क्लू टाइम्स, सुरेन्द्र कुमार गुप्ता। 9837117141

पंजाबी बिजनेस फैमिली में जन्मीं किरण बेदी की परवरिश धार्मिक नहीं थी। हालाँकि उनका पालन-पोषण हिंदू और सिख दोनों परंपराओं में हुआ था लेकिन वह किसी धर्म को लेकर कट्टर नहीं हैं। वह एक ईसाई स्कूल- सेक्रेड हार्ट कॉन्वेंट में पढ़ी इसलिए उन्हें ईसाई कल्चर के बारे में भी काफी जानकारी है। बेदी ने वहां बढ़ाई के साथ साथ राष्ट्रीय कैडेट कोर (एनसीसी) में भी भाग लिया।
बचपन से ही थी सहासी
अपने पिता से प्रेरित बेदी ने नौ साल की उम्र में ही टेनिस खेलना शुरू कर दिया था। वह अक्सर अमृतसर में सर्विस क्लब जाती थीं, जहां वह सिविल सेवकों के साथ बातचीत करती थीं। इसने चीज ने उन्हें एक सार्वजनिक सेवा करियर बनाने के लिए प्रेरित किया और उनकी पहली पोस्टिंग 1975 में दिल्ली के चाणक्यपुरी उपखंड में हुई थी। उन्होंने दिल्ली के चाणक्यपुरी में सहायक पुलिस अधीक्षक (एएसपी) के रूप में अपना करियर शुरू किया।
उनके काम के लिए किरण बेदी को याद किया जाता है
किरण बेदी को इस वजह से याद किया जाता है क्योंकि किरण बेदी पुडुचेरी की उपराज्यपाल के रूप में अपने सराहनीय काम की वजह से काफी समय से चर्चा में हैं। दिल्ली में महिलाओं के खिलाफ अपराध पर नकेल कसने, राजधानी की यातायात व्यवस्था में सुधार और सामाजिक कार्यों में योगदान देने के अलावा, वह जेल में उल्लेखनीय सुधारों के लिए जानी जाती हैं। उनके ऑफिसर कार्यकाल के दौरान उन्हें जेल व्यव्स्था को सुधारने की जिम्मेदारी दी गयी थी। तिहाड़ जेल में अपने सुधारों को लेकर दुनियाभर में चर्चा में रहने वाली किरण बेदी को साल 1994 में रमन मैग्सेसे अवॉर्ड से भी नवाजा जा चुका है।
किरण बेदी ने लिखी हैं कई किताबें
देश की पहली महिला आईपीएस अफसर किरण बेदी ने भी कई किताबें लिखी हैं। वह हमेशा छात्रों के लिए प्रेरक सत्र आयोजित करती हैं। बेदी 'इंडिया विजन फाउंडेशन' नाम से एक संस्था भी चलाती हैं। पुडुचेरी के उपराज्यपाल के रूप में उनके द्वारा किए गए सराहनीय कार्यों के कारण वह हमेशा चर्चा के केंद्र में रही हैं। वह सोशल मीडिया पर भी काफी एक्टिव रहती हैं।