चीन के पाप के सबूत मिले (सम्पादकीय)

 

क्लू टाइम्स, सुरेन्द्र कुमार गुप्ता। 9837117141

Xinjiang Police Files: चीन के पाप के सबूत मिले, छीन लिया जाता है मुसलमानों से कुरान और हिजाब, भागने पर होता है ये खौफनाक अंजाम

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डेटा के एक लीक ने चीन के चेहरे से पर्दा हटा दिया है। मामला उइगर मुस्लिमों से जुड़ा है। चीन पर शिनजियांग में लाखों मुस्लिमों को डिटेंशन सेंटर में बंद करने का आरोप लगता रहा है। उनसे दोयम दर्जे का सलूक किया जाता है। उनकी संस्कृति और उनकी पहचान को मिटाने की कोशिश की जाती है।


डेटा के एक लीक ने चीन के चेहरे से पर्दा हटा दिया है। मामला उइगर मुस्लिमों से जुड़ा है। चीन पर शिनजियांग में लाखों मुस्लिमों को डिटेंशन सेंटर में बंद करने का आरोप लगता रहा है। रिपोर्ट ये भी है कि उनसे दोयम दर्जे का सलूक किया जाता है। उनकी संस्कृति और उनकी पहचान को मिटाने की कोशिश की जाती है। चीन इन आरोपों को झूठा बताता है। पहले तो उसने डिटेंशनसेंटर के अस्तित्व से ही इनकार कर दिया। बाद में कहा कि इन लोगों को वोकेशनल ट्रेनिंग दी जा रही है। उइगर मुस्लिम अपनी मर्जी  से सेंटर में जाते हैं। उनके साथ कोई जबरदस्ती नहीं की जाती। लेकिन अब तगड़े सबूत हाथ लगे हैं। ये सबूत चीन के हर दावे को धराशायी कर देते हैं। दरअसल ,2018 में अज्ञात हैकर्स ने शिनजियांग पुलिस के सिस्टम से डेटा उड़ा लिया था। इस डेटा को बीबीसी और कई दूसरे मीडिया संस्थानों के साथ साझा किया गया। पड़ताल के बाद अब रिपोर्ट पब्लिश हुई है। इससे क्या-क्या पता चला है आज के इस विश्लेषण में आपको बताते हैं। चीन में उइगरों पर जुल्म का डेटा जब सामने आया उस वक्त संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार हाई कमीशनर की मौजूदगी बीजिंग में ही थी। उनका चीन दौरा उस वक्त हुआ जब चीन में उइगर मुसलमानों पर जुल्म के सबूत इंटरनेट पर वायरल हो रहे हैं। उसी से जुड़े एक सवाल पर शी जिनपिंग से भी पूछा गया। क्योंकि शी जिनपिंग और उनकी पार्टी जिस सच को सालों से छुपा रही थी वो अचानक सामने आ गया। उइगर मुसलमानों पर चीन के जुल्म की कहानियां इंटरनेट पर डाली जा चुकी है। जिन कैंपों को चीन वोकेशन ट्रेनिंग बताता था उसकी हकीकत अब दुनिया को पता लग चुकी है। 

'शिनजियांग पुलिस फाइल्स' से क्या पता चला?

