मोदीनगर शत्रु संपत्ति के मामले में नया राज सामने आया

 क्लू टाइम्स, सुरेन्द्र कुमार गुप्ता। 9837117141

सांसद की शरण में भी गया था भूमाफिया महीउद्दीन

मोदीनगर: शत्रु संपत्ति के मामले में नया राज सामने आया है। भूमाफिया महीउद्दीन शत्रु संपत्ति पर कब्जा करने को लेकर अफसरों तक ही सीमित नहीं रहा। उसने इस मामले में राजनीतिक लोगों का भी इस्तेमाल किया। 13 नवंबर 2017 को महीउद्दीन ने सांसद डा. सत्यपाल सिंह को भी इस मामले में पत्र लिखकर शत्रु संपत्ति पर अपना अधिकार जताने का दावा किया था। अंग्रेजी में लिखे गए तीन पन्ने के पत्र में उसने निजामुद्दीन और अलाउद्दीन की संपत्ति पर उसका कैसे हक बनता है, इसकी पूरी बात लिखी है। पत्र पर उसने खुद को मेरठ कैंट का निवासी बताया है और मोबाइल, मकान आदि का पता नहीं लिखा है। सांसद ने भी इस पत्र पर 14 नवंबर को डीएम गाजियाबाद को आवश्यक कार्यवाही के लिए निर्देश दिए। ध्यान रहे कि मोदीनगर में राजबहादुर सिंह की तैनाती बतौर तहसीलदार जून 2018 में हुई थी और वे अगस्त 2019 तक यहां तहसीलदार रहे। राजबहादुर सिंह को सांसद डा. सत्यपाल सिंह का करीबी भी बताया जाता था। ध्यान रहे कि अपनी जमीन, मकान, दुकान बचाने के लिए इस प्रकरण में सीकरी खुर्द और कालोनियों के लोग कई बार सांसद डा. सत्यपाल सिंह से गुहार भी लगा चुके हैं।

-ऐसे खुला राज :

26 जुलाई 2018 को सीकरी खुर्द की खेवट के नाम दर्ज 85 बीघा जमीन में तत्कालीन तहसीलदार राजबहादुर सिंह ने अचानक से पाकिस्तान के अलाउद्दीन का नाम दर्ज कर दिया था। मामले ने तूल पकड़ा तो तत्कालीन एसडीएम पवन अग्रवाल ने तहसीलदार की भूमिका संदिग्ध मानते हुए इसकी रिपोर्ट डीएम को भेज दी। शासन स्तर से इस पर जांच बैठा दी गई। हालांकि, तत्कालीन तहसीलदार का दावा था कि उनकी मंशा किसी को अनुचित लाभ पहुंचाने की नहीं थी। जमीन में किसी का नाम दर्ज नहीं था, इसलिए उन्होंने यह आदेश कर दिया। जबकि, इसमें आरोप लगा था कि महीउद्दीन ने इस मामले में अलाउद्दीन का नाम दर्ज करने की पैरवी की थी। अलाउद्दीन का नाम दर्ज होने के बाद ही वह इस जमीन में अपना नाम दर्ज कराने की फिराक में था। लेकिन पूरा मामला उजागर होते ही अधिकारियों ने पूरे मामले से पल्ला झाड़ लिया।

-बेच चुका है बड़ा रकबा:

मूलरूप से सीकरी खुर्द के निजामुद्दीन के नाम 1800 बीघा जमीन थी। निजामुददीन के कोई संतान नहीं थी। इसलिए जमीन में पाकिस्तान जाकर बसे उनके सगे भाई अलाउद्दीन का नाम दर्ज कर दिया गया। अलाउद्दीन को शायद इस बात की जानकारी भी नहीं थी। इसलिए इस जमीन पर महीउद्दीन ने अपना दावा ठोक दिया। चकबंदी के समय अधिकारियों की मिलीभगत का ऐसा खेल सामने आया कि पूरी जमीन पर उसने अपना अधिकार जमा दिया। ध्यान रहे कि सीकरी खुर्द और उसके आसपास की 1800 बीघा जमीन को शत्रु संपत्ति अभिकरण शत्रु संपत्ति मान चुका है। इस जमीन में अब कई नई कालोनियां बस चुकी है। 50 हजार से ज्यादा की आबादी इसमें रह रही है। कई बड़े दुकान, प्रतिष्ठान, पेट्रोल पंप आदि भी इसमें खुले हुए हैं। गृह मंत्रालय से इसकी निगरानी भी चल रही है। प्रशासन जमीन पर कब्जा लेने की तैयारी में है।

-बड़ा है गिरोह:

महीउद्दीन शत्रु संपत्ति बेच बेचकर अरबपति बन गया। उसका नेटवर्क मोदीनगर तक ही नहीं, मुजफ््फरनगर, बुलंदशहर, हापुड़, बागपत तक भी फैला है। इसी तरह वहां की कई शत्रु संपत्तियों में अपना नाम हेराफेरी कर दर्ज कराकर वह संपत्ति को बेच भी चुका है। इसमें कई प्रोपर्टी डीलर भी शामिल हैं।

-निजी सचिव ने भी लिखा था पत्र:

14 नवंबर 2017 को महीउद्दीन ने मानव संसाधन विकास और जल संसाधन नदी विकास एवं गंगा संरक्षण राज्यमंत्री भारत सरकार के निजी सचिव संजीव शर्मा को भी पत्र दिया। इस पत्र का हवाला देते हुए संजीव शर्मा ने डीएम गाजियाबाद को उचित कार्यवाही के लिए पत्र लिखा। इसका संज्ञान लेकर तत्कालीन डीएम गाजियाबाद रितु माहेश्वरी ने तत्कालीन एसडीएम मोदीनगर को इस प्रकरण की जांच कराकर कार्यवाही के आदेश दिए थे।

-इनका कहना है:

किसी महीउद्दीन के लिए मैंने गाजियाबाद जिला प्रशासन कोई पत्र नहीं लिखा। मेरे कार्यालय में रोजाना बहुत से लोग शिकायत लेकर आते हैं, हो सकता है कि जल्दबाजी में कोई ऐसा पत्र आया भी हो और मैंने उस पर कार्यवाही के लिए लिख दिया हो। पुराना मामला है। मेरे कार्यालय में इसका कोई रिकार्ड भी नहीं है।

-डा. सत्यपाल सिंह, सांसद, बागपत-मोदीनगर लोकसभा। 

हम गृह मंत्रालय के आदेश का हर हाल में पालन सुनिश्चित कराएंगे। संपत्ति पर किसी भी स्थिति में अवैध कब्जा नहीं होने दिया जाएगा।

-शुभांगी शुक्ला, एसडीएम, मोदीनगर।