मुफ्त के नाम पर चलती राजनीति से लेकर बडे घरानो के सामने नतमस्तक होती सरकारें

क्लू टाइम्स, सुरेन्द्र कुमार गुप्ता। 9837117141




मानवता (HUMAN RIGHS) के लिए काम करना, विषय ही सुन कर अजीब लगता है। आज मानव (HUMAN) ही मानवअधिकारों का दुश्मन बनता जा रहा है। अपने मानव अधिकारो की रक्षा के लिए संगठन भी बनाने पड़ रहे है और जागरुकता से लेकर हनन की दशा मे एक्शन भी करना पड़ रहा है। परिस्थितियां पूरे विश्व में अच्छी नहीं नहीं है। रुस यूक्रेन युद्ध हो या फिर जहांगीरपुरी के दंगे। लाउडस्पीकरों से लेकर बुलडोडर तक का शोर। मुफ्त के नाम पर चलती राजनीति से लेकर बडे घरानो के सामने नतमस्तक होती सरकारें। हर हालत में मानव ही पिस रहा है। चाहे महंगाई की मार हो या फिर अफसरशाही की मनमानी। ऐसे मे शिक्षा,स्वास्थ्य, जीवन, बराबरी से लेकर न्याय तक के मानव अधिकार बेमानी लगने लगे हैं। चिंतिंत बुद्धिजीवी वर्ग और लापरवाह सरकारों के माहौल में एक दूसरे के लिए काम करना बहुत बडी बात है। मानव को मानव के लिए सोचना होगा। संगठित होकर कार्य करना होगा, तभी हमारे जैसे संगठनों का उद्देश्यों की पूर्ति होगी। आप भी

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