वैशाली में छोटे-छोटे बच्चों ने कराया यज्ञ, बड़ों ने डाली आहुति

 क्लू टाइम्स, सुरेन्द्र कुमार गुप्ता। 9837117141


वैशाली में छोटे-छोटे बच्चों ने कराया यज्ञबड़ों ने डाली आहुति

·         याजक बने पर्ल कोर्ट वैशाली के बच्चे, मंत्र भी पढ़ा और अर्थ भी बताया

      ·         उत्तम स्वास्थ्यवातावरण में शुद्धता और महामारी के खात्मे के लिए की गई प्रार्थना

·         बुद्ध पूर्णिमा पर वैश्विक सुख-शांति के लिए घर-घर यज्ञ अभियान हुआ पूरा

ग़ाजियाबाद।16 मई. वैश्विक सुख शांति, उत्तम स्वास्थ्यवातावरण में शुद्धता, महामारी के खात्मे और प्रगति के लिए बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर वैशाली स्थित रामप्रस्थ ग्रीन में पर्ल कोर्ट सोसाइटी के छोटे-छोटे बच्चों ने याजक बनकर विधि-विधान से यज्ञ कर्म कराया। इस दौरान मौजूद रहे उनके परिजनों समेत सोसाइटी के बड़े-बुजुर्गों ने यज्ञ में आहुति डाली।

याजक बने पर्ल कोर्ट वैशाली के बच्चों ने न केवल मंत्र पढ़ा बल्कि उसका अर्थ भी समझाया। सुबह से ही सारे बच्चे यज्ञ करने को लेकर उत्साहित दिखे। पर्ल कोर्ट में बालसंस्कार शाला चलाने वाली टीम का कहना है कि यज्ञ का अर्थ है- शुभ कर्म, श्रेष्ठ कर्म, सत् कर्म, वेदसम्मत कर्म। सकारात्मक भाव से ईश्वर-प्रकृति तत्वों से किए गए आह्‍वान से जीव की प्रत्येक इच्छा पूरी होती है। यज्ञ को शास्त्रों में सर्वश्रेष्ठ कर्म कहा गया है। यज्ञ हमारी संस्कृति का मूल आधार हैं। यज्ञ से वातावरणपर्यावरण शुद्ध होता है और सूक्ष्म जगत का शोधन होता है तथा प्राणियों का कल्याण होता है।

 पर्ल कोर्ट टीम के सदस्यों ने कहा कि हवन, पूजन, यज्ञ आदि कार्यों से नयी पीढ़ी में संस्कार आते हैं और उनमें कर्त्तव्यबोध का संचार होता है। यज्ञ मानव जीवन को सफल बनाने की आधारशिला है। अग्नि पवित्र मानी जाती है और जहां यज्ञ होता हैवहां का संपूर्ण वातावरणपवित्र और देवमय बन जाता है। यज्ञवेदी में 'स्वाहाकहकर देवताओं को अर्पित हवि से मनुष्य को दुख-दारिद्रय और कष्टों से छुटकारा मिलता है। यज्ञ के जरिए हमें न सिर्फ सुख-शान्ति प्राप्त होती है बल्कि आध्यात्मिक आनंद का भी अनुभव होता है

 

पर्ल कोर्ट बालसंस्कारशाला चलाने वाली टीम के सदस्यों ने बताया कि विश्व में एकतासमताममता का वातावरण निर्मित करने के लिए विराट वैश्विक यज्ञीय प्रयोग बीते कई वर्षों से गायत्री परिवार के मार्गदर्शन में किया जा रहा है। इस वर्ष गायत्री परिवार बुद्ध पूर्णिमा को यज्ञ दिवस मनाने का संकल्प लिया था जिसके तहत देश भर के लाखों घरों में यह आयोजन 15 और 16 मई को किया गया। टीम के सदस्यों ने बताया कि यज्ञ की अग्नि, मन्त्रों के जाप और यज्ञ कुंड में अर्पित आहुति के प्रभाव से विश्व में भयआतंक का माहौल मिटेगा और ऋषियों द्वारा बताई गई वसुधैव कुटुम्बकम की भावना सत्य सिद्ध होगी।