2004 बैच की मणिपुर कैडर की आइएएस अधिकारी निधि केसरवानी निलंबित

  क्लू टाइम्स, सुरेन्द्र कुमार गुप्ता। 9837117141

योगी सरकार ने क्यों किया गाजियाबाद की पूर्व डीएम को सस्पेंड

गाजियाबाद । ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेस-वे और दिल्ली मेरठ एक्सप्रेस-वे में भूमि अधिग्रहण के मामले में अनियमितता बरतने के आरोप में निलंबित की गईं 2004 बैच की मणिपुर कैडर की आइएएस अधिकारी निधि केसरवानी पर तत्कालीन मंडलायुक्त प्रभात कुमार की रिपोर्ट पर कार्रवाई की गई है। उन्होंने अपनी रिपोर्ट में निधि केसरवानी से पहले गाजियाबाद में कार्यरत रहे जिलाधिकारी विमल कुमार शर्मा को भी दोषी माना था।

हैरत की बात यह है कि यह रिपोर्ट 29 सितंबर 2017 को ही भेजी जा चुकी थी लेकिन नियुक्त विभाग के अधिकारियों ने फाइल दबा दी, जिस कारण अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई में पांच साल से अधिक का समय लग गया है।

दिल्ली मेरठ एक्सप्रेस-वे का निर्माण कार्य करने के लिए जिला प्रशासन ने आठ अगस्त 2022 को एनएच एक्ट 1956 की धारा तीन-ए की अधिसूचना जारी की थी, जिसके तहत भूमि अधिग्रहित करने का इरादा जताया गया। इसके बाद 2012 में धारा- तीन डी के तहत भूमि को अधिग्रहित किए जाने की अधिसूचना जारी कर दी गई।

जिसके तहत दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे के निर्माण के लिए चिह्नित जमीन के बैनामे करने पर रोक लगा दी गई थी और 2013 में अधिग्रहित की जाने वाली भूमि का अवार्ड घोषित किया गया था। अवार्ड के खिलाफ डासना, कुशलिया, रसूलपुर, सिकरोड और नाहल गांव के किसानों ने आर्बिट्रेशन वाद दाखिल किए। 2016-17 मे तत्कालीन जिलाधिकारी निधि केसरवानी ने नए भूमि अधिग्रहण अधिनियम के तहत जमीन के डीएम सर्किल रेट के चार गुणे की दर से मुआवजा देने के निर्णय किया।

शिकायत होने पर इस मामले में जांच बैठाई गई। मेरठ मंडल के तत्कालीन मंडलायुक्त प्रभात कुमार ने इस मामले में जांच की। मंडलायुक्त ने जांच में पाया कि एनएच एक्ट- 1956 की धारा तीन डी के बाद जमीन खरीदी गई। तत्कालीन जिलाधिकारी एवं आर्बिट्रेटर गाजियाबाद ने आर्बिट्रेशन वादों में नए भूमि अर्जन अधिनियम - 2013 के तहत मुआवजे की दर को बढ़ा दिया।

तत्कालीन मंडलायुक्त मेरठ की जांच में पता चला कि कुशलिया, रसूलपुर, सिकरोड, नाहल और डासना गांव की अर्जित भूमि क्षेत्रफल 71.1495 हेक्टेयर का सक्षम प्राधिकारी की ओर से 1,11,94,26,638 रुपये का मुआवजा घोषित किया गया।

निर्णित आर्बिट्रेशन वादों में निहित धनराशि 3,19,16,53,331 रुपये एवं लंबित आर्बिट्रेशन वादों में पूर्व में निर्णित आर्बिट्रल दरों के अनुसार 1, 67,81,81,592 रुपये की धनराशि आंकलित की गई। जिसका कुल योग 4,86,98,34,923 रुपये है। 29 सितंबर 2017 को शासन को भेजी गई जांच रिपोर्ट में मंडलायुक्त ने धारा-तीन डी की अधिसूचना के बाद जमीन खरीदने, आर्बिट्रेटर द्वारा प्रतिकर की दर बढ़ाने और बढ़ी दर से मुआवजा दिए जाने को गलत ठहराया। जिसके बाद एनएच एक्ट-1956 में धारा-तीन-डी का नोटिस जारी किए जाने के बाद किए गए सभी बैनामें रद करने के आदेश जारी किए गए।