"कर्मों की उड़ान" पर आर्य गोष्ठी संपन्न

 क्लू टाइम्स, सुरेन्द्र कुमार गुप्ता 9837117141

व्यक्ति जन्म से नहीं कर्म से महान होता है-अनिता रेलन

गाजियाबाद, आशीष वाल्डन. केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के तत्वावधान में "कर्मो की उड़ान" विषय पर ऑनलाइन गोष्ठी का आयोजन किया गया। यह कोरोना काल में 423 वां वेबिनार था।


मुख्य वक्ता योगाचार्या अनिता रेलन ने कहा कि कर्म एक ऐसा विश्वास और एक ऐसी धारणा है जिसमें सभी आर्थिक घटनाएं  नियति कार्यकर्ताओं द्वारा निर्धारित किए होते हैं जो भविष्य में सभी जनों को प्रभावित करते हैं एक ऐसी उड़ान जो आकाश में उड़ती उस पतंग की तरह हैं जो कर्म और अकर्म के मध्य झूलती है।कर्म शब्द का उपयोग वस्तुतः अलग-अलग जगहों पर अपने अपने तरीके से होता है
कर्म के बारे में अलग-अलग विचार कोई कहता है विचारों शब्दों क्रियाओं के फलों को जानकर जो कार्य किए जाते हैं वह कर्म है,अच्छे कर्म से ही  समाज की व्यवस्था सुचारू रूप से चलती है तभी राष्ट्र समृद्ध बनता है और सम्मान पाता है ।  उन्होंने बताया कर्म प्रधान विश्व रचि राखा जो जस करहिं सो तस पंचाका ही संसार का विधान है कह देना बोया पेड़ बबूल का आम कहां से पाए?इसकी साथी कर्म की गति बड़ी महान है।उन्होंने कर्म की गति के बारे में विस्तार से बताया महापुरुषों के उदाहरण देते हुए बताया कुछ छोटी-छोटी कथाओं के द्वारा  विश्लेषक किया भागवत गीता के अनुसार कर्म 6 प्रकार के हैं नित्य नैमित्तिक काम्या निष्काम कर्म निषिद्ध कर्म उन्होंने यह भी बताया कि  शास्त्रों में तीन प्रकार के कर्मों के उल्लेख के बारे में जानकारी दी उन्होंने बोला है भगवान से ना डरो तो चलेगा पर अपने कर्मों से जरूर डरना चाहिए।राजा दशरथ के बारे में जानकारी दें सीता राम रावण बाल्मीकि जिन्होंने रत्नाकर डाकू के अभिशाप को झेला श्रीकृष्ण जी राम जी  ने जब बाली को पेड़ के पीछे छुप कर मारा था उसके बारे में और वासुदेव का गांधारी द्वारा श्राप देना छोटी- छोटी पंक्तियों  के द्वारा उन्होंने आज के विषय को और भी खूबसूरत बना दिया।कर्म करें किस्मत बने जीवन का यह खेल।महापुरुषों के वक्तव्य के द्वारा उन्होंने कर्म की उड़ान के बहुत सुंदर उदाहरण दिए भगवान बुद्ध कहते हैं अच्छे का परिणाम अच्छा और बुरे का बुरा कर्मों का फल सर्वशक्तिमान सर्वज्ञ सर्वव्यापक भगवान ही देते हैं और मनुष्य के सभी जीवो के मन वाणी और शरीर से किए जाने वाले सभी कर्मों को वह जानते हैं अतः आप जो भी कर्म करें उसमें अहंकार की भावना ना हो वह सब आप ईश्वर को अर्पित कर दें।विनोबा भावे जी महर्षि दयानंद जी स्वामी विवेकानंद जी गांधी पटेल बोस भगत टैगोर अब्दुल कलाम लाल बहादुर लाजपतराय गंगाधर राजगोपालाचारी मदर टेरेसा कस्तूरबा गुरु गोविंद राम जी और कृष्ण जी लता जी इन सब के बारे में इन सब के कर्मों के बारे में जिनकी वजह से वह जाने जाते हैं बहुत सुंदर उदाहरण देते हुए बताया इसमें एक विशेष बात की आचार्य पुलक सागर जो कहते हैं कि जितनी भी ऊपर महापुरुष हुए जितने भी महापुरुषों के बारे में जानकारी दी वह महान पैदा हुए थे ऐसा लोग कहते हैं ऐसा क्लास में पढ़ा जाता है शिक्षकों  द्वारा बताया जाता है पर मेरा मानना है महान पैदा नहीं होता अपने कर्म से बनता है अभी हाल ही में हमारी द्वितीय महिला राष्ट्रपति द्रोपति मुर्मू का उदाहरण देखिए मोदी जी का उदाहरण देखिए जिन्होंने अपने कर्मों द्वारा देश को कहां से कहां ले गए अतः कोई भी कार्य करें निस्वार्थ भाव से करें निष्काम सेवा दे गीता का यह श्लोक अक्सर सुनने में मिल जाता है कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन पर वहां यह भी तो सत्य है कर्म करो फल को ध्यान में रखते हुए भगवान से ना डरो तो चलेगा पर अपने कर्मों से जरूर डरो क्योंकि किए हुए कर्मों का फल तो भगवान को भी भोगना पड़ा खूबसूरत से उदाहरण से बताना चाहूंगी।एक बार एक वृद्ध को पेड़ लगाते देखा राजा ने वृद्ध को कहा फल निकलने तक तुम जीवित नहीं रहोगे तो इतना परिश्रम क्यों?देखे कितना खूबसूरत जवाब दिया  मेरा काम है कर्म करते रहना फल किसी को अवश्य खाने को मिलेगा।निरंतर कर्म करने वाला
उस दीपक के समान है जो स्वयं जलकर भी दूसरों को प्रकाश देता है उन्होंने यह भी बताया कि कई कर्म ऐसे होते हैं जो मनुष्य को बांधे रखते हैं वही पाप पुण्य के फेर में जिसमें वह मोह माया के जाल में फंस जाता है कोई भी कार्य करें या द्वेष लालच और पुरे होते शव को रखकर ना करें याद रहे अच्छे विचार से उत्पत्ति होती है और कर्म से आदत की,आदत से चरित्र की ओर चले पीछे भागेगी वर्तमान में जो भी हो रहा है वही तो कल की उत्पत्ति हैं वह अतीत के कर्मों का फल है जो हम पा रहे हैं या आज हम जो खुशहाल जिंदगी जी रहे हैं अतः  वर्तमान में श्रेष्ठ का चयन करें जिससे भविष्य आपकी तरह श्रेष्ठ और खूबसूरत हो।कहते हैं श्रम कीजिए क्रमानुसार, फल खाइए कर्मा अनुसार।

केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य ने कहा कि पुरुषार्थ ही इस दुनिया में सब कामना पूरी करता है।

मुख्य अतिथि शशि चोपड़ा (कानपुर) व अध्यक्ष रजनी गर्ग ने निरंतर कर्मशील रहने का आह्वान किया।राष्ट्रीय मंत्री प्रवीण आर्य ने धन्यवाद ज्ञापन दिया।

गायक रविन्द्र गुप्ता,पिंकी आर्या, प्रवीना ठक्कर, कमलेश चांदना, कमला हंस,कौशल्या अरोड़ा, रजनी चुघ, सुनीता अरोड़ा, विजय वधावन,प्रतिभा कटारिया, चन्द्र कांता गेरा आदि के मधुर भजन हुए।