क्लू टाइम्स, सुरेन्द्र कुमार गुप्ता। 9837117141

लखनऊ। राजस्व परिषद के पूर्व निजी सचिव विवेकानंद डोबरियाल पर शिकंजा कसता जा रहा है। कैसरबाग कोतवाली में एफआइआर दर्ज होने के बाद शासन ने भी सख्त रुख अपनाया है। अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश कुमार अवस्थी ने जिलाधिकारी अभिषेक प्रकाश को विवेकानंद की संपत्ति का ब्योरा देने के निर्देश दिए हैं।
राजस्व परिषद में व्याप्त भ्रष्टाचार और अफसरों की मिलीभगत से हुए करोड़ों के फर्जीवाड़े को मुद्दा बनाया है। खबरें प्रकाशित होने के बाद शासन ने अवैध ढंग से करोड़ों रुपये कमाने वाले विवेकानंद की संपत्तियों की जांच के आदेश दिए हैं। शासन से आदेश मिलने के बाद अपर जिलाधिकारी प्रशासन अमर पाल सिंह ने शनिवार को सभी एसडीएम को पत्र जारी किया।
विवेकानंद के इशारे पर अहिमामऊ में करोड़ों की जमीन में हेरफेर का मामला भी सामने आ गया है। इस फर्जीवाड़े में न केवल विवेकानंद के करीबी अफसर शामिल हैं, बल्कि जमीनों की खरीद फरोख्त करने वाले गुर्गे भी संलिप्त हैं। खास बात यह है कि सारा हेरफेर तब हुआ जब विवेकानंद के करीबी जितेंद्र सिंह सरोजनीनगर के तत्कालीन कानूनगो थे। अफसरों और भूमाफिया ने उस जमीन को संक्रमणीय (खतौनी में दर्ज) करवा लिया, जिसकी पट्टा पत्रावली स्वीकृत ही नहीं थी।
पीडि़त महेश सिंह ने मामले की शिकायत एसडीएम सरोजनीनगर आनंद कुमार सिंह से की। मामले की गंभीरता को देखते हुए एसडीएम ने तहसीलदार विजय कुमार को जांच कर शीघ्र आख्या देने के लिए कहा है, ताकि आगे की कार्रवाई की जा सके। तहसीलदार सरोजनीनगर विजय कुमार का कहना है कि मामले की जांच की जा रही है। जल्द ही आख्या उच्चाधिकारियों को प्रेषित की जाएगी।
सरपरस्ती में करते गए हेरफेर : सरोजनीनगर के तत्कालीन कानूनगो जितेंद्र सिंह पूर्व निजी सचिव की सरपरस्ती में हेरफेर करते गए। डिफेंस कारिडोर की जमीन भी अपने रिश्तेदार और चालक के नाम दर्ज करवा दी। इस प्रकरण के बाद जितेंद्र सिंह को निलंबित किया गया और विभागीय कार्रवाई की बात कही गई। हालांकि अफसर केवल बयानबाजी ही करते रहे और पूरे मामले पर पर्दा डाल दिया। अधिकारियों ने चहेते जितेंद्र सिंह को बहाल भी कर दिया। यही नहीं, जितेंद्र को मोहनलालगंज तहसील में तैनाती भी दे दी गई। अब सवाल ये है कि आखिर जितेंद्र के खिलाफ विभागीय कार्रवाई क्यों नहीं की गई?