वट सावित्री व्रत: अमावस्या तिथि 29 मई को दिन में दोपहर 2:54 बजे से प्रारम्भ हो कर 30 मई को सांयकाल 4:59 बजे तक

क्लू टाइम्स, सुरेन्द्र कुमार गुप्ता। 9837117141

Vat Savitri Puja in UP 2022: मान्यता है कि वट सावित्री व्रत से पूजा का फल पूरा मिलता है।

लखनऊ। ज्येष्ठ कृष्ण अमावस्या को वट सावित्री व्रत रखा जाता है । इसमें वट वृक्ष की पूजा की जाती है। इस व्रत को बरगदाही व्रत भी कहते हैं। महिलाएं यह व्रत अखण्ड सौभाग्य के लिये करती हैं। इस व्रत में उपवास रखते है। ये व्रत सावित्री द्वारा अपने पति को पुनः जीवित करने की स्मृति के रूप में रखा जाता है। वट वृक्ष को देव वृक्ष माना जाता है। इसकी जड़ों में ब्रह्नााजी, तने में विष्णु जी का और डालियों और पत्तियों में भगवान शिव का वास माना जाता है। वट वृक्ष की पूजा से दीर्घायु, अखण्ड सौभाग्य और उन्नति की प्राप्ति होती है।


अमावस्या तिथि 29 मई को दिन में दोपहर 2:54 बजे से प्रारम्भ हो कर 30 मई को सांयकाल 4:59 बजे तक है । वट वृक्ष पूजन करना श्रेष्ठ है। वट सावित्री व्रत के दिन काफी अच्छा संयोग बन रहा है। इस दिन शनि जयंती होने के साथ खास योग भी बन रहा है। इस दिन सुबह 7:12 से सर्वार्थ सिद्धि योग शुरू होकर 31 मई सुबह 5:08 बजे तक रहेगा। सोमवार को होने से स्नान दान श्राद की सोमवती अमावस्या का भी संयोग है इस खास योग में पूजा करने से फल कई गुना अधिक बढ़ जाएगा।

वट सावित्री व्रत हर साल कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को रखा जाता है। इस साल यह तिथि काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि कई साल बाद 30 मई को सोमवती अमावस्या का शुभ संयोग बन रहा है। मान्यता है कि वट सावित्री व्रत के दौरान विधि-विधान से पूजा करने से पूजा का फल पूरा मिलता है।

ऐसे करें व्रत : प्रातःकाल स्नान आदि के बाद बांस की टोकरी में सप्त धान्य रख कर ब्रह्ना जी की मूर्ति की स्थापना कर फिर सावित्री की मूर्ति की स्थापना करते है और दूसरी टोकरी में सत्यवान और सावित्री की मूर्तियों की स्थापना करके टोकरी को वट वृक्ष के नीचे जाकर ब्रह्ना तथा सावित्री के पूजन के बाद सत्यवान और सावित्री की पूजा करके बड़ (बरगद) की जड़ में जल देते है। पूजा में जल, मौली, रोली, कच्चा सूत, भीगा चना, फूल तथा धूप से पूजन करते है। वट वृक्ष पूजन में तने पर कच्चा सूत लपेट कर 108 परिक्रमा का विधान है किन्तु न्यूनतम सात बार परिक्रमा अवश्य करनी चाहिए।

वट सावित्री व्रत महत्व : मान्यता है कि वट वृक्ष की पूजा करने से लंबी आयु, सुख-समृद्धि और अखंड सौभाग्य का फल प्राप्त होता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इसी दिन सावित्री अपने पति सत्यवान के प्राण यमराज से वापस लाई थी। तभी से महिलाएं इस दिन पति की लंबी आयु के लिए व्रत रखती हैं।

व्रत पूजन सामग्री : वट सावित्री व्रत की पूजन सामग्री में सावित्री-सत्यवान की मूर्तियां, धूप, दीप, घी, बांस का पंखा, लाल कलावा, सुहाग का समान, कच्चा सूत, चना (भिगोया हुआ), बरगद का फल, जल से भरा कलश आदि शामिल करना चाहिए।