योगीजी का दूसरा कार्यकाल एवम अपराध !

 क्लू टाइम्स, सुरेन्द्र कुमार गुप्ता। 9837117141

 जरा सोचिए.....

10 मार्च को उत्तरप्रदेश के आम चुनावांे के परिणाम आने के बाद उत्तरप्रदेश में व्याप्त सभी अंधविश्वासों एवम वहमों को धता बताते हुए 37 वर्षाे बाद किसी सत्तारूढ़ पार्टी की लगातार दूसरी बार सरकार बनी तथा आजादी के बाद पहली बार किसी मुख्यमंत्री ने एक बार कार्यकाल पूरा करते हुए दोबारा कार्यकाल प्रारम्भ किया और योगी आदित्यनाथ दोबारा उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री चुने गए। शायद होलाष्टक के चलते उन्हें पदभार संभालने में 15 दिन लग गए और 25 मार्च को उन्होंने पुनः मुख्यमंत्री पद की गोपनीयता की शपथ लेकर सरकार बनाने का कार्य किया। लेकिन इस मध्य जैसे पूरे प्रदेश में अपराधों की बाढ़ आ गयी तथा मात्र गाजियाबाद जैसे जिले में ही मात्र 20 दिनों में 30-35 बड़ी वारदाते करने में बदमाश सफल रहे जिससे योगीजी की एक सख्त प्रशासक की छवि को धक्का लगा। 

 


योगी जी ने अचानक से प्रदेश की आई ए एस एवम आई पी एस लॉबी को इसका दोषी मानते हुए एक जिले के डी एम एवम गाजियाबाद के एसएसपी को तत्काल प्रभाव से निलंबित करके इस बार आधिकारियों को सख्त संदेश देने का प्रयास किया। मुख्यमंत्री योगी जी के इस कदम का स्वागत किया जाना चाहिए क्योंकि उन्होंने पहली बार भारतीय जनता पार्टी के ब्यूरोक्रेट्स को न छेड़ने के सि(ांत के विरु( जाकर ब्यूरोक्रेसी को एक सख्त संदेश दिया। यहां यह सूच्य है कि भारतीय जनता पार्टी एवम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी की एक अधोषित नीति यह रही है कि वह देश/प्रदेश की अफसरशाही को अपने किसी कार्यकर्ता, पदाधिकारी एवम किसी भी लोक जन-प्रतिनिधि से कुछ भी कहलवाना पसंद नही करते है तथा उनके अधिकारी सिर्फ अपने प्रदेश के मुख्यमंत्री अथवा समक्ष के प्रति की उत्तरदायी होते रहे है जिसके कारण भाजपा के विधायकों, संगठन पदाधिकारियों एवम कार्यकर्ताओ में एक रोष की स्थिति उत्पन्न होती रही है तथा गाहे बगाहे उन्हें आम जनता की नाराजगी का भी सामना करना पड़ता रहा है।

 


इसलिए जब योगी जी ने अपने दूसरे कार्यकाल में पद संभालते ही जब अपराधों एवम भ्रष्टाचार पर नियंत्रण करने में असफल रहने वाले ब्यूरोक्रेट्स पर निलंबन की कार्यवाही की तो सभी को आश्चर्य हुआ कि ट्रांसफर के स्थान पर निलंबन क्यो किया गया? वैसे योगी जी के इस साहसिक कदम की सर्वत्र चर्चा हुई और पार्टी के कार्यकर्ताओं, पदाधिकारियों एवम जन प्रतिनिधियों में एक नई आशा का संचार भी हुआ, जरा सोचिए......


- डा. मुकेश गर्ग

(लेखक एक स्वतंत्रत उद्यमी, विचारक एवम ब्लागर है।)