बच्चे कुछ दिन के असहाय होते हैं

क्लू टाइम्स, सुरेन्द्र कुमार गुप्ता। 9837117141

बच्चे असहाय


अनिलासिंह आर्य

बच्चे जो कुछ दिन के हों या कुछ माह के हों या कुछ वर्ष के हों। असहाय होते हैं जिनको कभी अस्पताल में चूहे कुतर जाते हैं तो कहीं कुत्ते काट जाते हैं क्योंकि ये स्वयं को बचाने में अक्षम होते हैं। नतीजा मौत होता है।
हमें याद आ रही है तीस बत्तीस वर्ष पुरानी घटना ।जब यहाँ जंगल ही था ।छितरे घरों का निर्माण था ।दोपहर में अचानक आवाजें  सी आईं कि कुत्ता एक बच्चे को खा रहा है ।हम दौड़े-दौड़े वहाँ पहुँचे ।जाकर देखा तो बस उफ ही निकला मुँह से ।मित्रों वह नवजात शीशु था पता नहीं कुत्ते कहाँ से आए थे ।उन्होंने कोमल काया का पूरा एक हाथ और एक पाँव खा लिया था ।नग्नावस्था में पड़े शिशु को लोग घेरे खड़े थे और देख रहे थे ।तभी एक महिला बोली जिंदा होता तो मैं ले जाती चाहे बिना हाथ पाँव का ही होता ।
हमने पहले ही कहा था कि मासूम बच्चे असहाय होते हैं वो सावधानी पूर्वक निगरानी की जरूरत होती है।तो दोष किसका है? दोष हमारा ही होता है क्योंकि कहीं न कहीं चूक निगरानी में हमसे ही होती है और अपने जिगर टुकड़ों से वंचित होना पड़ता है ।
हमारी संस्कृति में इंसान को आत्मिक चैन और शांती व धैर्य के लिए हम सभी दुःखी को यह कहकर समझाते हैं कि सब्र करो शायद किस्मत में ऐसा ही लिखा था।होनी को टाल नहीं सकते क्योंकि वह तो बनी ही होने के लिए है।
सड़क के कुत्तों के लिए कुछ तो शासन को सोचना होगा।उनको मार भी नहीं सकते कारण पशु क्रूरता नियम का होना है ।वैसे भी हमारे संस्कार धरती के प्रत्येक प्राणी मात्र के लिये दया के साथ पोषण  करना सिखाती है।
 परंंतु हमारे मासूम इनकी वजह से आंगन छोड़ जाते हैं। बगैर किलकारियों के घर सूना हो जाता है। तब सोचना पड़ेगा।