आजादी के तराने- 76 वां स्वाधीनता दिवस- कवि सम्मेलन

 क्लू टाइम्स, सुरेन्द्र कुमार गुप्ता 9837117141

दिल्ली. हिन्दी भाषा की प्रतिष्ठित लघु पत्रिका “मित्र संगम पत्रिका” जो 51 वर्षों से निरंतर प्रकाशित पत्रिका है और मुल्तानी भाषा के प्रचार प्रसार में संलग्न संस्था “सिरायकी साहित्य संगम/ सिरायकी इंटरनेशनल” के संयुक्त तत्वाधान में आजादी के तराने काव्य-सरिता का आयोजन अमृत महोत्सव तथा 76 वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लिटल फेयरी पब्लिक स्कूल सभागार, हडसन लाइन, किंगसवे कैम्प, दिल्ली में “सर्वभाषा कवि सम्मेलन” आयोजित किया गया। जिसमें मुख्य अतिथि थे डॉ जगदीश बतरा, सीनियर एडवोकेट तथा बैरिस्टर, सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया तथा कार्यक्रम की अध्यक्षता, संरक्षक, वरिष्ठ गीतकार हरभजन सिंह देओल, संपादक मित्र संगम पत्रिका ने की। अध्यक्ष महोदय श्री हरभजन सिंह देओल ने कार्यक्रम का विधिवत शुभारंभ किया और सभी आगंतुकों का स्वागत किया। सर्वप्रथम स्कूल के वयोवृद्ध चेयरमैन, शिक्षविद श्री आर एस खुराना का अभिनंदन किया गया। श्री खुराना ने स्वाधीनता दिवस के अवसर पर सभी उपस्थित कवियों तथा सभी देशवासियों को शुभकामनायें दी।  
   

  विशिष्ट अतिथि वरिष्ठ कवि, डॉ राणा प्रताप गन्नौरी, प्रोफेसर कुलदीप सलिल, आर एस खुराना, चेयरमैन, लिटल फेयरी स्कूल, डॉ जगदीश बत्रा, पूर्व विधायक प्रो हरीश खन्ना और कवयित्री उर्वशी अग्रवाल जी का विशेष सम्मान और अभिनंदन किया गया। वरिष्ठ कवि प्रोफेसर कुलदीप सलिल, डॉ राणा प्रताप गन्नौरी, डॉ जगदीश बतरा ने अपनी हिन्दी, उर्दू और सिरायकी की रचनाए सुनकर समा बांध दिया। गायिका प्रतिभा सपरा ने प्रसिद्ध कवि कुमार विश्वास का गीत “है नमन उनको“ प्रस्तुत किया और खूब सराहना प्राप्त की।

 वयोवृद्ध वरिष्ठ कवि रामचंद्र वर्मा ‘साहिल’ ने गजलें प्रस्तुत की और सभी देशवासियों को स्वाधीनता दिवस की बधाई दी। पूर्व विधायक तथा प्रोफेसर हरीश खन्ना ने अपनी पुरानी यादों को ताजा करते हुए कई किस्से सुनाए और सभी कवियों को जन-जागरण के लिए आगे आने हेतु प्रेरित किया।                                                                                                                                                                                                                                                                     
      तत्पश्चात संस्था के संस्थापक आल इंडिया रेडियो के पूर्व असिस्टेंट स्टेशन डायरेक्टर स्वर्गीय प्रेम वोहरा और श्रीमती नवरत्न वोहरा, उन दोनों का निधन कोरोना-काल में गत वर्ष हो गया था, उनके चित्र पर माल्यार्पण किया गया तथा उनके जीवन और उल्लेखनीय साहित्य सेवा और सामाजिक कार्यों से प्रेरणा लेने का आह्वान किया गया। समाजसेवी स्वर्गीय हरमीत कौर, संस्था के पुराने सदस्य और आर्टिस्ट स्वर्गीय सुभाष खुराना, शिक्षाविद देसराज छाबड़ा, स्वर्गीय साहित्यकार नवीन खन्ना को भावभीनी श्रद्धांजलि प्रस्तुत की गई और उनकी सेवायों को याद किया गया। 
