क्लू टाइम्स, सुरेन्द्र कुमार गुप्ता। 9837117141
एक नये अध्ययन में भारतीय शोधकर्ता सूक्ष्मजीवों की मदद से मिट्टी की पकड़ मजबूत करने की पद्धति विकसित कर रहे हैं। इसमें शोधकर्ताओं ने हानि रहित बैक्टीरिया एस. पाश्चरी का उपयोग किया है, जो यूरिया को हाइड्रोलाइज कर कैल्साइट बनाते हैं।
यूरिया का उपयोग इसलिए उत्साहजनक है, क्योंकि इसमें खतरनाक रसायन नहीं हैं, और इससे प्राकृतिक संसाधनों का स्थायी रूप से समुचित उपयोग संभव होगा। इस प्रयोग में रेत का कॉलम बनाकर उससे बैक्टीरिया और यूरिया, कैल्शियम क्लोराइड, पोषक तत्व आदि से मिलकर तैयार सीमेंटिंग सॉल्यूशन को प्रवाहित किया गया है।
इस अध्ययन से जुड़े निष्कर्ष शोध पत्रिका ‘जीयोटेक्निकल ऐंड जीयो-एन्वायरनमेंटल इंजीनियरिंग ऑफ अमेरिकन सोसाइटी ऑफ सिविल इंजीनियर्स (एएससीई)’ में प्रकाशित किए गए हैं। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) मंडी के प्रमुख शोधकर्ता डॉ कला वेंकट उदय के नेतृत्व में किए गए इस अध्ययन से जुड़े शोधकर्ताओं में उनके एमएस स्कॉलर दीपक मोरी शामिल हैं।
पिछले कुछ दशकों में पूरी दुनिया में मिट्टी के स्थिरीकरण की पर्यावरण अनुकूल और स्थायी तकनीक- माइक्रोबियल इंड्यूस्ड कैल्साइट प्रेसिपिटेशन (एमआईसीपी) पर परीक्षण हो रहे हैं। इसमें बैक्टीरिया का उपयोग कर मिट्टी के सूक्ष्म छिद्रों में कैल्शियम कार्बोनेट (कैल्साइट) बनाया जाता है, जो अलग-अलग कणों को आपस में मजबूती से जोड़ता है, जिसके परिणामस्वरूप मिट्टी/जमीन की पकड़ मजबूत होती है।
स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग के सहायक प्रोफेसर डॉ के.वी. उदय ने अपने इस शोध के बारे में बताया, “हमारा शोध सूक्ष्मजीवों की मदद से जमीनी स्तर पर मिट्टी की पकड़ मजबूत करने में मदद करेगा। इससे पहाड़ी क्षेत्रों में और भू-आपदा के दौरान मिट्टी का कटाव कम होगा। हम सूक्ष्मजीवों की मदद से खदान के कचरे से निर्माण सामग्री तैयार करने की दिशा में भी काम कर रहे हैं।” उन्होंने बताया, ‘‘मिट्टी के स्थिरीकरण के उद्देश्य से पूरी दुनिया में एमआईसीपी तकनीक विकसित करने के लिए अध्ययन हो रहे हैं। लेकिन, अब तक इस प्रक्रिया की सक्षमता को प्रभावित करने वाले कारकों को पूरी तरह समझा नहीं गया है।”
अध्ययन में शामिल शोधकर्ता दीपक मोरी ने बताया, “कैल्साइट प्रेसिपिटेशन एफिसियंसी (सीपीई) कई मानकों पर निर्भर करती है, जिनमें सीमेंटिंग सॉल्यूशन का कन्सन्ट्रेशन, कॉलम से होकर प्रवाह की दर, लागू आपूर्ति दर, पोर वॉल्यूम और रेत के कणों के मुख्य गुण शामिल हैं। हमने सीपीई पर विभिन्न मानकों के प्रभाव जानने की कोशिश की है।”
शोधकर्ताओं ने इसमें अपनाये गए विभिन्न मानकों के मद्देनजर तागुची पद्धति से एमआईसीपी से मिट्टी की पकड़ मजबूत करने के विभिन्न मानकों के प्रभावों का विश्लेषण किया। इस पद्धति में किसी प्रक्रिया को प्रभावित करने वाले मानकों को व्यवस्थित करने, और जिस स्तर पर उनमें विविधता चाहिए, उनके लिए ओर्थोगोनल ऐरेज़ का उपयोग किया जाता है। तागुची पद्धति से प्रभावशाली मानकों का विश्लेषण किया जा सकता है।
शोधकर्ताओं ने पाया कि कैल्साइट कितनी मात्रा में बनता है यह उतना महत्वपूर्ण नहीं है जितना कि इस प्रक्रिया में छिद्रों में बने कैल्साइट ग्रेन का आकार और स्थान होता है। सीमेंटिंग सॉल्यूशन का कन्सन्ट्रेशन अधिक होने के परिणामस्वरूप अधिक मजबूत पकड़ बनती है। इसी तरह, सीमेंटिंग सॉल्यूशन की प्रवाह दर और आपूर्ति दर भी पकड़ की मजबूती को प्रभावित करती है।
(इंडिया साइंस वायर)