जीते जी ...... कहानी

क्लू टाइम्स, सुरेन्द्र कुमार गुप्ता। 983711714

किराने की एक दुकान में एक ग्राहक आया और  दुकानदार से बोला - भइया,  मुझे 10 किलो बादाम  दे दीजिए। 

 दुकानदार 10 किलो तौलने लगा।

 


तभी एक कीमती कार उसकी दुकान के सामने रुकी और उससे उतर कर एक सूटेड बूटेड आदमी दुकान पर आया,और बोला - भाई 1 किलो बादाम  तौल दीजिये।

दुकानदार ने पहले ग्राहक को 10 किलो बादाम दी,,फिर  दूसरे ग्राहक को 1 किलो दी..।

जब  10 किलो वाला ग्राहक चला गया तब कार सवार ग्राहक ने कौतूहलवश दुकानदार से पूछा - ये जो ग्राहक अभी  गये है यह कोई बड़े आदमी है या इनके घर में कोई कार्यक्रम है क्योंकि ये 10 किलो लेकर गए हैं।

दुकानदार ने मुस्कुराते हुए कहा - अरे नहीं भइया, ये एक सरकारी विभाग में चपरासी हैं लेकिन पिछले साल जब से इन्होंने एक विधवा से शादी की है जिसका पति लाखों रुपये उसके लिए छोड़ गया था, तब से उसी के पैसे को खर्च कर रहे हैं.. ये महाशय  10 किलो हर माह ले जाते हैं। "

इतना सुनकर दूसरे ग्राहक ने भी 1 की बजाय  10 किलो बादाम ले ली ।

10 किलो बादाम लेकर जब  घर पहुँचे तो उसकी बीवी चौंक कर बोली - ये किसी और का सामान उठा लाये क्या? 10 किलो की क्या जरूरत अपने घर में..?

भैया जी ने उत्तर दिया - पगली मेरे मरने के बाद कोई चपरासी मेरे ही पैसे से 10 किलो बादाम खाए.. तो जीते जी, मैं  क्यों 1 किलो खाऊं..।"

निष्कर्ष: अपनी कमाई को बैंक में जमा करते रहने के बजाय अपने ऊपर भी खर्च करते रहना चाहिए। क्या पता आपके बाद आपकी गाढ़ी कमाई का दुरुपयोग ही हो। इन्जॉय करिये जीवन के हर पल को। मौज करो, रोज करो, नहीं मिले तो ख़ोज लो पर रोज मौज लो।