"राष्ट्रीय स्वतंत्रता-अर्थ और दर्शन" पर गोष्ठी संपन्न

 क्लू टाइम्स, सुरेन्द्र कुमार गुप्ता 9837117141

"राष्ट्रीय स्वतंत्रता-अर्थ और दर्शन" पर गोष्ठी संपन्न
 
स्वदेशी सोच,स्वदेशी चिन्ह, स्वदेशी भाषा व वेशभूषा स्वतंत्रता का परिचायक है-अतुल सहगल


गाजियाबाद, आशीष वाल्डन, केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के तत्त्वावधान में  "राष्ट्रीय स्वतंत्रता-अर्थ और दर्शन" विषय पर ऑनलाइन गोष्ठी का आयोजन किया गया।यह कोरोना काल में 431 वां वेबिनार था।


वैदिक विद्वान अतुल सहगल ने स्वतंत्रता के मौलिक अर्थ की व्याख्या की और जीव से लेकर जन समुदाय और राष्ट्र की स्वतंत्रता को परिभाषित करते हुए राष्ट्रीय स्वतंत्रता की चर्चा और व्याख्या की।आर्यसमाज के नियम संख्या 10 और यजुर्वेद की राष्ट्रीय प्रार्थना को प्रस्तुत करते हुए राष्ट्रीय स्वतंत्रता के मुख्य पहलुओं पर प्रकाश डाला।उन्होंने उन सब बिंदुओं पर प्रकाश डाला जो कि एक स्वतंत्र,स्वावलम्बी और सुदृढ़ राष्ट्र की पहचान कराते हैं।राष्ट्र के लक्षणों को श्रोताओं के सम्मुख रखते हुए उनकी विस्तृत व्याख्या की।आत्मनिर्भरता,स्वावलम्बन और स्वदेशी की अवधारणा प्रस्तुत की।स्वदेशी सोच,स्वदेशी चिन्ह,स्वदेशी भाषा और स्वदेशी वेशभूषा को पूर्ण राष्ट्र स्वतंत्रता के बिंदुओं के रुप में प्रकट किया। भारत में स्वतंत्रता हेतु क्रन्तिकारी आंदोलन और इनके पीछे काम कर रही स्वामी दयानन्द सरस्वती जी की प्रेरणा शक्ति व आर्य समाज के योगदान की बात कही। राष्ट्रीय स्वतंत्रता को सम्पूर्ण करने के लिए राजनीतिक,आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक स्वतंत्रता के महत्त्व को उजागर किया।हमारे समाज की कुछ बुराईयों की चर्चा करते हुए जातिवाद,साम्प्रदायवाद और परिवारवाद से मुक्ति पाने पर ज़ोर दिया।राष्ट्रवाद को प्रबल और सबल बनाने हेतु स्वदेशी प्रोद्योगिकी और स्वदेशी उत्पादन की महत्ता प्रकट की।सामाजिक एकरसता विकसित करने की बात कही।इस राष्ट्रीय स्वतंत्रता की अवधारणा को ग्रहण करके हम सब राष्ट्र के घटक अपने अपने राष्ट्रीय कर्तव्य को समझकर उसके अनुरूप पुरुषार्थ में जुट जाएँ और राष्ट्र को उन्नति के शिखर पर पहुंचाएँ। 

केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य ने संचालन करते हुए कहा कि सच्ची स्वतंत्रता सोचने की शक्ति,भाषा, पहनावा,रहन सहन से पता चलती है।

अध्यक्ष विदुषी विद्योत्मा झा ने राष्ट्रीय सोच व स्वतंत्रता के महत्व पर प्रकाश डाला।राष्ट्रीय मंत्री प्रवीण आर्य ने कहा कि महर्षि दयानन्द प्रखर राष्ट्र वादी थे।

गायिका प्रवीना ठक्कर, रजनी चुग ,रविंदर गुप्ता,जनक अरोरा, संतोष सांची,कुसुम भंडारी, सुदर्शन चौधरी,कमलेश चांदना, शोभा बत्रा,सुमित्रा गुप्ता,प्रतिभा कटारिया,कमला हंस,ईश्वर देवी आदि के भजन हुए.