क्लू टाइम्स, सुरेन्द्र कुमार गुप्ता। 9837117141
साभार
हमारे एक मित्र हैं 24 घंटे में से काम से जितना समय मिलता शतरंज खेलने में बिताते एक जानकारी से भरपूर संदेश... प्राप्त हुआ... सभी के लिए
शतरंज खेलने वालों को पता है कि घोड़े को कब ओर कैसे मारना है...10 जनपथ व वामपंथियों की Ecosystem का शतरंज का घोड़ा मोहम्मद ज़ुबैर और उनका ओमेर्टा कोड?
भारतवर्ष के किसी भी भाग में, चाहे वह अति दूरस्थ या दुर्गम इलाके में भी रहने वाले किसी शांतिदूत को कोई भी थप्पड़ मार दे तो उनके Ecosystem से संबधित मीडिया वहां तुरंत पहुंच जाती है, और ये साबित करने में पूरी ताकत झोंक दिया जाता है कि मोदी सरकार कितनी बड़ी फासिस्ट है, तानाशाह है!?
अल्ट न्यूज़ के सह संस्थापक मोहम्मद ज़ुबैर को गिरफ्तार हुए इतने दिन हो चुके थे लेकिन आज तक उसके परिवार का एक भी बयान सामने नहीं आया है!?
ना बाप, ना मां, ना बीवी, ना बच्चे... सामने आना तो छोड़िए लेफ्ट इकोसिस्टम के मीडिया ने जुबैर को लेकर कोई मानव कहानी भी नहीं बनाई है? और न ही अभी तक उसे एक सीधा साधा फैमिली मैन साबित करने की कोशिश की.. क्या आप लोगों को ये सब कुछ हैरान नहीं कर रहा..?
क्या आपको ये कुछ अजीब नहीं लग रहा कि वामपंथी मीडिया जुबैर की फैमिली के मामले में इतने सीक्रेसी क्यों मेन्टेन कर रखी है? जबकि वो आतंकवादियों को भी हीरो की तरह प्रोजेक्ट करने की कोशिश करता रहा है... तो इसका जवाब एक शब्द में छिपा है... और वो शब्द है Omerta
इस शब्द को ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी में कुछ इस तरह डिफाइन किया गया है: Omerta: Among the Mafia a code of silence about criminal activity, and refusal to give evidence to the Police.
यानी शुद्ध हिन्दी में कहें तो ओमेर्टा माफिया के बीच आपराधिक गतिविधि के बारे में चुप्पी और पुलिस को सबूत देने से इनकार करना!
इसे और भी आसानी भाषा में कहें तो ओमेर्टा: याने माफिया वर्ल्ड का एक ऐसा अलिखित कानून... एक ऐसा अलिखित संविधान जिसका पालन हर माफिया करता है...
हर माफिया ना तो एक दूसरे के बारे में, और ना ही एक दूसरे के परिवार के बारे में कानूनी एजेंसियों को सूचना देते हैं!
बस ये समझ लीजिए कि भारत में वामपंथी Ecosystem भी एक माफिया वर्ल्ड है जो पारम्परिक माफिया और लेफ्ट इकोसिस्टम के माफिया में बस यही अंतर है कि पारम्परिक माफिया अपराध करता है और वामपंथी Ecosystem के माफिया एंटी हिन्दू गतिविधियों में लगा रहता है!?
भारत में सभी वामपंथी एंटी हिन्दू एजेंडा और नैरेटिव चलाते हैं और इससे भारी भरकम विदेशों से पैसे कमाते रहते हैं!
क्या किसी को पता है मोहम्मद जुबैर की 2012 से पहली की हिस्ट्री? किसी को भी पता नहीं है।
वह कहां रहता था?
क्या काम करता था?
कहां काम करता था?
उसके घर व परिवार कहां है?
पिछले 5 सालों से जुबैर इतना चर्चित रहा है, क्या आप लोगों को, इनमें से किसी भी सवाल का जवाब मालूम है कि जुबैर कौन है!?
और मुझे भी बस इतना पता है कि जुबैर का घर बैंगलुरू के उसी डीजे हल्ली इलाके में है जहां दो साल पहले 2020 में एक फेसबुक पोस्ट को लेकर शांतिदुतों ने दंगे किए थे, और जुबैर का कितना जलवा है इसका अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि, पुलिस जब जुबैर को लेकर उसके डीजे हल्ली वाले घर में लेकर गई, और एक न्यूज़ चैनल ने उस खबर का वीडियो यूट्यूब पर डाला तो यूट्यूब ने उस वीडियो को ही डिलीट कर दिया!?
