नंदग्राम आर ब्लॉक जैन मंदिर पार्क में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा में बुधवार को कथा व्यास स्वामी गिरिराज किशोर भारद्वाज ने अजामिल व प्रहलाद का प्रसंग सुनाया

क्लू टाइम्स, सुरेन्द्र कुमार गुप्ता। 9837117141 

श्रीमद् भागवत कथा में सुनाया अजामिल व प्रहलाद का प्रसंग

गाजियाबाद। नंदग्राम आर ब्लॉक जैन मंदिर पार्क में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा में बुधवार को कथा व्यास स्वामी गिरिराज किशोर भारद्वाज ने अजामिल व प्रहलाद का प्रसंग सुनाया। कथा व्यास ने कहा कि  प्रभु श्रीकृष्ण का नाम जगत में सबसे शक्तिशाली है। प्रभु का नाम जपने से केवल संतों का ही नहीं बल्कि दुष्टों का भी उद्धार हो जाता है। उन्होंने कहा कि अजामिल, हिरण्यकश्यप, रावण  आदि का अवतरित शक्तियों ने ही उद्धार किया। कथा व्यास के मुखारविंद से रोचक कथा को सुनकर श्रद्धालु भावविभोर हो गए और पंडाल का माहौल भक्तिमय हो गया। उन्होंने कहा कि प्रत्येक जीव को ईमानदारी और सादगी से प्रभु का स्मरण करना चाहिए। इससे ही जीव का कल्याण संभव है। ईश्वरीय कृपा से जो आध्यात्मिक सुख व शांति मिलती है उसको बयां नहीं किया जा सकता है। लेकिन आज के जीव पर सांसारिक सुख भोग हावी हो गया है। इसका ही नतीजा है कि आज की युवा पीढ़ी अपने मार्ग से विचलित हो रही है। माता-पिता का कर्तव्य है कि वह अपने-अपने बच्चों को संस्कारित बनाए। कथा व्यास ने गर्भवती महिलाओं के लिए कहा कि जब बच्चा गर्भ में हो तो ज्यादा से ज्यादा ध्यान प्रभु के स्मरण में लगाना चाहिए। अपना समय रामायण व गीता पढ़ने में खर्च करना चाहिए। इसलिए खुद को ईश्वर से जोड़े और अपना ध्यान परमेश्वर के प्रेम में लगाना चाहिए। ईश्वर के मार्ग पर चलने वाले और सकारात्मक सोच रखने वाले लोगों का संसार में कभी अहित नहीं होता है। कथा व्यास ने कहा कि नाम में मनुष्य का कर्म और भाव कही न कही न चाहते भी आ ही जाता है। जैसे अजामिल जैसे दुष्ट के जब दसवें पुत्र का नाम नारायण रखा तब जिंदगी भर बुरे कर्मो के बावजूद नारायण पुत्र का नाम बार लेने उसका भी उद्धार हो गया। प्रभु ने अजामिल का अंत समय में उद्धार कर दिया। इसके बाद कथा व्यास ने तुलसी और गौ का महत्व भी बताया। उन्होंने कहा कि अपने-अपने घरों में गौ माता और तुलसी होनी चाहिए। जिस घर में तुलसी और गाय होती हैं। वहां से तमाम बीमारियां और कष्ट दूर हो जाते हैं। कथा के बाद श्रद्धालुओं ने भजनों का भरपूर आनंद लिया। जिससे पूरा माहौल भक्तिमय हो गया। कथा के उपरांत प्रभु श्रीकृष्ण को भोग लगाकर कर प्रसाद का बांटा गया। दरअसल जैन मंदिर पार्क में दोपहर दो बजे से शाम 5 बजे तक और रात आठ बजे से सवा दस बजे तक श्रीमदभागवत कथा चल रही है। इसमें रोजाना बड़ी संख्या में श्रद्धालु बढ़चढ़ कर हिस्सा ले रहे हैं। श्रीमदभागवत कथा स्थल पर निगम की टीम भी अपना पूरा सहयोग कर रही है। निगम के सेनेटरी इंस्पेक्टर बृजपाल ने बताया कि जब तक कथा का आयोजन होगा तो स्थल पर साफ-सफाई का पूरा इंतजाम किया गया है। आयोजन स्थल पर फॉगिंग भी कराई गई है। इस पर आसपास के लोगों ने भी निगम अधिकारियों का आभार जताया।

द्वितीय दिवस

श्रीमद् भागवत कथा में शुक्रवार को नरसी मेहता का प्रसंग सुनाया गया। कथा व्यास स्वामी गिरिराज किशोर भारद्वाज नरसी मेहता बेहद गरीब थे । उनके लिए भात भरना नामुमकिन था। लेकिन प्रभु श्रीकृष्ण के प्रिय भक्त थे। जब वह बेटी की ससुराल पहुंचे तो भात के नाम पर उनको अपमानित किया गया। उन्होंने अपना सब कुछ भगवान के चरणों में अर्पित कर दिया। प्रभु श्रीकृष्ण से अपनी भक्त की ऐसी दशा देखकर रहा नहीं गया। उन्होंने तुरंत एक सेठ बनकर उनकी बेटी का भात भरा। उनको बेटी की ससुराल से जो सामान की सूची दी गई थी तो उन्होंने उससे ज्यादा सामान देकर सबको अचंभित कर दिया। उनका भात राजा महाराजाओं से भी बढ़ के था। कथा व्यास के मुखारबिद से यह रोचक प्रसंग सुनकर श्रद्धालु भावुक हो गए। इसी बीच पंडाल में भगवान श्रीकृष्ण के जयकारे लगने लगे और पंडाल व आसपास का माहौल भक्तिमय हो गया। इसके साथ ही कथा व्यास ने राजा बलि, राजा परीक्षित और श्रीकृष्ण जन्म का प्रसंग भी सुनाया। कथा व्यास ने कहा कि प्रभु का सच्चे दिल से जो भी स्मरण करता है उसके किसी भी काम में कभी रुकावट नहीं आती है। सच्चे दिल से की गई भक्ति कभी व्यर्थ नहीं जाती है। प्रभु की महिमा इतनी महान है कि वह आज भी अपने भक्त को दुखी नहीं देख सकते हैं। नरसी भात के प्रसंग के समापन के बाद आरती हुई, जिसमें आसपास के श्रद्धालुओं ने बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया। प्रभु को भोग लगाकर प्रसाद बांटा गया।