"आपने घबराना नहीं है..."

 क्लू टाइम्स, सुरेन्द्र कुमार गुप्ता। 9837117141

 


"आपने घबराना नहीं है..."

पता नहीं कैसे ? वे 15 मिनट में स्टे लेकर आ गये!

मैं आज तक यह समझ नहीं पाया हूँ कि बहुत-से केस में जहाँ पीड़ित हिंदू होता है यदि वह हाईकोर्ट जाता है तो हाईकोर्ट कहता है कि तुम सीधे मेरे पास क्यों आ गए बे, पहले लोअर कोर्ट जाओ।

लेकिन ये लोग सीधे सुप्रीम कोर्ट चले जाते हैं और मजे की बात यह कि सुप्रीम कोर्ट बिना तारीख दिये उसी समय सुनवाई भी कर देता है! और भी बड़े मजे की बात कि सुप्रीम कोर्ट तुरन्त ऑर्डर भी दे देता है!

फिर यह लोअर कोर्ट, सेशन कोर्ट, डिस्ट्रिक कोर्ट, हाईकोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट वाला सिस्टम मात्र हिंदुओं के लिए ही है क्या ??



प्रश्न यह नहीं है कि सुप्रीम कोर्ट ने अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई पर रोक क्यों लगा दी ! 

प्रश्न यह है कि एक नगर निगम के स्तर का केस सुप्रीम कोर्ट ने पहले लोअर कोर्ट में क्यों नहीं भेजा? सीधे स्वयं क्यों सुनवाई की? दूसरे मामलों में तो कहते हैं कि हम नहीं सुनेंगे, जाओ पहले लोअर कोर्ट में जाओ! 

सिद्ध हो रहा है कि "सरकार" भले ही अपनी है, "सिस्टम" तो उनका ही है।

यही है वह नेटवर्क जिसमें अलग-अलग जगहों पर अलग-अलग रूपों में काम करने वाले लोग एक इशारे पर काम में लग जाते हैं। कोई "याचिका" दायर करता है, कोई अपने नेटवर्क से इस पर "तत्काल निर्णय" के लिए काम करता है, कोई "पैसों की व्यवस्था" करता है, कोई इसको "मीडिया चैनलों और अखबारों में बैठे हुए लोगों द्वारा प्रचारित" करता है, कोई अपने "पाले हुए तथाकथित सेकुलर और बुद्धिजीवियों" द्वारा इसे "बौद्धिक समर्थन देने का काम" करता है और कई राजनेता इस पर "राजनीति" करने लगते हैं जिसमें "तुष्टीकरण और वोट-बैंक की चिन्ता में राजनीति करने वाले" भी शामिल हो जाते हैं और "संविधान की इतनी दुहाई" देते हैं कि जैसे संविधान का इन्हें "बहुत ख्याल" हो जबकि यही लोग "संविधान की धज्जियाँ  उड़ाने के लिए सदैव तैयार" रहते हैं।

लोगों को जागरूक होने की आवश्यकता है और एकजुट और संगठित होकर उन्हें इस "विशिष्ट मानसिकता और विचारधारा को पराजित करने के लिए" अपने सम्पूर्ण प्रयास में जुट जाना है।

ऊँचे कोठे के अधिकतर डाॅन 56 देशों के हाथ की कठपुतली हैं, उनको पैसा और अन्य समस्त सुविधाएँ उपलब्ध कराई जाती हैं। इतिहास गवाह है कि वो कभी लोअर कोर्ट, हाई कोर्ट में मुकदमा दायर नहीं करता, सीधा सुप्रीम कोर्ट जाता है और सुप्रीम कोर्ट सीधा इसके पक्ष में निर्णय सुना देता है तब नीचे की कोर्ट कुछ कर नहीं सकती।

सरकारी सब्सिडी की खैरात पर पलने वाले और अपने आप को आक्रान्ताओं का वशंज मानने वाले मुगलिया मानसिकता से बाहर निकलना ही नहीं चाहते जबकि मुगलों को भारतवर्ष से निकले लगभग 400 वर्ष हो चुके।

न्यायप्रणाली के प्रचलित सिस्टम को धत्ता बताते हुए ये जिहादी जब चाहे सीधे सुप्रीम कोर्ट के मियाँलाॅर्ड के चेम्बर में पहुँच जाते हैं। वो भी एक घण्टे के नोटिस पर ! और सुप्रीम कोर्ट भी लाखों केस छोड़कर इनके लिए अपना दरबार सजा देता है !!