ऐसा जलवा है जुबैर का और इसी जलवे में जुबैर का राज़ छिपा है!?
कुछ साल पहले तक Unoffical Susu Swamy नाम से सोशल मीडिया अकाउंट चलाने वाला मोहम्मद जुबैर नाम का शख्स आता है ओर Alt News की स्थापना करता है और एकदम अचानक वामपंथी Ecosystem का एक हीरो बन जाता है!?
और तो और एकदम से एंटी मोदी कैम्प का जरिया बन जाता है, तबसे आतंकवादियों का बचाव करता है, एंटी हिन्दू नैरेटिव चलाता है, दंगा माफी बनता है ओर उसके द्वारा वायरल किए गई एक आधी-अधूरी क्लिप से भारत में दंगे हो जाते हैं!?
कई लोगों की जान चली जाती है फिर भी वामपंथी इको सिस्टम उसे सर आंखों पर बिठाए रखता हैं इतना सब कुछ करने के बावजूद वो लगातार प्रमोट होता रहता है और नौबत यहां तक पहुंच जाती है कि UN से लेकर जर्मनी तक उसकी गिरफ्तारी पर विरोध दर्ज कराते हैं!?
कौन है ये मोहम्मद जुबैर?
इसकी पहुंच कहां तक है?
और इसके पीछे कौन है कभी सोचा है आप लोगों ने?
नहीं सोचा होगा?
क्या आप को ये सब बातें हैरान नहीं करती?बस इसी हैरानी में जुबैर का सारा राज़ छिपा है?
सच तो ये है कि जुबैर को एक बहुत बड़े प्लान के तहत इस देश में प्लांट किया गया है... और उसे प्लांट करने में केवल गल्फ कंट्रीज ही नहीं बल्कि कुछ पश्चिमी देशों की, Organization का भी हाथ है जिसमें अंकल सैम के देश का Business Tycoon है, हिंदूविरोधी जॉर्ज सोरोस उसका नाम सबसे अधिक है!
यही वजह है कि जुबैर को इतने जबरदस्त तरीके से प्रमोट किया जाता है। प्रतीक सिन्हा और उनकी मां निर्झरा सिन्हा भी ऑल्ट न्यूज़ के डायरेक्टर हैं परंतु सारी लाइम लाइट जुबैर पर ही रहती है?
ये सब कुछ ऐसे नहीं हुआ... जुबैर को लाइम लाइट में रखने के लिए बहुत पैसे और संसाधन खर्च किए जा रहे हैं! क्योंकि उसके सहारे भारत की इमेज खराब करनी है!
इस बात को केन्द्र सरकार भी जानती है! लेकिन उस पर हाथ नहीं डाल रही थी क्योंकि सबूत चाहिए और सरकार सबूत जुटा रही थी... बेशक सरकार हमारी है लेकिन System तो अभी उन्हीं का है .. खैर सरकार को बहुत सारे सबूत मिल चुके हैं... इसीलिए उस पर अब शिकंजा कसा जा चुका है ऐसा नहीं है कि जुबैर को सिर्फ महज एक ट्वीट के चलते अरेस्ट किया गया है... जुबैर की गिरफ्तारी बहुत हिम्मत का काम था, क्योंकि यह उस शतरंज का प्यादा नहीं बल्कि ऐसा घोड़ा है जो ढाई चाल चलकर मार कर सकता है!?
लेकिन शतरंज की मेज पर दूसरे छोर पर बैठा खिलाड़ी जानता है कि घोड़े को कब और किस चाल से मारा जाता है!?
इसलिए मोहम्मद जुबैर की जमानत दिलाने में देशद्रोहियों ने अपना हाथी (सुप्रीम कोर्ट) को आगे करके घोड़े के लिये भले ही रास्ता बना दिया हो, लेकिन अपने इस महत्वपूर्ण अस्त्र (हाथी) को आम जनता समाज के सामने नंगा भी कर दिया है, ये बात समझने में जनता ज्यादा वक्त नहीं लगाएगी!?
इस देश को दीमक की तरह खोखला करने वाले सारे चूहों को बिल से खोद खोद कर निकाले जाएगा!
समुद्र मंथन हो रहा है इस समुद्र मंथन में इकट्ठा रहिए और देव पक्षों का हौसला अफजाई करते रहिए!
अब देश में समुद्र मंथन चल रहा है ओर उसमें से हलाहल विष और अमृत दोनों के लिए हमें तैयार भी रहना है!
इस समुद्र मंथन में कूटनीति के दांव पेंच को भी समझना चाहिए, ताकि लोगों के अंदर आत्मबल पैदा किया जा सके!
जयहिंद, जय भारत!