क्लू टाइम्स, सुरेन्द्र कुमार गुप्ता। 9837117141
क्या आप पुनर्नवा का अधिकतम उपयोग करते हैं
1. वृक्कों की रक्षा करती है (Protects kidneys);
2. पुनर्नवा यकृत की रक्षा करती है (Protects the liver);
3. पुनर्नवा आमविषहर (Immuno-modulator) है; तथा
4. पुनर्नवा कर्क-रोगहर (Anti-mutagenic) है
1. पुनर्नवा वृक्कों की रक्षा करती है (Protects kidneys):
• पुनर्नवा वृक्कों को बल देती है (Reinforces renal functions);
• पुनर्नवा वृक्कों को विष-द्रव्यों से सुरक्षित रखती (Reno-protective) है;
• पुनर्नवा वृक्कों द्वारा मूत्र निर्माण बढ़ाती (Diuretic) है;
• पुनर्नवा रक्त व मूत्र में क्षारीयता (Alkalinity) बढ़ाती है; व
• पुनर्नवा मूत्र-अश्मरी को घोलकर/तोड़कर (Anti-urolithic) बाहर निकालती है।
उपयोग (Uses):
• वृक्क-अक्षमता (Renal Failure): - नवीन (Acute) तथा जीर्ण (Chronic) वृक्क-अक्षमता होने पर जब रक्त में यूरिया (Blood urea) व क्रिएटिनीन (Creatinine) आदि मल बढ़ते जाते हैं, ऐसे में पुनर्नवा का उपयोग लाभदायक होता है।
• मूत्र-अश्मरी (Urinary stones) में पुनर्नवा अश्मरी को घोलकर/तोड़कर निकालने में सहायक सिद्ध होती है।
• वृक्क-शोथः (Glomerulo- nephritis) होने पर उपयोग किये जाने पर पुनर्नवा वृक्काणुओं (Nephrons) की शोथ कम करती है व उनकी क्रिया को सामान्य करने में सहायक सिद्ध होती है।
• शोफ (Edema) / जलोदर (Ascites) - किसी भी कारण से शरीर में क्लेद-संचय होकर शोफ (Edema) / जलोदर (Ascites) होने पर पुनर्नवा का उपयोग लाभदायक सिद्ध होता है।
2. पुनर्नवा यकृत की रक्षा करती है (Protects the liver):
• पुनर्नवा यकृत् को बल देती है (Reinforces hepatic functions);
• पुनर्नवा यकृत् को विष-द्रव्यों से सुरक्षित रखती (Hepato-protective) है;
• पुनर्नवा वृक्कों द्वारा मल-पित्त (Bile) निर्माण बढ़ाती है;
• पुनर्नवा पित्त-अश्मरी (Gall stones) को घोलकर/तोड़कर बाहर निकालने में सहायता करती है।
उपयोग (Uses):
• कामला (Jaundice) - किसी भी कारण से कामला होने पर पुनर्नवा का उपयोग किया जाता है;
• यकृत्-शोथः (Hepatitis) - किसी भी कारण से यकृत्-शोथ होने पर पुनर्नवा का उपयोग लाभदायक सिद्ध होता है, यथा - विषाणुज यकृत्-शोथ
(Viral hepatitis), विष-द्रव्य-जन्य यकृत्-शोथ (Toxic hepatitis), मद्यपान-जन्य (Alcoholic hepatitis), इत्यादि।
• यकृत्-अक्षमता (Liver Failure) - नवीन व जीर्ण यकृत्-अक्षमता होने पर पुनर्नवा का उपयोग लाभदायक सिद्ध होता है।
• पित्त-अश्मरी (Urinary stones) में पुनर्नवा अश्मरी को घोलकर/तोड़कर निकालने में सहायक सिद्ध होती है।
• यकृत्गत मेदोसंचय (Fatty liver) में पुनर्नवा सहायक होती है।
• नवीन यकृत्-काठिन्य (Early cirrhosis of liver) में पुनर्नवा लाभदायक होती है।
3. पुनर्नवा आम विषहर (Immuno-modulator) है:
आमविषहर (Immuno- modulator) होने से पुनर्नवा का उपयोग आमविषज रोगों (Auto-immune disorders) में लाभ देता है -
• आमवातः (RA);
• सामवातः (SLE);
• आमविषज त्रिक्-पृष्ठ-कटि ग्रहः (Ankylosing spondylitis);
• किटिभः (Psoriasis);
• एक कुष्ठः (Lichen planus);
• आमविषज मधुमेह (Diabetes type I);
• आमविषज ग्रहणी (IBD);
• आमविषज समान-वात-वृद्धि: (Graves disease);
• आमविषज समा-वात-क्षयः (Hashimoto's thyroiditis);
• आमविषज-मांसपेशी-दौर्बल्यः (Myasthenia gravis);
• आमविषज रक्तवाहिनी-शोथः (Autoimmune vasculitis)
4. पुनर्नवा कर्क-रोगहर (Anti-mutagenic) है:
कर्क-रोगहर (Anti-mutagenic) होने से पुनर्नवा का उपयोग विभिन्न प्रकार के कर्क-रोगों (Malignant disorders) में सहायक औषधी के रूप में करते हैं। इसके साथ-साथ रसायन व यकृत्-बल्य होने से पुनर्नवा का उपयोग कीमोथेरेपी के कुप्रभाव कम करने के लिये भी करते हैं।
Available as:
Punarnava ghan tab 600 mg ext (= 3 gms of Punarnava churna)
मात्रा: 2 टैब्लेॅट्स दिन में 3-6 बार से आरंभ करें, व इच्छित परिणाम प्राप्त होने पर मात्रा धीरे-धीरे कम करते जाएँ।
By:
Dr. Brijbala Vasishth
Dr. Sunil Vasishth