नेताजी सुभाष चन्द्र बोस जी की जिन्दगी की अंतिम यात्रा भारत के इतिहास में दर्ज होकर एक रहस्य

क्लू टाइम्स, सुरेन्द्र कुमार गुप्ता 9837117141

नेताजी सुभाष चन्द्र बोस जी की पुण्यतिथि

18-8-1945 को एक विमान की यात्रा नेताजी सुभाष चन्द्र बोस जी की जिन्दगी की अंतिम यात्रा भारत के इतिहास में दर्ज होकर एक रहस्य जो आज तक अनसुलझा है पुण्यतिथि बन गयी उस शख्स की जिसने आजादी के जुनून में दूसरे देश की धरा पर अपनी सेना गठित की जिसमें उन्होंने कहा कि तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा। उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलने वाले अनेक रहे जो राष्ट्र भक्त थे गुलामी की बेड़ियां काटने के लिये नेताजी सुभाषचंद्र बोस जी के साथ रहे।

ऐसे ही एक वीर सैनिक भोजपुर खंड विकास के गाँव कलछीना में थे वहीद खां जो आजाद हिन्द फौज में थे और रंगून की जेल में रहे स्वतंत्रता सेनानी थे। हम उनसे अनेक बार मिल चुके हैं। दुबले पतले से थे

उनकी पत्नी अंशुमन जो अब नहीं हैं हमने एक बार पंद्रह अगस्त और दूसरी बार तेईस जनवरी को सम्मानित किया था ।बारम्बार हमारी मांग रही कि किसी एक विद्यालय का नाम स्वतंत्रता सेनानी के नाम पर रख दिया जाये ।

अमृत महोत्सव कार्यक्रम के तत्वावधान में तिरंगा यात्रा निकाली गई जिसमें हमने सभी विधायक डाक्टर मंजु शिवाच जी, जिला पंचायत सदस्य अनिल गौतम जी, ग्राम प्रधान इमरान जी तथा अन्य सम्मानित उपस्थित जनों के समक्ष यह प्रस्ताव रखा कि जो भी प्रधान हो उनके साथ स्वतंत्रता सेनानी वहीद खान जी की तस्वीर अवश्य लगे ।इससे सभी के दिलों में राष्ट्र भाव सुदृढ़ होगा तथा देश के प्रति कर गुजरने की तमन्ना सदैव रहेगी।

हमें नहीं भूलना भूत का इतिहास क्योंकि उसी के धरातल पर आज जीवित है ।

हम सभी देश भक्तों को कोटि-कोटि नमन् व श्रद्धा सुमन अर्पण करते हैं। अपने राष्ट्र गौरव की अक्षुन्नता सदैव रहे हम रहें न रहें बात यह महत्वपूर्ण नहीं है बात यह अहम् है कि विश्व मंच पर भारत अमर रहे। जयहिन्द।

पुनःश्च - प्रमाण के रूप में कुछ दस्तावेज उनके परिवार के सदस्यों से साभार प्राप्त हुए हैं प्रस्तुत हैं।

खेती बाड़ी करते हैं वहीद खां जी के परिजन ।


डाक्टर अनिला सिंह आर्य
नीति और शोध प्रमुख
जिला गाजियाबाद