क्लू टाइम्स, सुरेन्द्र कुमार गुप्ता। 9837117141

गाजियाबाद। लाकडाउन में आनलाइन क्लास का सबसे बड़ा साइड इफेक्ट बच्चों पर पड़ रहा है। ज्यादातर बच्चे अब आउटडोर खेलना पसंद नहीं करते। पढ़ाई के बाद भी पूरा दिन मोबाइल चलाने और टीवी देखने में निकल जाता है। इसकी वजह से बच्चों की नींद प्रभावित हो रही है और मानसिक रूप से कमजोर हो रहे हैं।
बच्चों के लिए खेल-कूद, योग व्यायाम जरूरी
मनोविज्ञानी डा. एके विश्वकर्मा ने बताया कि मोबाइल की लत से बच्चों की नींद प्रभावित होने की समस्या को लेकर पहुंचने वाले अभिभावकों की संख्या लाकडाउन के बाद से लगातार बढ़ रही है। मोबाइल की लत छुड़ाने और नींद का शेड्यूल सुधारने के लिए सबसे पहले बच्चों का घर से बाहर निकलकर खेलना कूदना जरूरी है।
अभिभावक स्वयं भी इसे लेकर सजग हों और बच्चों की लत छुड़ाने से पहले स्वयं को भी इस पर ध्यान देना होगा। स्वयं बाहर निकलें और बच्चों को भी बाहर घूमने खेलने के लिए प्रेरित करें। सुबह योग व्यायाम करें। शारीरिक गतिविधियां बढ़ेंगी तो दिनभर आलस नहीं घेरेगा और रात को नींद भी अच्छी आएगी, जो मोबाइल की लत छुड़ाने के लिए जरूरी है।
नींद का चक्र टूटने से बढ़ रही समस्या
मनोविज्ञानी डा. हेमिका ने बताया कि सूरज निकलने के साथ उठना और सूरज ढलने के साथ सोना एक प्राकृतिक चक्र है। इसे तोड़ते हैं शारीरिक और मानसिक परेशानियां होने ही हैं। मोबाइल के ज्यादा इस्तेमाल की वजह से बच्चे नींद के सही चक्र को फालो नहीं करते। रात में अभिभावक सो जाते हैं तो बच्चे बिना किसी डिस्टर्बेंस के मोबाइल चलाते रहते हैं और सुबह देर तक सोते हैं।
सुबह बिना पूरी नींद के उठने से बच्चों में चिड़चिड़ापन और आलस रहता है। इससे पढ़ाई पर फोकस कम होने लगता है। मानसिक क्षमता प्रभावित होती है और परिणाम नकारात्मक आने लगते हैं। एक बार समस्याएं शुरू हुईं तो इनसे निकलना मुश्किल हो जाता है। स्लीपिंग शेड्यूल सुधारने के लिए शाम को बच्चों के मोबाइल चलाने का समय निर्धारित कर दें। शाम पांच बजे के बाद चाय काफी न दें और किताब से ही पढ़ने के लिए कहें। सुबह में एक्सरसाइज करें। दिन में सोने की कोशिश न करें।