       प्रथम सत्र में कोरोना काल में साहित्य, समाज और चिकित्सा के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने वाले महानुभावों माननीय प्रिंसिपल श्रीमती मीनाक्षी खुराना, साहित्यकार कवि आमोद कुमार, पूर्व विधायक एवं प्रोफेसर हरीश खन्ना, समाजसेवी राजीव शर्मा, समाजसेवी विक्रमजीत सिंह को कोरोना योद्धा और साहित्य, शिक्षाविद अवॉर्ड प्रदान किए गये। जो महानुभाव उपस्थित नहीं हो सके, उनको यह सम्मान-पत्र शीघ्र प्रेषित किए जाएंगे। सहज और सफल मंच-संचालन ओम सपरा ने किया तथा आपने सभी कवियों और आगंतुकों का परिचय प्रस्तुत किया तथा सभी आगंतुकों का शाल, अंगवस्त्र, माला, प्रशस्ति पत्र आदि प्रदान करके अभिनंदन किया। 
       “आजादी के तराने” के अंतर्गत “15 अगस्त मित्र संगम कवि महोत्सव” का उद्घाटन वरिष्ठ कवयित्री रीता जयहिंद, सांस्कृतिक सचिव ने इन शब्दों से किया- “आइए मिलकर काव्य परम्परा का आह्वान करें..! सर्वप्रथम मां शारदे की वंदना का गान करें, मित्र संगम परिवार ऐसे ही फलता फूलता रहे, कवियों की कविताओं का तालियों से सम्मान करें..!!” वरिष्ठ कवि अशोक कश्यप ने सरस्वती वंदना प्रस्तुत की तथा अपनी सुंदर कवितायेँ और शेर प्रस्तुत किए। वरिष्ठ गीतकार अशोक कश्यप ने यह रचना सुनकर वाहवाही लूटी “जो ये कहते फिरते भलाई अब न रही, गलत साबित हों वो हम शुरूआत करें। हम पर मालिक की मेहर हम हैं ओहदे वाले, उन पर मालिक का कहर अच्छे हालात करें। आओ कुछ बात करें अपने मन साफ करें, गलत हो सकते हैं खुद को हम माफ करें।“ ओम सपरा ने वरिष्ठ संरक्षक सदस्य वी पी कद की मोहाली से प्रेषित कविता “तिरंगा घर-घर लहराएंगे” का पाठ किया। 
      विशिष्ट अतिथि  वरिष्ठ साहित्यकार उर्वशी अग्रवाल ने सिरायकी भाषा में यह पंक्तियां प्रस्तुत कीं “मैं तैकुं जी के बैठी हम, मैं तेडी थी के बैठी हम, बुल्लां कूँ सी के बैठी हम, मैं राती पी के बैठी हम। कल्ली हाँ मैँ झल्ली कैनी, कूड़ भीड़ विच रल्ली कैनी, होसी होसी दुनिआ चंगी, डिसदी चंगी भल्ली कैनी, तू आखा हइ मिलसूं उत्थां, वापस  घर  मैं वल्ली कैनी, क्यूँ रुस्सां मैं कोण मनेसी, लाड़ प्यार विच पल्ली कैनी, घुट के नप्पां,चुम्मा हुंकूँ, भागां लिक्खी तल्ली कैनी, शीशे दा बज़ार हे दुनिआ, हीरा हम पर चल्ली कैनी, जोवी आखए होश हे' मैंकूं, पीके दारू टल्ली  कैनी, दिल टुटटा दिलदार वंज़ाया, "उर्वी"  लई  तसल्ली  कैनी। आपकी यह दूसरी रचना भी सभी ने पसंद की- “तन के वास्ते लड़ना पड़ेगा। अदू के सामने अड़ना पड़ेगा। नहीं जो बाज़ आएँ हरकतों से। उन्हीं के पीछे अब पड़ना पड़ेगा। चलो मिलकर फ़ज़ाओं को बदल दें। सियासी अब हवाओं को बदल दें। बहुत मग़रूर होते जा रहे जो। सभी ऐसे ख़ुदाओं को बदल दें।“ यह उल्लेखनीय है कि सिरायकी भाषा का दूसरा नाम मुल्तानी भी है और यह हिंदुस्तान और पाकिस्तान दोनों देशों में लोगों द्वारा भारी संख्या में प्रयोग की जाती है और इसका साहित्य भी प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है, लेकिन वर्तमान में यह भाषा काफी उपेक्षा की शिकार है। 