ये कैसे संभव है ?

ये कैसा प्रिविलेज है इनके लिए ?

आम आदमी यानि हिंदू लोअर कोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक जाने में अपना जीवन खपा देता है। किंतु इनके लिए ये बाएँ हाथ का खेल है।

जो सुप्रीम कोर्ट 30 वर्षों तक कश्मीरी हिंदुओं के मरते-लुटते घर परिवारों पर मौन रहा, वही सुप्रीम कोर्ट आज दिल्ली में जिहादी पत्थरबाजों के अवैध घरों को बचाने के लिए 1 घण्टे में दो बार जाग गया। तात्पर्य स्पष्ट है कि देश तोड़ने वाले सिस्टम के अंदर-बाहर बहुत मजबूती से सक्रिय हैं।

1992 में बाबरी ढाँचा गिरा दिया गया था... कांग्रेस सरकार ने आनन-फानन में उत्तर प्रदेश की बीजेपी सरकार के साथ-साथ हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश और राजस्थान की बीजेपी सरकारों को भी बर्खास्त कर दिया जबकि इन तीनों राज्यों का अयोध्या के मामले से कोई लेना-देना नहीं था।

बर्खास्त राज्य सरकारें तुरन्त सुप्रीम कोर्ट गईं लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने लोकतंत्र के साथ किये गए जघन्य बलात्कार को इस लायक नहीं समझा कि वह तुरन्त सुनवाई कर दे।

सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करने में और निर्णय देने में कुल 10 महीने लगा दिए और इस बीच इन सभी राज्यों में फिर से चुनाव हो गए और नई सरकार का भी गठन हो गया। अपने आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने कहा- एक सीमा तक उत्तर प्रदेश सरकार को बर्खास्त करना "वैध" था लेकिन राजस्थान, मध्य प्रदेश और हिमाचल प्रदेश की बीजेपी सरकारों को बर्खास्त करना पूरी तरह से "गलत" था। लेकिन चूँकि अब इन राज्यों में चुनाव हो चुके हैं इसलिए "अब हम कुछ नहीं कर सकते!!" लेकिन यही सुप्रीम कोर्ट सरकारी जमीनों और गोचर की जमीनों पर कब्जा जमाए लोगों के लिए जो एक विशेष समुदाय से हैं उनके लिए सीधे तुरन्त सुनवाई करता है और आधे घण्टे में आर्डर निकाल कर दे देता है!!

सुप्रीम कोर्ट में लगभग 73,000 मामले लम्बित हैं और भारत के समस्त न्यायालयों में लगभग 44 मिलियन मामले लम्बित हैं, लेकिन इन्हें "आतंकवादियों और राष्ट्रद्रोहियों को राहत" देनी है, पहले दिल्ली (जहांगीरपुरी) पर चल रहे "बुलडोजर" को रोकना है!! 😡

थू... मियाँलाॅर्ड!! 😡

मियाँवाद और माओवाद के चंगुल से जब तक मुक्त नहीं होती तब तक न्यायपालिका से न्याय की अपेक्षा नहीं की जा सकती।

दंगाइयों को बचाने के लिए मियाँलाॅर्ड की अतिसक्रियता "देश की सुरक्षा, एकता, अखण्डता और सम्प्रभुता के लिए बहुत बड़ा खतरा" है।

आप तो "गिरवन" के अपने "दोनों पशु चिकित्सकों" पर "विश्वास" बनाए रखिए।

नोट -- पहली बात "आपने घबराना नहीं है।"

🤔अगर सुधार चाहते हैं तो पूरे देश में फैलाएं🤔