हैक डेटा में कैंप की 5 हजार से अधिक तस्वीरें हैं। 3 हजार से अधिक तस्वीरें हिरासत में रखे गए उइगर मुस्लिमों की है। इन तस्वीरें में टॉर्चर, बदसलूकी साफ दिखती है। एक इंटरनल दस्तावेज भी हाथ लगा है। इसमें ये भी बताया गया कि कैंप कैसे चलाया जाए और कैदियों को कैसे काबू में रखा जाए। लीक हुई जानकारी में बीजिंग स्पेशल वेपन्स एंड टैक्टिक्स यूनिट (स्वाट) की तस्वीरें हैं जो नजरबंदी शिविरों से पलायन-रोधी अभ्यास कर रही हैं। दस्तावेजों में हजारों लोगों की तस्वीरें है, जिन्हें जबरन कैद किया गया है। इन लोगों पर किस तरह की हिंसा हो रही है और उन्हें किस तरह कैद किया गया है इसे देख दुनिया हैरान है। फाइलों में शिनजियांग में कम्युनिस्ट पार्टी के पूर्व सचिव चेन क्वांगुओ का 2017 का एक भाषण शामिल है, जिसमें कथित तौर पर उन्होंने इन डिटेंशन सेंटर से भागने की कोशिश करने वालों पर गोली चलाने का आदेश दिया था। चीन पर रिसर्च करने वाले शोधकर्ता एड्रियन ज़ेन्ज़ ने इन फाइलों को ऑनलाइन अपलोड किया है। डॉ ज़ेंज़ ने 24 मई को ट्वीट किया कि "शिनजियांग पुलिस/री-एजुकेशन कैंप के कंप्यूटरों को हैक करके" जानकारी प्राप्त की गई थी और इसमें "कैंपों के अंदर से पहली बार तस्वीरें सामने आई हैं। उन्होंने कहा कि चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की तरफ से नए डिटेंशन कैंप बनाने के आदेश दिया हैं क्योंकि मौजूदा कैंप में उइगरों की तादाद ज्यादा हो गई है। 

चीन का शिनजियांग प्रांत और उइगर मुस्लिम

एक ऐसा प्रांत जो आकार में दुनिया में सबसे बड़ा प्रांत है। जिसका आकार पाकिस्तान से डेढ़ गुना और बांग्लादेश से 12 गुणा ज्यादा है। जिस प्रांत की कुल आबादी में से करीब 50 फीसदी लोग इस्लाम को मानने वाले हैं और बहुसंख्यक आबादी तुर्की भाषा में बात करती है। एक ऐसा राज्य जिसकी सीमाएं भारत समेत रूस, किर्गिस्तान, तजाकिस्तान, पाकिस्तान, अफगानिस्तान और मंगोलिया जैसे आठ देशों से मिलती है। इनमें से पांच प्रमुख इस्लाम को मानने वाले देश हैं। शिनजियांग में 45 फीसदी उईगर मुसलमान रहते हैं। ये तुर्की से संबंध रखते हैं। लेकिन इस प्रांत के मुसलमान चीन की मर्जी के बगैर कुछ नहीं कर सकते। चीन की सरकार जब चाहे वहां मस्जिदों को गिरा कर पब्लिक टाॅयलेट बनवा देती है। मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक चीन ने 18 लाख उइगर मुसलमानों को कैद में रखा है। 10 लाख मुसलमानों को डिटेंशन कैंप की बात संयुक्त राष्ट्र की तरफ से भी कही जा चुकी है। पिछले तीन सालों के भीतर शिनजियांग प्रांत में 10 से 15 हजार मस्जिदें नष्ट की जा चुकी हैं। कई उइगर अपनी संस्कृति को हान चीनी से अलग मानते हैं। कम्युनिस्ट सरकार पर हान लोगों को यहां बसाए जाने के आरोप लगते रहे हैं और देखते ही देखते शिनजियांग से उइगर अपनी ही जगह पर कम होते गए। 1949 में महज छह फीसदी वाले हान 2000 की जनगणना में 40 फीसदी पर पहुंच जाते हैं। फिर हान चीनियों और उइगरों के बीच टकराव की खबरें आने लगी। 2008 में शिनजियांग की राजधानी उरुमची में हिंसा में 200 लोग मारे गए। 2009 में यहीं दंगों में 156 उइगर मुस्लिम मारे गए। 2010 और 2012 में भीं टकराव की खबर आती रही। 2013 में प्रदर्शन कर रहे 27 उइगरों को पुलिस ने निशाना बनाया।

चीन ने इस क्षेत्र में कैसे नकेल कसी है?

