22 मई से एक हो जाएंगे दिल्ली के तीन नगर निगम, गृह मंत्रालय ने जारी की अधिसूचना

क्लू टाइम्स, सुरेन्द्र कुमार गुप्ता। 9837117141

22 मई से एक हो जाएंगे दिल्ली के तीन नगर निगम, गृह मंत्रालय ने जारी की अधिसूचना

Prabhasakshi

दिल्ली नगर निगम (संशोधन) अधिनियम, 2022 को अप्रैल महीने में ही संसद ने अपनी मंजूरी दे दी। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के हस्ताक्षर के बाद बिल ने कानून का रूप ले लिया। अब सरकार ने अधिसूचना जारी कर दी है।


क्या है तीनों निगमों को एक करने वाला बिल

272 वार्डों की संख्या घटाकर अधिकतम 250 तक निर्धारित करने की बात कही गई है। इसके अलावा बिल में एमसीडी एक्ट में कई चीजों में संशोधन की बात है। विधेयक पारित होने पर ये एमसीडी को 2011 से पहले की स्थिति में नहीं लौटाएगा। विधेयक में ऐसे खंड हैं जो नई एमसीडी को पुराने एमसीडी से बहुत अलग बनाएंगे। सीटों की संख्या कम करने का मतलब है एक नया परिसीमन किया जाएगा। विशेषज्ञों का अनुमान है कि जिसमें कम से कम तीन से छह महीने लगने की संभावना है। यदि ऐसा होता है तो राज्य चुनाव आयोग के अनुसार अप्रैल में होने वाले एमसीडी चुनाव में काफी देरी होगी। विधेयक के सबसे महत्वपूर्ण प्रावधानों में से एक है जो केंद्र को एकीकृत एमसीडी की पहली बैठक होने तक एक विशेष अधिकारी नियुक्त करने की अनुमति देता है। इसका मतलब है कि जब तक चुनाव संपन्न नहीं हो जाते, केंद्र निगम को चलाने के लिए एक अधिकारी की नियुक्ति कर सकता है। अन्य महत्वपूर्ण परिवर्तन सभी स्थानों पर "सरकार" शब्द को "केंद्र सरकार" के साथ प्रतिस्थापित करना है।

1993 से पहले दस साल निगम के माध्यम से चलती थी दिल्ली 

बता दें कि 1993 से पहले कई सालों तक दिल्ली इसी स्थिति में नगर निगम के माध्यम से ही चलती थी। दिल्ली नगर निगम अधिनियम, 1957 लाया गया जिससे नगर निगम का गठन हुआ। फिर सितंबर 1966 में दिल्ली प्रशासन अधिनियम, 1966 के तहत विधानसभा को दिल्ली महानगर परिषद द्वारा 56 निर्वाचित और पांच मनोनीत सदस्यों के साथ बदल दिया गया। दिल्ली के उपराज्यपाल इसके प्रमुख थे। परिषद के पास कोई विधायी शक्तियां नहीं थीं, केवल दिल्ली के शासन में एक सलाहकार की भूमिका थी। इसने 1990 तक कार्य किया। 1991 में 69वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1991 और राष्‍ट्रीय राजधानी क्षेत्र अधिनियम के माध्यम से विधानसभा एवं मंत्री-परिषद से संबंधित संवैधानिक प्रावधान निर्धारित किए। वर्ष 2011 में शीला दीक्षित ने इसके तीन टुकड़े कर दिए। कारण राजनीतिक रहे होंगे कि तीनों नगर निगम उनके अधीन हो जाएंगे और उनके तीन महापौर बन जाएंगे, क्योंकि उस समय दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) पर भाजपा का कब्जा था।

बिल का मकसद

एमसीडी एक्ट में संशोधन कर तीनों एमसीडी को करना क्यों जरूरी बन गया था, इस संग समझें विषय में विस्तार से बताया गया है। इसमें तीनों एमसीडी के आर्थिक स्थिति मुख्य कारण माना गया है। दिल्ली सरकार ने 2011 में एमसीडी में बांट दिया था। तीनों एमसीडी को एक करने के लिए केंद्र दोबारा एक्ट में संशोधन करने के लिए ये बिल लोकसभा में पेश किया।