      युवा कवयित्री सपना एहसास ने अपनी यह पंक्तियाँ प्रस्तुत कीं “यही है मेरी श्रद्धा यही है ज्ञान मेरा, सुनो मैं हिन्दू हूँ मेरी ज़ुबां समझ लेना, जहां अज़ान भजन कीर्तन तिलावत हो, तुम उस ज़मीन को हिंदुस्तान समझ लेना।” “दिल्ली मित्र संगम काव्य मंच” के अध्यक्ष श्री आमोद कुमार ने कुछ बेहतरीन शेर सुनाए तथा सभी श्रोताओ को शुभकामनायें प्रदान की। आपकी यह रचना उल्लेखनीय रही- “जान जाती है तो हम जाने देंगे, ए वतन तुझपे आंच न आने देंगे। यूं तो सदा से अहिंसा के पुजारी हैं हम, वक्त पड़ा तो बम भी बरसाने देंगे।“ मित्र संगम पत्रिका के पुराने साथी, जनकवि विक्रम भारतीय ने “जग से अपना प्यारा, अपना वतन है न्यारा।“ 
       केंद्र सरकार के पूर्व अधिकारी एवं राष्ट्रवादी कवि राजव्रत आर्य ‘कलमकार' ने भी सामयिक कविताएं प्रस्तुत की और आम जनता के दुख-दर्द तथा सामाजिक असमानता पर सशक्त प्रहार किया। 
      ओजस्वी कवि नरेश मलिक ने यह देशभक्ति पूर्ण रचना सुनाई- “तुझको आगे बढ़ना होगा, हर बाधा से लड़ना होगा, तिमिर हो चाहे कितना गहरा, तुझको उससे भिड़ना होगाl फैलेगा उजियारा इक दिन ऐसा धीरज धरना होगा, आँधी तूफ़ानों के आगे, चट्टानों सा  अड़ना होगाl तुझको आगे बढ़ना होगा, हर बाधा से लड़ना होगाl  
     हास्य कवि हरमिंदर पाल ने यह रचना प्रस्तुत की- “चमन मेरा बस ये ही तिरंगा हो, सनम मेरा बस ये ही तिरंगा हो हर साँस मेरी है क़र्ज़दार इसकी, कफ़न मेरा बस ये ही तिरंगा हो।“ वरिष्ठ मुल्तानी शायर राजीव शास्त्री ने एक मुल्तानी गीत गाकर सभी को अपने बचपन के दिन याद दिला दिए और मिठड़ी माँ बोली सिरायकी अर्थात मुल्तानी के प्रति सम्मान प्रकट किया। युवा शायर संदीप शजर ने यह रचना प्रस्तुत की और वातावरण को राष्ट्र प्रेम से सराबोर कर दिया- “वीरता के अप्रतिम उपमान गाए जाएँगे, शौर्य साहस के मुखर प्रतिमान गाए जाएँगे। लोरी कंगन राखी के अभिमान गाए जाएँगे, युग-युगों तक आपके बलिदान गाए जाएँगे। युवा कवयित्री प्रीति त्रिपाठी ने यह देश प्रेम की कविता सुनाई- “किया लहू से रोली चंदन सदा अमर सेनानी ने, राजगुरु, सुखदेव, भगतसिंह, झांसी वाली रानी ने। तभी तिरंगा मुस्काता है, भारत की जय- जय सुनकर, रण में, प्रण में हार नहीं, मानी है कभी जवानी ने।“
      केंद्रीय आर्य युवक परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य ने ओजस्वी उद्बोधन में देशभक्ति के शेर प्रस्तुत किए और युवा शक्ति को राष्ट्र रक्षा हेतु सदैव तत्पर रहने का आह्वान किया। हिसार की पूर्व विधायक, समाजसेवी संध्या बजाज ने अपना ओजस्वी काव्यमय उद्बोधन दिया और देश में वैमनस्यता को समाप्त करने पर बल दिया। 
