क्लू टाइम्स, सुरेन्द्र कुमार गुप्ता। 9837117141
गाजियाबाद। रैपिड रेल के 82 किमी लंबे कॉरिडोर के दुहाई डिपो में बना मुख्य प्रशासनिक भवन सौर ऊर्जा की सबसे नवीन तकनीक से रोशन होगा। एक ग्लास ट्यूब के जरिये सूर्य का प्रकाश प्रशासनिक भवन के अंदर पहुंचेगा। फिर दिन में सूर्य की रोशनी रहने तक भवन में मुख्य वर्किंग डेस्क, कॉरिडोर, कॉमन एरिया और सुलभ सुविधाओं के क्षेत्र में प्रकाश की व्यवस्था रहेगी। सौर ऊर्जा की नई तकनीक का नाम सोला ट्यूब डे-लाइटिंग सिस्टम है। सिस्टम के तहत प्रशासनिक भवन की छत पर बड़े सौर ऊर्जा पैनल के स्थान पर सूर्य के प्रकाश को प्राप्त करने वाली छोटे गुंबद के आकार जैसी डिवाइस लगाई जाएगी।
डोम के आकार की डिवाइस पूरी तरह से पारदर्शी और अल्ट्रावायलट प्रकाश को आने से रोकती है। पहले चरण में रैपिड रेल के मुख्य प्रशासनिक भवन के सबसे ऊपर तीसरी मंजिल पर 30 सोला ट्यूब डे-लाइट लगाने का काम शुरू हुआ है। सूर्य का प्रकाश जब तक रहेगा, तब तक सभी लाइट सिस्टम के माध्यम से जलेंगी। हरित ऊर्जा के साथ सिस्टम से एनसीआरटीसी को बिजली की बचत करने में मदद मिलेगी। सिस्टम की खासियत है कि यह सूर्य के प्रकाश को ग्लास ट्यूब की मदद से पूरे भवन में फैला देता है। यह मुख्य रूप से सौर ऊर्जा प्रणाली नहीं है। यह सिस्टम सूरज के प्रकाश को एक ट्यूब के माध्यम से वहां भेजता है, जहां रोशनी की जरूरत होती है।
कॉरिडोर में 40 फीसदी खपत अक्षय ऊर्जा से होगी
रैपिड रेल कॉरिडोर में हरित ऊर्जा के दोहन केलिए नेशनल कैपिटल रीजन ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन (एनसीआरटीसी) ने विशेष योजना तैयार की है। इसके तहत सभी स्टेशनों और डिपो की छत पर सौर ऊर्जा पैनल लगाए जाएंगे। एनसीआरटीसी ने न्यूनतम 10 मेगावाट सौर ऊर्जा उत्पन्न करने का लक्ष्य बनाया है। ऐसे में दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ कॉरिडोर की कुल ऊर्जा आवश्यकता का 40 फीसदी तक हिस्सा अक्षय ऊर्जा के जरिये प्राप्त करने का लक्ष्य है। इसके लिए एनसीआरटीसी ने आईजीबीसी सर्टिफिकेशन की उच्चतम रेटिंग प्राप्त करने के प्रयास शुरू किए हैं। सोला ट्यूब डे-लाइटिंग सिस्टम का प्रयोग इसी दिशा में उठाया गया कदम है।
हरित परिवहन का यात्रियों को मिलेगा अनुभव
एनसीआरटीसी के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी पुनीत वत्स का कहना है कि रैपिड रेल कॉरिडोर में यात्रियों को हरित ऊर्जा से युक्त परिवहन प्रणाली का अनुभव प्राप्त होगा। साथ ही इससे लोगों को सार्वजनिक परिवहन का अधिक उपयोग करने को प्रोत्साहित किया जाएगा। इससे कार्बन उत्सर्जन को कम करने के प्रयास में सहायता मिलेगी।