ज्ञानवापी मामले को लेकर मोहन भागवत का बड़ा बयान, बोले- इतिहास को हम नहीं बदल सकते

क्लू टाइम्स, सुरेन्द्र कुमार गुप्ता। 9837117141

Mohan Bhagwat

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अनुराग गुप्ता । Jun 02, 2022 10:15PM
आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि ज्ञानवापी का मुद्दा चल रहा है। इतिहास तो है जिसे हम बदल नहीं सकते। इसे न आज के हिंदुओं ने बनाया और न ही आज के मुसलमानों ने, ये उस समय घटा। हमलावरों के जरिए इस्लाम बाहर से आया था।

नागपुर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने गुरुवार को ज्ञानवापी मामले से लेकर रूस-यूक्रेन युद्ध के मुद्दों तक का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि क्या हम 'विश्वविजेता' बनना चाहते हैं? नहीं हमारी ऐसी कोई आकांक्षा नहीं है। हमें किसी को जीतना नहीं है। हमें सबको जोड़ना है। संघ भी सबको जोड़ने का काम करता है जीतने के लिए नहीं। भारत किसी को जीतने के लिए नहीं बल्कि सभी को जोड़ने के लिए अस्तित्व में है। 


इतिहास नहीं बदल सकते 

समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि ज्ञानवापी का मुद्दा चल रहा है। इतिहास तो है जिसे हम बदल नहीं सकते। इसे न आज के हिंदुओं ने बनाया और न ही आज के मुसलमानों ने, ये उस समय घटा। हमलावरों के जरिए इस्लाम बाहर से आया था। उन हमलों में भारत की आजादी चाहने वालों का मनोबल गिराने के लिए देवस्थानों को तोड़ा गया।

उन्होंने कहा कि जहां हिंदुओं की भक्ति है, वहां मुद्दे उठाए गए। हिंदू मुसलमानों के खिलाफ नहीं सोचते, मुसलमानों के पूर्वज भी हिंदू थे। यह उन्हें हमेशा के लिए स्वतंत्रता से दूर और मनोबल दबाने के लिए किया गया था, इसलिए हिंदुओं को लगता है कि (धार्मिक स्थल) को पुनर्स्थापित किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि मन में कोई मुद्दे हों तो उठ जाते हैं। यह किसी के खिलाफ नहीं है। इसे ऐसा नहीं माना जाना चाहिए। मुसलमानों को ऐसा नहीं मानना ​​चाहिए और हिंदुओं को भी ऐसा नहीं करना चाहिए। कुछ ऐसा है तो आपसी सहमति से रास्ता खोजें।

आरएसएस प्रमुख ने कहा कि कुछ जगहों के प्रति हमारी अलग भक्ति थी और हमने उसके बारे में बात की लेकिन हमें रोजाना एक नया मुद्दा नहीं लाना चाहिए। हमें विवाद को क्यों बढ़ाना? ज्ञानवापी के प्रति हमारी भक्ति है और उसी के अनुसार कुछ करना ठीक है, लेकिन हर मस्जिद में शिवलिंग की तलाश क्यों?

रूस-यूक्रेन युद्ध का भी किया जिक्र

आरएसएस प्रमुख ने कहा कि नीति न हो तो सत्ता विकार बन जाती है। हम देख सकते हैं कि अभी रूस ने यूक्रेन पर हमला किया है। इसका विरोध किया जा रहा है लेकिन कोई भी यूक्रेन जाने और रूस को रोकने के लिए तैयार नहीं है क्योंकि रूस के पास शक्ति है और यह धमकी देता है। उन्होंने कहा कि जो विरोध कर रहे हैं उनका भी कोई नेक इरादा नहीं है। वे यूक्रेन को हथियारों की आपूर्ति कर रहे हैं, यह ऐसा है जब पश्चिमी देश भारत और पाकिस्तान को एक-दूसरे के खिलाफ खड़ा करते थे और अपने स्वयं के गोला-बारूद का परीक्षण करते थे। यहां कुछ ऐसा ही हो रहा है। 

मोहन भागवत ने कहा कि भारत सच बोल रहा है लेकिन उसे संतुलित रुख अपनाना होगा। सौभाग्य से इसने वह संतुलित दृष्टिकोण अपनाया है। इसने न तो हमले का समर्थन किया और न ही रूस का विरोध किया। इसने यूक्रेन को युद्ध में मदद नहीं की, लेकिन उन्हें अन्य सभी सहायता प्रदान कर रहा है। भारत लगातार रूस से बातचीत के लिए कह रहा है।

इसी बीच उन्होंने कहा कि चीन उन्हें क्यों नहीं रोकता? क्योंकि उसे इस युद्ध में कुछ दिखाई दे सकता है। इस युद्ध ने हम जैसे देशों के लिए सुरक्षा और आर्थिक मुद्दों को बढ़ाया है। उन्होंने कहा कि हमें अपने प्रयासों को और मजबूत करना होगा और हमें शक्तिशाली बनना होगा। अगर भारत के हाथ में इतनी ताकत होती तो दुनिया के सामने ऐसी घटना नहीं आती।