभ्यास की हुई शैली में नाचना शुरू कर दिया है। नाच गाना खाना पीना रात बारह बजे तक चलता है लेकिन नाच के शौक़ीन रुकते नहीं क्यूंकि काकटेल उन्हें शाबासी देती रहती है। डीजे वाला जाना चाहता है फिर भी जाते जाते एक दो गाने बजा देता है।
इतना तैयार होकर आई दुल्हन जाने को तैयार नहीं। अपनी शादी के लिए वह इतने दिनों से तैयारी कर रही थी इसलिए उसे नाचना भी खूब है। अपनी सखियों और सखाओं के साथ चियर्स करती हुई एक पैग और खींचती है। अगले दिन सुबह ग्यारह बजे नाना के परिवार जनों समेत पूजा है। साढ़े ग्यारह बजे पत्नी कहती है जाओ नीचे देखकर आओ कुछ हो रहा है या नहीं। पौने बारह बजे नीचे आता हूं। पंडितजी नहा धोकर बैठे हैं, उनके रंगे हुए बाल ज़्यादा चमक रहे हैं। दुल्हन के पिता भारतीय संस्कृति में डूबी नई ड्रेस पहन कर आए हैं। कुछ लोग उनके पास बैठे हैं। पंडितजी पूछते हैं दुल्हन... जी वो तैयार हो रही है, पिताजी वाक्य पूरा करते हैं। दुल्हन सचमुच तैयार होकर एक घंटे बाद आती है। उसके साथ रात वाली सखियां हैं। उन सब की आँखों में नींद अभी लेटी हुई है। अच्छे से तैयार होने में वक़्त तो लगता है।