क्लू टाइम्स, सुरेन्द्र कुमार गुप्ता। 9837117141
गाजियाबाद। मालीवाड़ा की रहने वाली सुनीता और उनकी दो बहनों को जब पैतृक मकान में हिस्सा नहीं मिला तो 1990 में तीनों ने अदालत का दरवाजा खटखटा दिया। उस समय सुनीता 22 साल की थीं, इंसाफ के इंतजार में 54 की हो चुकी हैं लेकिन 32 साल का लंबा वक्त बीत जाने के बाद भी हक की लड़ाई किसी मुकाम तक नहीं पहुंच पाई है।