क्लू टाइम्स, सुरेन्द्र कुमार गुप्ता। 9837117141
आईएमएफए के अध्ययन में पता चला है कि इस योजना की वजह से भारत में भुखमरी और अत्यंत गरीबी को टालने में सफलता हासिल की है। शोध में बताया गया है कि 2019 तक भारत में अत्यंत गरीबी का स्तर 1 फ़ीसदी से कम था जिसे कोरोन महामारी के दौरान भी बरकरार रखा गया है। इसमें प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना ने अत्यंत भूमिका निभाई है।
दुनिया को कोरोना महामारी ने जबरदस्त प्रभावित किया है। कोरोना की वजह से कई सारे देशों के साथ-साथ भारत भी प्रभावित हुआ है। 2020 और 2021 का साल किसी भी देश के लिए अच्छा नहीं रहा। कोरोना महामारी की वजह से लॉकडाउन लगाया गया। लॉकडाउन की वजह से अर्थव्यवस्था के साथ-साथ आम लोगों के रोजगार पर भी काफी असर पड़ा। यही कारण है कि भारत ने कोरोना के दौरान प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना की शुरुआत की। यह योजना 26 मार्च 2020 को शुरू हुई थी। इस योजना के तहत गरीब परिवारों को 5 किलो गेहूं और 5 किलो चावल प्रतिमाह दिया जाने लगा। इस योजना ने भारत में कोरोना महामारी के दौरान भुखमरी को खत्म करने में अहम भूमिका निभाई। यही कारण है कि अब अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष ने मोदी की तारीफ की है।
आईएमएफ के अध्ययन में पता चला है कि इस योजना की वजह से भारत में भुखमरी और अत्यंत गरीबी को टालने में सफलता हासिल की है। शोध में बताया गया है कि 2019 तक भारत में अत्यंत गरीबी का स्तर 1 फ़ीसदी से कम था जिसे कोरोन महामारी के दौरान भी बरकरार रखा गया है। इसमें प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना ने अत्यंत भूमिका निभाई है। इस योजना की मदद से भारत अत्यंत गरीबी को रोकने में कामयाब हुआ है। आपको बता दें कि केंद्र सरकार की ओर से इस योजना को बार-बार बढ़ाया जा रहा है। इसके साथ ही कई राज्य सरकारों ने इस योजना में अपनी ओर से भी कुछ राहत दी है।
इस योजना की वजह से भारत में गरीबी में स्थिरता देखी गई। इसमें वृद्धि नहीं हुई है। गरीबों पर आर्थिक बोझ नहीं पड़ा है। जिन लोगों की आय में कमी आई या जिनकी नौकरी छूट गई, उसके लिए यह योजना किसी वरदान से कम नहीं है। पिछले ही महीने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस योजना को सितंबर 2022 तक बढ़ाने का एलान किया था। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि महामारी की वजह से आय में काफी गिरावट आई है।