क्लू टाइम्स, सुरेन्द्र कुमार गुप्ता। 9837117141
हर समय माथे पर शिकन है, हाव-भाव में बैचेनी है व्यवहार में बदहवासी है।
क्या बात है कि हर शख्स परेशान सा है। उधेड़ने में और बुनने में लगा है जिससे कोई सकारात्मक परिणाम भी नहीं दिख रहा।
वास्तव में आज का आदमी अनगिनित इच्छा, आशा और उम्मीद के बोझ तले दबता जा रहा है।जीने के तौर-तरीकों के मकड़जाल में उलझते जा रहा है।प्रतिस्पर्धा ने उसके सुकून को छीनने लिया है।यह भी चाहिए वह भी चाहिए की पूर्ति में जो है उससे सुख पाने से वंचित हो रहा है ।
भूल गया कि आखिरी बार वह अपनों को देख स्नेहपूर्वक कब मुस्कराया था।उसे याद ही नहीं कि कब वह बेफ़िक्री अंदाज में अपने परिजनों, मित्रों संग खिलखिला कर हंसा था।
परिणाम अनेक रोगों को निमंत्रण देकर शरीर में स्थायी स्थान दे देता है। हम भूल रहें हैं कभी किसी ने कहा था कि धन गया फिर आ जाएगा लेकिन स्वास्थ्य गया तो लौटकर नहीं आएगा।
माना हमने आज चिकित्सा पद्धति अति विकसित है लेकिन जीवन शैली हमें स्वस्थ रहने नहीं देती ।इसीलिए भाइयों बहनों आज हम योग की नाना विधाओं का अनुसरण कर रहे हैं और अन्य को भी प्रेरित करने के लिए विश्व विशेष दिवस की संज्ञा देता है ।जीवन को थोड़ा उन्मुक्त बनाने के लिए हंसना वह खुलकर ठहाका लगाना,खिलखिला कर हंसना स्वास्थ्य के रामबाण औषधि है।आज तनावमुक्त रहने के लिए लोग एकत्रित होकर हा,हाहा हा हा हा हा हा करते हैं। कोई एक चुटकुला सुनाते हैं और सब दोनों हाथ ऊपर कर हंसने का अभिनय करते हैं।
पल भर के लिए अपनों संग हल्का फुल्का माहोल बना कर सबको तनाव से दूर कीजिए और स्वयं भी रहिये।
यूँ ही एक दिन अंतिम पल आ जाएगा और सामान जो अथक प्रयासों से एकत्रित किया है पता लगा कि उसी के बोझ तले सांसें दब गयीं और वही कब्र बन गयी ।अभी भी समय है सम्भलिए और नकली हंसी नहीं असली हंसी को सहचरी बनाइए।
बदलाव आप स्वयं महसूस करेंगे। याद रखिए बाहरी आडम्बरों से आनन्द नहीं होता वह तो अंतर्मन से बहथा झरना होता है जो सबको अपनी बूंदों से शीतलता प्रदान करता है।
योग की महत्वपूर्ण विधा हास्य दिवस पर सभी को बहुत-बहुत बधाई।✍✍
अनिला सिंह आर्य