क्लूटाइम्स, सुरेन्द्र कुमार गुप्ता। 9837117141
राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस के अवसर पर यह इस तीन दिवसीय प्रदर्शनी 24-26 अप्रैल तक आयोजित की गई थी। इस प्रदर्शनी को देखने के लिए स्कूली बच्चों एवं कॉलेज छात्रों के साथ-साथ बड़ी संख्या में शिक्षक, शोधार्थी, उद्यमी, और ग्रामीण विकास से जुड़ी सरकारी एवं गैर-सरकारी संस्थाओं के प्रतिनिधि पहुँच रहे थे।
राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस के अवसर पर यह इस तीन दिवसीय प्रदर्शनी 24-26 अप्रैल तक आयोजित की गई थी। इस प्रदर्शनी को देखने के लिए स्कूली बच्चों एवं कॉलेज छात्रों के साथ-साथ बड़ी संख्या में शिक्षक, शोधार्थी, उद्यमी, और ग्रामीण विकास से जुड़ी सरकारी एवं गैर-सरकारी संस्थाओं के प्रतिनिधि पहुँच रहे थे। प्रौद्योगिकी प्रदर्शनी के दौरान देश भर में फैली सीएसआईआर की घटक प्रयोगशालाओं द्वारा पोस्टर, शॉर्ट फिल्म, प्रोडक्ट डिस्प्ले, और सफल लाभार्थी उद्यमियों की उपस्थिति के माध्यम से ग्रामीण प्रौद्योगिकियों एवं उनकी उपयोगिता को प्रदर्शित किया गया।
केंद्रीय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी; राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) पृथ्वी विज्ञान; राज्य मंत्री पीएमओ, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष; डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा है कि इस प्रदर्शनी में गरीबी उन्मूलन, आजीविका वृद्धि, स्वस्थ गाँव, बच्चों के अनुकूल गाँव, जल सुलभ गाँव, स्वच्छ एवं हरा-भरा गाँव, गाँव में आत्मनिर्भर बुनियादी ढांचा जैसे विषय शामिल किये गए हैं। उन्होंने कहा कि ग्रामीण विकास और पंचायती राज के विषयों के साथ विज्ञान और प्रौद्योगिकी के एकीकरण को प्रदर्शित करने वाले स्टाल इस प्रदर्शनी में प्रमुखता से लगाए गए हैं।
सीएसआईआर-एनएएल द्वारा विकसित मीडियम मल्टी-कॉप्टर मानव रहित एयर व्हीकल (एमयूएवी), जो कृषि क्षेत्र के अनुप्रयोगों में उपयोग हो सकता है, को भी लोगों ने उत्सुक्तापूर्वक देखा। ग्रामीण स्तर पर उद्यमिता को बढ़ावा देने से जुड़ी विभिन्न प्रौद्योगिकियों को इस प्रदर्शनी में पेश किया गया। अपशिष्ट फूलों से अगरबत्ती निर्माण, कृषि अपशिष्ट से बनी कटलरी, सूखे फूलों से बने शिल्प के बारे में विशेषज्ञों द्वारा प्रदान की जा रही जानकारी में लोग रुचि लेते देखे गए।
जल की उपलब्धता का पता लगाने के लिए हेलीकॉप्टर की मदद से हाई रिजोल्यूशन जलभृत मैपिंग, इंटरनेट ऑफ थिंग्स आधारित वाटर सर्विस डिलीवरी मेजरमेंट ऐंड मॉनिटरिंग सेंसिंग सिस्टम, अपशिष्ट जल उपचार, जल प्रबंधन, जलस्रोतों के पुनरुद्धार, और पर्वतीय क्षेत्रों में सापेक्ष आर्द्रता से वायुमंडल से जल प्राप्त करने से जुड़ी तकनीकों को प्रौद्योगिकी प्रदर्शनी में प्रस्तुत किया गया, जो जल प्रबंधन के क्षेत्र में प्रभावी बदलाव लाने में सक्षम हैं।
स्वच्छ एवं हरित गाँव के सपने को साकार करने से संबंधित अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियाँ भी इस प्रदर्शनी में देखने को मिली हैं। ठोस कचरा प्रबंधन, सूक्ष्मजीवों की मदद से मल को खाद में परिवर्तित करने में सक्षम शुष्क टॉयलेट, प्लास्टिक कचरे का उपयोग, सोलर पावर ट्री जैसे नवीकरणीय ऊर्जा से जुड़ी तकनीक, और सोलर चूल्हा जैसी ऊर्जा प्रौद्योगिकियों को भी खूब पसंद किया गया।
सीएसआईआर को पर्यावरण, स्वास्थ्य, पेयजल, भोजन, आवास, ऊर्जा, कृषि और गैर-कृषि क्षेत्र सहित विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी आधारित अनुसंधान एवं विकास कार्यों के लिए जाना जाता है। सीएसआईआर के पास 37 राष्ट्रीय प्रयोगशालाओं, 39 आउटरीच केंद्रों, 03 नवाचार परिसरों और अखिल भारतीय उपस्थिति वाली पाँच इकाइयों का एक गतिशील नेटवर्क है। सीएसआईआर समुद्र विज्ञान, भूभौतिकी, रसायन, दवाओं, जीनोमिक्स, जैव प्रौद्योगिकी और नैनो प्रौद्योगिकी से लेकर खनन, वैमानिकी, इंस्ट्रूमेंटेशन, पर्यावरण इंजीनियरिंग और सूचना प्रौद्योगिकी तक एक व्यापक स्पेक्ट्रम को कवर करता है।
(इंडिया साइंस वायर)