क्लू टाइम्स, सुरेन्द्र कुमार गुप्ता। 9837117141

यूक्रेन का जंग भले ही दो देशों के बीच में हो रहा है। लेकिन इस युद्ध की आंच दुनिया के तमाम मुल्कों की राजनीतिक दांव पेंचों पर भी आ गई है। विभिन्न मुद्दों पर शह और मात का खेल जोरों से चल रहा है। इस बिसात पर गेहूं नया मोहरा बनकर उभरा है। वही गेहूं जो करोड़ों लोगों का पेट भरने के काम आता है। अब इस गेहूं की राजनीति में भारत को मात देने के खेल शुरू हो गए हैं। भारत को गेहूं उत्पादन का बड़ा खिलाड़ी माना जाता है और वो इस मामले में दूसरे नंबर पर है। गेहूं की राजनीति के बड़े खिलाड़ी भारत को बैकफुट पर धकेलने की कोशिश शुरू हो गई है। इसमें भारत के खिलाफ सबसे बड़ी साजिश के संकेत तुर्की से मिले हैं।
एक ओर जहां पूरी दुनिया में गेहूं की कमी को लेकर हाहाकार मचा है। तो वहीं दूसरी ओर एक चौंकाने वाली खबर आती है कि तुर्की ने भारत के 56 हजार टन से ज्यादा गेहूं को घटिया बताकर लौटा दिया। फिर मिस्त्र ने भी बिना किसी जांच के उसे खरीदने से मना कर दिया। हालांकि भारत का गेहूं अब इजरायल पहुंच चुका है। लेकिन इस पूरे वाक्य ने भारत के गेहूं के इमेज को खराब करने के बड़ी अंतरराष्ट्रिय साजिश के संकेत मिल रहे हैं। इस गेहूं को बेचने वाली कंपनी आईटीसी लिमिटेड का दावा है कि तुर्की ने तो इस गेहूं को रिजेक्ट करने से पहले इसकी जांच तक नहीं की थी।
भारत से गेहूं खरीदने वाले टॉप 10 देश
बांग्लादेश | 2191 करोड़ रुपये |
नेपाल | 619 करोड़ रुपये |
यूएई | 373 करोड़ रुपये |
श्रीलंका | 182 करोड़ रुपये |
यमन | 175 करोड़ रुपये |
अफगानिस्तान | 142 करोड़ रुपये |
कतर | 122 करोड़ रुपये |
इंडोनेशिया | 111 करोड़ रुपये |
ओमान | 60 करोड़ रुपये |
मलेशिया | 18 करोड़ रुपये |
तुर्की और मिस्त्र से रिजेक्ट होने के बाद भारत का गेहूं इजरायल पहुंचा। इसे अनलोड करने की तैयारी है। यानी भारत के इस गेहूं को खरीदार तो मिल गया है। लेकिन रिजएक्शन की वजह साफ नहीं हो सकी है। युद्ध की वजह से गेहूं की कीमतों में 56 फीसदी तक उछाल आ गया है। भारत भले ही दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा गेहूं पैदा करने वाला देश है लेकिन गेहूं के व्यापार में भारत का उतना दबदबा नहीं है जितना चावल का है। यानी गेहूं के इंटरनेशनल बाजार में भारत की भूमिका ज्यादा गहरी नहीं है। ऐसे में ये सूरत भारत के गेहूं व्यापार के लिए एक बड़ा मौका लेकर आई है। दुनियाभर में गेहूं की डिमांड लगातार बढ़ रही है और अब ये व्यापार के साथ-साथ डिप्लोमेसी का भी जरिया बन रहा है। गेहूं के व्यापार में ज्यादातर यूरोपीय व्यपारियों का दबदबा है। हालांकि भारत ने गेहूं के निर्यात पर पाबंदी लगा दी है। लेकिन सरकार के स्तर पर देश दर देश गेहूं के एक्सपोर्ट का रास्ता खुला हुआ है। यानी भारत के गेहूं भंडार इसके व्यापार में बड़ा रोल निभा सकते हैं। शायद यही बात इसके बड़े अतंरराष्ट्रीय खिलाड़ियों को ये बात नागवार गुजर रही है।