चीनी सरकार ने कई उइगर समूहों और व्यक्तियों को आतंकवादी और चरमपंथी के रूप में नामित किया है। 2018 के बाद से अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने बड़ी संख्या में उइगरों को कैद में रखने की  बात अपने रिपोर्ट के माध्यम से कही है। हालांकि चीन ने इस तरह की खबरों का लगातार खंडन किया है। इसमें कहा गया है कि उइगरों को स्किलिंग के लिए वोकेशनल ट्रेनिंग दी जा रही है। शिनजियांग पुलिस फाइल्स का कहना है कि इन शिविरों में करीब 20 लाख उइगर हैं। जिनपिंग की तरफ से शिनजियांग में धार्मिक चरमपंथ की ताकतों को कुचलने आदि की बातें कहकर लगातार 2016 के बाद से उइगर और अन्य मुसलमानों के लिए तथाकथित "पुनः शिक्षा" शिविरों का निर्माण करवाया जा रहा है।

चीन पर क्या आरोप लगाया गया है?

हाल के वर्षों में जो रिपोर्टें सामने आई हैं उनमें उइगरों के शोशित होने की कई गंभीर तस्वीरें पेश की गई है। बीबीसी ने 2018 में बताया कि इस क्षेत्र के उइघुर गांव सख्त निगरानी में थे, और उइगर सरकारी अधिकारियों को इस्लाम का अभ्यास करने, मस्जिदों में जाने और रमजान के दौरान उपवास करने से प्रतिबंधित कर दिया गया था। बीबीसी ने इससे जुड़ी एक रिपोर्ट की थी जिसमें जेल में रह चुके लोगों से बीत भी की गई थी। बीबीसी को साझा किए गए अनुभव में आमिर नामक शख्स ने बताया- वो मुझे सोने नहीं देते थे। कई घंटों तक लटका कर रखा जाता था। मेरी चमड़ी में सूइंयां चुभाई जाती थी। मेरे नाखून नोचे जाते थे। इतना ही नहीं टाॅर्चर का सामान मेरे सामने टेबल पर रखा जाता था ताकि मैं खौफजदा रूं। मुझे दूसरे लोगों के चीखने की आवाजें भी सुनाई परती थी। शिनजियांग के उनके कवरेज के कारण 2021 में चीन ने बीबीसी वर्ल्ड न्यूज़ को चीन में ब्रॉडकास्टिंग से बैन कर दिया था। अगले साल द न्यू यॉर्क टाइम्स ने चीन से लीक हुए दस्तावेज़ों के 400 से अधिक पृष्ठों पर आधारित एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी। दस्तावेजों में शी के कुछ पूर्व के अप्रकाशित भाषणों के साथ ही उइगर आबादी पर निगरानी और नियंत्रण को लेकर दिए गए निर्देश व रिपोर्ट शामिल हैं। न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक, दक्षिण-पश्चिम चीन में कथित अल्पसंख्यक उइगर उग्रवादियों द्वारा एक रेलवे स्टेशन पर 31 लोगों की हत्या करने के बाद अधिकारियों को 2014 में दिये गए भाषण में शी ने ‘आतंकवाद, घुसपैठ और अलगाववाद’ के खिलाफ पूर्ण संघर्ष का आह्वान करते हुए ‘तानाशाही के अंगों’ का इस्तेमाल करने और ‘किभी भी तरह की दया नहीं’ दिखाने को कहा था।

दुनिया ने कैसे प्रतिक्रिया दी है?

पश्चिम की सरकारों ने चीनी सरकार द्वारा उइगरों के साथ व्यवहार की बार-बार निंदा की है। ब्रिटिश विदेश सचिव लिज़ ट्रस ने कहा कि नई रिपोर्ट पहले से ही पेश किए गए तथ्यों के सबूत में एक और अध्याय जोड़ती है। उनके बयान में कहा गया है कि उइगर मुसलमानों के चीन के भयावह उत्पीड़न को रोकने में ब्रिटेन अंतरराष्ट्रीय भागीदारों के साथ खड़ा है। जर्मन विदेश मंत्री एनालेना बारबॉक ने इसे बहुत गंभीर मानवाधिकारों के उल्लंघन का मामला बताते हुएपारदर्शी जांच का आह्वान किया। अमेरिका ने कहा कि वह इन वारदातों से "हैरान" है और दुर्भाग्य से चीन द्वारा नरसंहार जारी है। हालांकि पूरे मामले पर भारत ने कोई टिप्पणी नहीं की है।