      सृजन स्कूल की छठी क्लास की होनहार छात्रा नम्या नारंग ने “मेरे देश की माटी, चंदन है माटी मेरे देश की” यह देशभक्ति का गीत ओजस्वी और सुरीली आवाज में प्रस्तुत करके प्रशंसा तो प्राप्त की तथा डॉ जगदीश बतरा से विशेष पुरुस्कार भी प्राप्त किया। ओजस्वी गीतकार साक्षात भसीन ने यह रचना प्रस्तुत की- “बुलंद रहे माँ भारती यह हमने ठाना है, हम सेना के जवानों का यही बस गाना है। माँ भारती – जय-जय माँ भारती। सबसे अंत में, वरिष्ठ कवि राजीव भाटिया तथा कवयित्री रमा नीलदीप्ति और सांस्कृतिक सचिव  रीता जयहिन्द ने अपनी रचनाए सुनकर श्रोतायो को बांधे रखा। 
      मित्र संगम संस्था के सचिव श्री भूपेन्द्र सेठी, एस के तनेजा, अंजू खरबन्दा, राजन मेहरा, वरिष्ठ शायर सरफराज अहमद, चेयरमैन, ‘बजमे फराजे अदब’ तथा एतराम अहमद तथा शोध छात्र तथा सिरायकी साहित्य संगम के महामंत्री यतिन बतरा को मंच पर सम्मानित किया गया। दिल्ली हाई कोर्ट की एडवोकेट, कवयित्री कामिनी श्रीवास्तव जी ने उपस्थित होकर कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई। 
दूसरे सत्र में “अधूरा महापुरुष” खंड काव्य के लेखक स्वर्गीय नवीन खन्ना  की परिकल्पना पर आधारित शोध पुस्तक “हिन्दी फिल्मी गीत- युगबोध” में  आध्यात्मिक और दार्शनिक दृष्टि” पर लेखक गुलशन पिपलानी, साहित्य संपादक ने संक्षेप में प्रकाश डाला तथा बताया कि यह एक नवीन प्रकार का प्रयोग है, जो गीतों के दार्शनिक पक्ष की ओर संकेत करता हैं तथा यह पुस्तक शीघ्र ही प्रकाशित होगी। 
       तत्पश्चात, लेखक “कमलजीत सिंह अतीत दौलत” की लिखित तथा डायमंड प्रकाशन द्वारा प्रकाशित पुस्तक “अनसुनी फरियाद“ का मंच पर गणमान्य अतिथिगण ने विमोचन किया। श्री अतीत दौलत ने पुस्तक का विस्तार से परिचय दिया। समीक्षक ओम सपरा ने यह बताया कि पक्षी, जानवर, आदि मूक और निरीह प्राणी, जो अपने पर हो रहे अत्याचार, पीड़ा, हिंसा और दुख को व्यक्त करने में असमर्थ हैं, मांसाहारी लोगों द्वारा उनके बिना किसी अपराध के, उनकी जान लेकर वे लोग  उनको अपना भोजन बनाते हैं, जो एक प्रकार की अमानवीयता और क्रूरता हैं। परंतु वे लोग इसे स्वाद के नाम पर अपना अधिकार समझते हैं। उन मूक और निरीह प्राणियों की पीड़ा को स्वर देना और लोगों को उनके प्रति अधिक संवेदनशील बनाना ही उनका परम उद्देश्य है। 
        दूसरे सत्र का सफल मंच संचालन भी ओम सपरा ने इस सहजता से किया कि सभी ने उनके धैर्य और साहस तथा साहित्यिक भाषा-प्रयोग में अद्भुत संतुलन की प्रशंसा की। समुचित सम्मान और जलपान की उचित व्यवस्था- कुल मिलाकर यह कार्यक्रम पूर्णत सफल रहा। जलपान प्रबंध में समाजसेवी विक्रमजीत सिंह और कवि भूपेन्द्र सेठी ने विशेष योगदान दिया।                                             
                                           -भूपेन्द्र सेठी, सचिव, मित्र संगम संस्था