लाभार्थी वर्ग या कुछ अन्य !

   क्लू टाइम्स, सुरेन्द्र कुमार गुप्ता। 9837117141

लाभार्थी वर्ग या कुछ अन्य !

2020 में भारत समेत पूरे विश्व को अपनी विभीषिका से जकड़ लेने वाली कोरोना महामारी में भारत को तीन माह लम्बे लॉक डाउन से रुबरु होना पड़ा। इस लॉक डाउन ने न केवल देश की अर्थव्यवस्था को छिन्न भिन्न किया अपितु पूरे देश के जीवन को बेपटरी कर दिया था जिसने समाज मे से रोजगार को समाप्त कर दिया था, व्यापार को समाप्त कर दिया था और लोगांे की जीवन शैली को बदल डाला था। कारखाने एवम व्यापार बन्द हो जाने से भारी संख्या में श्रमिक बेरोजगार हुए थे तथा आश्रय के लिए वापस अपने गृह जनपदों को प्रस्थान कर रहे थे। लोगो के सामने भूख मिटाने के लिए भोजन जुटाने का बड़ा प्रश्न था जिसे हमारी सरकार ने बड़ी संवेदनशीलता से समझ तथा अपने खाधान्न भंडारों के मुंह को खोल दिया तथा भारी मात्रा में देश की 70ः आबादी को मुफ्त अन्न की व्यवस्था करके पूरे विश्व को चौंका दिया था।

  कोरोना काल काफी लंबा चला, अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए सरकार ने अनेकोनेक उपाय किये, उद्योगो को )ण के माध्यम से अतिरिक्त पूंजी दी गयी तथा ब्याज को देरी से भरने की सुविधा आदि दी गयी ताकि डूबे हुए व्यापार एवम रोजगार पुनः स्थापित हो सके तथा गरीब एवम श्रमिक वर्ग को मुफ्त अथवा मुफ्त प्रायः अन्न लगातार दिया जाता रहा जो आज तक भी बदस्तूर जारी है। ऐसा करके सरकार ने एक अति दूरदर्शी कार्य किया और देश मे किसी भी संभावित अशांति को रोक डाला परन्तु यही मुफ्त का अन्न आज देश को नुकसान पहुचाने लगा है क्योंकि मुफ्त अन्न प्राप्त होने के कारण जो यह लाभार्थी वर्ग पैदा हुआ था, उसके अंदर में करने की प्रवृत्ति समाप्त प्रायः हो चुकी है तथा आज देशभर में किसान भाइयों को खेत मे कार्य करने के लिए श्रमिक उपलब्ध नही है, निर्माण कार्य के लिए श्रमिक उपलब्ध नही है और न ही बाजारों में सामान्य कार्याे के लिए कोई कामगार उपलब्ध है। सब के सब यह लाभार्थी कार्य करने से विरत हो चुके है तथा रही सही कसर सरकारी मनरेगा योजना ने पूरी कर रखी है क्योंकि मुफ्त अनाज के अतिरिक्त मनरेगा से एक माह में न्यूनतम 10 दिन रोजगार की गारंटी प्राप्त है जिसके कारण हर घर को 3000 से 4000 रुपये प्रतिमाह नगद भी मिल जाता है जो कि कामचोरी की आदत डालने में बहुत उपयोगी है।

  यदि यह लाभार्थी वर्ग इसी प्रकार मुफ्त अन्न एवम न्यूनतम रोजगार गारंटी प्राप्त करता रहा तो वह दिन दूर नही जब इस वर्ग को कार्य करने की आदत बहुत कम हो जाएगी और घर पड़े रह कर मुफ्त खाने की आदत उसे कार्य करने से रोकती रहेगी। यह परिस्थिति देश के भविष्य की कुछ धुंधली तस्वीर पेश कर रहा है जिससे बचने के लिए सरकार को इन योजनाओं में मूलभूत परिवर्तन करने होंगे ताकि इस वर्ग की सहायता भी हो सके और इनकी कार्य करने की प्रवृत्ति भी समाप्त न हो, जरा सोचिए......

- डा. मुकेश गर्ग

(लेखक एक स्वतंत्र उद्यमी, विचारक एवम ब्लॉगर है।)